Published On : Mon, May 9th, 2022
By Nagpur Today Nagpur News

साईं मंदिर: पारदर्शिता लाने सहधर्मदाय आयुक्त के आदेश

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हाई कोर्ट ने दखलअंदाजी से किया इनकार

नागपुर. सहधर्मदाय आयुक्त द्वारा 15 मार्च 2022 को जारी किए गए आदेशों पर आपत्ति जताते हुए साईं मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी अविनाश शेगांवकर तथा अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश नितिन जामदार और न्यायाधीश अनिल पानसरे ने सहधर्मदाय आयुक्त के आदेश ट्रस्ट की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए दिए जाने का हवाला देते हुए इसमें दखलअंदाजी से साफ इनकार कर दिया. साथ ही अदालत ने याचिका खारिज कर दी.

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उल्लेखनीय है कि सहधर्मदाय आयुक्त की ओर से दिए गए आदेशों पर पुनर्विचार करने के लिए याचिकाकर्ताओं ने आयुक्त के समक्ष अर्जी दायर की थी. जिसे 8 अप्रैल 2022 को ठुकरा दिया था. जिसके बाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया.

सुनवाई का नहीं दिया मौका
याचिकाकर्ताओं का मानना था कि सहधर्मदाय आयुक्त द्वारा आदेश जारी करने से पहले उन्हें सुनवाई का मौका नहीं दिया गया. यहां तक कि आदेश में उनके खिलाफ कुछ अंश दर्ज किए गए. इस दलील पर अदालत ने कहा कि यदि प्राकृतिक न्याय के नियमों के अनुसार यदि सुनवाई का मौका नहीं दिया गया और यह स्थापित हुआ तो निश्चित ही आदेश रद्द हो सकता है. जिसके लिए अदालत की ओर से 15 मार्च 2022 को जारी किए गए आदेश का अवलोकन किया गया. इस आदेश को लेकर अदालत ने कहा कि ट्रस्टियों को नोटिस दिए जाने के बावजूद उपस्थित नहीं रहे थे.

डोनेशन बॉक्स खोलने की प्रक्रिया
सहधर्मदाय आयुक्त की ओर से आदेश में डोनेशन बॉक्स खोलने की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने का खुलासा किया गया. डोनेशन बॉक्स खोलते समय क्या किया जाए, इसका उल्लेख किया गया. जिसके अनुसार डोनेशन बॉक्स विशेष तारीख को खोला जाना चाहिए. निर्धारित तारीख की जानकारी उजागर करते हुए नोटिस बोर्ड पर इसे लगाया जाना चाहिए. डोनेशन की गिनती पंचों द्वारा की जानी चाहिए और उसी दिन बैंक खाते में निधि जमा होनी चाहिए.

सीसीटीवी कैमरों में डोनेशन बॉक्स खोले जाने चाहिए. साथ ही कैमरों की निगरानी में ही गिनती भी होनी चाहिए. इस तरह के आदेश ट्रस्ट की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए जारी किए गए. अत: इस आदेश में दखलअंदाजी नहीं हो सकती है. यदि किसी ट्रस्टी के संदर्भ में कोई विरोधाभासी कथन उस आदेश में हो तो संबंधित ट्रस्टी उसे सहधर्मदाय आयुक्त के समक्ष ही चुनौती दे सकता है. जिस पर सहधर्मदाय आयुक्त कानून और नियमों के अनुसार आदेश दें सकेंगे.

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