मुंबई: शिर्डी के ‘श्री साईबाबा संस्थान ट्रस्ट’ ने वर्ष 2015 के सिंहस्थ कुंभमेले की भीड के प्रबंधन हेतु पुलिस की मांग के अनुसार सुरक्षा सामग्री खरीदी । सूचना अधिकार से मिली जानकारी से स्पष्ट हुआ कि अहमदनगर पुलिस अधीक्षक कार्यालय द्वारा दी गई अनुमानित दरों की अपेक्षा अत्यधिक उच्च दर से यह सामग्री खरीदी गई । उदाहरणार्थ 60 हजार रुपयों की मनीला रोप (रस्सी) (10 हजार मीटर लंबी) 18 लाख 50 हजार रुपए में, 400 रुपए प्रति नग ‘रिचार्जेबल टॉर्चेस’ प्रति नग 3 हजार रुपयों में, 2 हजार रुपयों का ‘साईन बोर्ड’ 9 हजार 200 रुपयों में, और 5 हजार रुपयों का ताडपत्र 22 हजार 575 रुपए इतनी ऊंची दर में खरीदा गया । इस खरीद में ऊंची दरों के रूप में खर्च हुए 66 लाख 55 हजार 997 रुपए, भ्रष्टाचार स्पष्ट करते हैं । इस प्रकरण में 16 दिसंबर 2016 को महाराष्ट्र शासन ने श्री साईबाबा संस्थान से स्पष्टीकरण मांगा । वह पत्र भेजकर आज सवा वर्ष हो गया; परन्तु उसका कोई उत्तर ही नहीं मिला । इस कारण संदेह है कि ये सब अनियमितताएं दबाई जा रही हैं । एक ओर जहां मा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘भ्रष्टाचारमुक्त भारत’ का दावा कर रहे हैं; वहीं राज्य के मुख्यमंत्री मा. देवेंद्र फडणवीस इस भ्रष्टाचार के विषय में निश्चित रूप से क्या कर रहे हैं, ऐसा प्रश्न हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने उपस्थित किया । 24 मई 2018 इस दिन मुंबई मराठी पत्रकार संघ मे आयोजित पत्रकार परिषद में वे बोल रहे थे । इस समय हिन्दू जनजागृति समितिके प्रवक्ता श्री. सतीश कोचरेकर, सनातन संस्था से सौ. सुनीता पाटील भी उपस्थित थे ।
श्री साईबाबा संस्थान के आर्थिक व्यवहार पर शासन का नियंत्रण नहीं !
वर्ष 2015 सिंहस्थ के काल में शिर्डी पुलिस को सौंपी गई वस्तुएं संस्थान ने अभी भी अपने पास वापस जमा नहीं की । ताडपत्र, रस्सी आदि वस्तुआें के उपयोग के विषय में न शिर्डी संस्थान ने ब्यौरा मांगा, ना ही पुलिस ने दिया । सूचना अधिकार में जब यह पूछा गया कि ‘इन वस्तुआें का क्या उपयोग किया गया ?’, तब ‘इन वस्तुआें का उपयोग 2018 में होनेवाले ‘साई महासमाधी शताब्दी समारोह’ में होगा’, साई संस्थान ने ऐसा टुटपुंजा कारण बताया । 2015 मेें खरीदी वस्तुआें का उपयोग 2018 में करना, आर्थिक व्यवहार नहीं सीधे-सीधे भ्रष्टाचार है । इसकी जांच होनी चाहिए । ये सब वस्तुएं केवल कागजों पर होने की भी संभावना है । पुलिस की मांग के अनुसार शिर्डी संस्थान ने संगणक, प्रिंटर, रिसोग्राफर, दो एयरकंडीशनर जैसी वस्तुएं भी पुलिस को दी हैं । इनमें से रिसोग्राफर, दो एयरकंडीशनर की पुलिस को क्या आवश्यकता है ?, इसकी भी जांच होनी चाहिए ।
सिंहस्थ समाप्त होने पर मिली वस्तुआें का दायित्व किसका ?
