नई दिल्ली / नागपुर: चार वर्षीय बालिका पर बलात्कार कर उसकी हत्या करने वाले आरोपी वसंत दुपारे की फांसी की सज़ा सुप्रीम कोर्ट ने बरक़रार रखी है। 55 वर्षीय आरोपी को घिनौने अपराध के लिए मिली सज़ा पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिसे सर्वोच्च अदालत ने ख़ारिज कर दी। वर्ष 2014 में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने वसंत दुपारे को फांसी की सज़ा सुनाई थी जिसे आज की सुनवाई में भी बरक़रार रखा गया। अपना फ़ैसला सुनाते हुए कोर्ट ने इस घटना पर कहाँ था की इंसानियत को शर्मसार करने वाला यह अपराध समाज पर कलंक है। यह अपराध रेअरेस्ट ऑफर रेअर की श्रेणी में आता है जिसमे फांसी से कम की सज़ा नहीं हो सकती।
वर्ष 2008 में वसंत दुपारे नामक आरोपी ने बगल में रहने वाली चार वर्षीय बालिका को चॉकलेट का लालच देकर साथ ले गया और उसके साथ बलात्कार किया। बाद में पत्थर से उसका सिर कुचलकर निर्ममता से हत्या कर दी। इसी मामले में आरोपी को कनिष्ठ और मुंबई उच्च न्यायालय ने फांसी की सजा सुनाई थी। अपने फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी के वकील की सभी दलीलों को ख़ारिज करते हुए स्पस्ट किया की आरोपी मासूम बच्ची के घर के बगल में रहता था इसलिए उसका पडोसी पर भरोसा रखना स्वाभाविक था लेकिन आरोपी ने भरोसे की भी हत्या की। खुद का बचाव कर पाने में असक्षम बालिका के साथ उसने यह घिनौना कृत्य किया। कोर्ट ने कहाँ की आरोपी न ही मानसिक तनाव में था और न ही उसने किसी भावनावश ऐसा किया। आरोपी फिर ऐसा नहीं करेगा ऐसा भी नहीं कहाँ जा सकता।
आरोपी के वकील ने सुनवाई के दौरान दलील दी की आरोपी वर्त्तमान में 55 वर्ष का है इसलिए उसे फांसी की बजाय उम्रकैद की सज़ा दी जाये। यह सज़ा पाने के बाद 75 वर्ष की उम्र में वो जेल से छूटेगा इस अवस्था में वो समाज के लिए किसी भी प्रकार से घातक नहीं होगा। आरोपी के वकील की किसी भी दलीलों का सुप्रीम कोर्ट पर कोई असर नहीं पड़ा।