नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा अपना गणवेश बदलने का फैसला लिए जाने के बाद सोमवार 29 अगस्त से उसकी बिक्री की शुरुवात शुरू हो चुकी है। आगामी विजयादशमी को स्वयंसेवक अब हाफ पैंट की जगह फुल पैंट में पथसंचलन करते हुए दिखाई देगे। जिस तरह संघ में होने वाले किसी भी घटनाक्रम को लेकर उत्सुकता होती है उसी तरह गणवेश को लेकर भी थी। नया गणवेश कैसा होगा इस चर्चा को विराम लगाते हुए। संघ ने राजस्थान के नागौद में हुई अखिल भारतीय कार्यकारणी की बैठक में हाफ़ पैंट की जगह फुल पैंट के इस्तेमाल का फैसला लिया।
समय के साथ संघ के बदलते इतिहास की झलक सोमवार को देखने को मिली जब इस पैंट की बिक्री रेशमबाग स्थित संघ के स्टोर में शुरू हुई। सन 1925 से अपनी स्थापना के बाद 91 वर्षो के इतिहास के दौरान संघ ने कई बार गणवेश में बदलाव किये। 1930 पहली बार बदलाव करते हुए खाकी टोपी की जगह काली टोपी को अपनाया गया। 1940 में खाकी शर्ट की जगह हाफ सफ़ेद शर्ट ले ली। 1973 में चमड़े या प्लास्टिक के जूते को शामिल किया गया और 2010 में चमड़े के बेल्ट को गणवेश से हटा दिया गया इसकी जगह अब पाल से बने बेल्ट का इस्तेमाल किया जाता है। बदलाव की इसी प्रक्रिया के तहत फुल पैंट को शामिल किया गया है।
इस बदलाव से स्वयंसेवको में भी खासा उत्साह दिख रहा है। बड़ी संख्या में स्वयंसेवक नया गणवेश खरीदने स्टोर में पहुंच रहे है।