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Representational Pic
नागपुर: यवतमाल की नरभक्षी बाघिन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया है। वन्यजीव प्रेमी डॉ जेरिल बनाईट ने शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय में अपनी याचिका दाखिल की है। यवतमाल के पांधकावड़ा और रालेगाँव वन परिक्षेत्र में अब तक १२ लोगो को निशान बनाने वाली टी-1 बाघिन को वन विभाग ने मारने का आदेश जारी किया था।
जिसके बाद डॉ जेरिल ने मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दाखिल की थी। आने वाले दो दिनों तक छुट्टी है जिस वजह से अब इस मामले की सुनवाई सोमवार को होने की संभावना है। जिले में आतंक का पर्याय बन चुकी बाघिन ने अब तक १२ लोगों को पर हमला किया है। पहले वन विभाग ने बाघिन को बेहोश करके पकड़ने का आदेश दिया था।
लेकिन इसमें कामियाबी नहीं मिली जिसके बाद प्रधान मुख्य वनसंवर्धक (वन्यजीव) ए के मिश्रा ने 4 सितंबर को बाघिन को जिंदा मारने का आदेश जारी था। इस आदेश के खिलाफ जेरिल ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस मामले की सुनवाई के बाद अदालत ने प्रधान मुख्य वनसंवर्धक(वन्यजीव) आदेश को कायम रखा।
अपनी याचिका के ख़िलाफ़ फैसला आने पर सुप्रीम कोर्ट शरण ली। याचिकाकर्ता के मुताबिक पास ऐसा कोई साबुत नहीं है जिससे ये स्पष्ट होता हो की बाघिन ने किसी पर हमला कर जान से मारा हो। जेरिल ने भरोषा जताया है की सुप्रीम कोर्ट में उसका पक्ष सुना जायेगा।