Published On : Thu, Aug 10th, 2017

विश्वविद्यालय के काले इतिहास ‘कोहचाड़े कांड का सूत्रधार यादव कोहचाड़े की जेल में मौत

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नागपुर विश्वविद्यालय के इतिहास में सबसे बड़ा कलंक ‘फर्जी डिग्री’ घोटाला और मार्कशीट का पुनर्मूल्यांकन कांड रहा है। यह वह भ्रष्टाचार का मामला था जिसके बाद विश्वविद्यालय से पास आउट होनेवाले विद्यार्थियों को कई सालों तक संदेह के घेरे में बिताने पर मजबूर होना पड़ा था। इस भ्रष्टाचार के मामले को बाद में ‘कोहचाड़े कांड’ के नाम से पहचाना गया। गुरुवार को इस भ्रष्टाचार कांड के मुख्य सूत्रधार रहे यादव कोहचाड़े की मौत हो गई। नागपुर सेंट्रल जेल में कैद कोहचाड़े गुरुवार दोपहर करीब 3 बजे चक्कर आने के कारण गिर पड़े। उन्हें बेहोशी की हालत में जेल प्रशासन के कर्मचारियों ने तुरंत मेडिकल अस्पताल लाया। जहां जांच में डाक्टरों ने उसे 4 बजे के आस पास मृत घोषित कर दिया। शव को पोस्ट मार्टम के लिए मर्चुरी में रखा गया। बताया जा रहा है कि उसकी ऑटोप्सी रिपोर्ट मिलने के बाद ही मौत का असली कारण स्पष्ट हो सकेगा।

ज्ञात हो कि कोहचाड़े कांड युनिवर्सिटी के इतिहास में वह काला पन्ना है जिसने समूचे परीक्षा और प्रमाणन यंत्रणा को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया था। कोहचाड़े ने अपने भष्ट्र तंत्र का जाल युनिवर्सिटी के कर्मचारियों और अधिकारियों में फैलाया और बोगस मार्कशीट और फर्जी डिग्री देने का जाल फैलाया। उसके जाल में कई विद्यार्थी भी फंसे। पैसे लेकर फर्जी मार्कशीट तैयार कर डिग्रियां बांट कर उसने कईयों को फांसा। जब इस घोर भ्रष्टाचार का भांडा फूटा तब जाकर यह सामने आया कि यह कांड किस कदर पूरे विश्वविद्यालय की जड़ों को खोखला कर रहा था। इस कांड के बाद विश्वविद्यालय को नए सिरे से परीक्षा, मूल्यांकण और डिग्रियां वितरण करने की नई प्रणाली खड़ी करने की दिशा में काम करना पड़ा। लेकिन कोहचाड़े कांड के दौरान जिस शैक्षणिक वर्ष के विद्यार्थियों ने रिजल्ट की मार्कशीट और डिग्रियां हासिल कीं वे सारे देखते ही देखते संदेह के घेरे में आ गए। यहां तक की सरकारी नौकिरियों में जिसमें देश के भीतर ही और विदेशों में भी नागपुर विश्वविद्यालय से पासआउट कर्मचारियों की नौकरी पर बन आई। नागपुर विश्वविद्यालय के रिजल्ट और डिग्रियों का सत्यापन नए सिरे से करने पर विवश होना पड़ा। इस कोहचाड़े कांड से उबरने में विश्वविद्यालय को लंबा सफर तय करना पड़ा।

कोहचाड़े कांड का खुलासा 1999 में हुआ था। जिसके बाद यादव कोहचाड़े के साथ कई अन्य आरोपियों की धर पकड़ हुई थी। इस मामले में कोहचाड़े समेत अन्य कई आरोपियों को सन 2006 में दोषि ठहराते हुए कारागृह का रास्ता दिखाया था। करीब ग्यारह साल जेल में बिताने के बाद कोहचाड़े ने गुरुवार को आखिर दम अंतिम सांसे लेकर दम तोड़ दिया।

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