Published On : Fri, Mar 1st, 2019

सेंट जॉन स्कूल को शिक्षा बोर्ड का नोटिस

Advertisement

विद्यार्थियों को कम्पोज़िट विषय में संस्कृत भाषा देने से नाराज हुए विद्यार्थी

नागपुर- हमेशा कुछ न कुछ विवादों में रहनेवाली गड्डीगोदाम स्थित सेंट जॉन स्कूल में एक और मामला सामने आया है. दरअसल 10वीं क्लास में सेकंड ऑप्शन के तौर पर मराठी कम्पोज़िट भाषा में संस्कृत विषय चुने जाने के कारण करीब 49 विद्यार्थियों ने अपने पालकों से परेशानी होने की शिकायत की. इसमें विद्यार्थियों का साल भी खराब हो सकता है. मामला बढ़ने के बाद कुछ संस्थाओं ने इसका विरोध किया, जिसके बाद नागपुर के बोर्ड ऑफिस के सचिव देशपांडे ने स्कूल को कारण बताओ नोटिस दिया है.

Gold Rate
09 April 2025
Gold 24 KT 89,200/-
Gold 22 KT 83,000/-
Silver / Kg - 90,400/-
Platinum 44,000 /-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

नियम के अनुसार जिस राज्य में स्कुल है. उस राज्य में किसी भी स्कूल में पहला विषय उस स्कुल के मीडियम का होता है और दूसरा विषय राज्य की भाषा का होता है. लेकिन पालकों का कहना है कि यहां स्कूल ने दसवीं के करीब 49 विद्यार्थियों को मराठी कम्पोज़िट संस्कृत भाषा लेने के लिए बाध्य किया है, जो नियमों के बाहर है.

इस मामले में नागपुर शिक्षा बोर्ड के सचिव देशपांडे ने बताया कि शिकायत के आधार पर कार्रवाई की गई है. स्कूल को नोटिस दिया गया है. स्कूल को 10वीं की परीक्षा के लिए मराठी विषय लेना था. लेकिन उन्होंने मराठी विषय नहीं लिया. उन्होंने संस्कृत विषय लिया. पालकों का कहना है कि स्कूल ने उनके बच्चों को जबरन संस्कृत विषय दिया, जबकि स्कूल का कहना है कि विद्यार्थियों ने अपने मन से यह विषय चुना है. पुणे बोर्ड ने एक साल के लिए संस्कृत विषय के लिए स्कूल को अनुमति दी है.

इस पूरे मामले में सेंट जॉन स्कूल के प्रिंसिपल पैट्रिस टिर्की ने बताया कि स्कूल की ओर से गलती हुई है. इस साल पुणे बोर्ड के मुख्य कार्यालय से अनुमति ली गई है. उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों ने अपनी मर्जी के अनुसार उन्होंने यह विषय चुना था. 50 मार्क्स का संस्कृत, 50 मार्क्स का मराठी और अलग से 100 मार्क्स का मराठी का विषय है. 49 विद्यार्थियों ने मराठी कम्पोज़िट संस्कृत को चुना था. स्कूल ने पूरे साल संस्कृत विषय को पढ़ाया है. विषयों का कॉम्बिनेशन सही नहीं है.

इस बारे में ग्राहक जनजागृति समिति के कमल नामपल्लीवार ने बताया कि जिस राज्य में स्कूल होती है वहां पर उस राज्य की भाषा का विषय दूसरे नम्बर पर होता है. लेकिन यहां मराठी भाषा को दरकिनार कर संस्कृत भाषा को चुना गया है और विद्यार्थियों को जबरन कम्पोज़िट भाषा लेने के लिए कहा गया है. स्कूल ने विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है. स्कूल के खिलाफ यह कार्रवाई सही है.

Advertisement
Advertisement