शिर्डी पुलिस थाना परिसर में कुंभमेला समाप्त होनेपर, जनवरी 2016 में ‘वायरलेस टॉवर’ बनाया गया । प्रिंटर, संगणक, जेरॉक्स यंत्र, 200 यातायात पुलिस-बैटरी स्टिक सहित ढेर सारी सामग्री शिर्डी संस्थान ने 11 सितंबर 2015 को अर्थात कुंभमेला समाप्त होनेपर, लेने के लिए शिर्डी पुलिस थाने को सूचित किया है । कुंभमेला समाप्त होने पर ये सामग्री लेकर पुलिस ने उसका क्या किया ? वर्षा समाप्त होने के उपरांत अर्थात 21 सितंबर 2015 को रेनकोट मिले । पुलिस को उनकी मांग के अतिरिक्त दिए 300 लोहे के बैरिकेड्स क्या संस्थान को वापस मिले ? इन बैरिकेड्स का खर्च किस अधिकार के अंतर्गत किया गया, ऐसे अनेक प्रश्न अनुत्तरित हैं ।
संक्षेप में मुख्यमंत्री के अधिकार-क्षेत्र में विधि और न्याय विभाग के अंतर्गत आनेवाला यह पूरा व्यवहार संदेहास्पद और गंभीर है । कानून-व्यवस्था, शासन का दायित्व है । ऐसे कार्यक्रमों से शासन की अप्रत्यक्ष आय भी होती है । तब भी भक्तों द्वारा परिश्रमपूर्वक अर्जित मंदिर की धनराशि का इस प्रकार उपयोग किया जाता है, तो क्यों न राजनीतिक दलों के धन का उपयोग चुनाव के खर्च के लिए तथा अन्य सामाजिक कार्यों के लिए किया जाए ? ऐसा प्रश्न भी अधिवक्ता इचलकरंजीकर ने परिषद को संबोधित करते हुए उपस्थित किया । इस समय उन्होंने आगे दी मांगें कीं –
1. इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय अधिकारियों द्वारा जांच की जाए ।
2. सामग्री का प्रत्यक्ष संग्रह गिना जाए और उसमें घोटाला पाए जोनपर, पुलिस और संस्थान के संबंधित अधिकारी/कर्मचारी इन पर तत्काल कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए ।
शिर्डी संस्थान की संपत्ति से ‘निळवंडे धरण
-कालवा (बांध एवं नहर)’ परियोजना के लिए दिए 500 करोड की जांच की जाए !
इस समय हिन्दू जनजागृति समिति के प्रवक्ता श्री. सतीश कोचरेकर ने कहा, पिछले 45 वर्षों से घिसट रही अहमदनगर जिले की ‘निळवंडे बांध एवं नहर’ परियोजना के लिए, मुख्यमंत्री ने शिर्डी संस्थान की संपत्ति में से 500 करोड रुपए दिए । किसानों को पानी मिलना और भूमि की सिंचाई होना भी आवश्यक है ही; परन्तु उसके लिए सारे नियमों को ताक पर रखकर, धनराशि देना अनुचित है । निळवंडे बांध की नहर के लाभक्षेत्र में शिर्डी गांव नहीं आता, तब भी ‘श्री साईबाबा संस्थान ट्रस्ट (शिर्डी) कानून 2004’ को भंग करते हुए यह धनराशि क्यों दी जा रही है ? शासन एवं अधिकारियों की कामचोरी के कारण 45 वर्षों से इस नहर का कार्य कूर्म गति से चल रहा है । इस कारण प्राथमिक स्तर पर ऐसा दिखाई देता है कि कांग्रेस के विपक्षी नेता एवं शिर्डी मतदाता संघ के विधायक विखे पाटील की राजनीतिक सहायता करने हेतु मुख्यमंत्री ने यह अनाकलनीय निर्णय लिया । सिंचाई ज्वलंत समस्या है; परंतु 70 हजार करोड रुपयों के सिंचाई घोटाले के दोषियों को दंड देकर, उनसे पैसे वसूल करने का आश्वासन 4 वर्षों में फडणवीस सरकार ने पूर्ण नहीं किया । इसके विपरीत इन नेताआें को बचाकर, उनसे हाथ मिलाकर, राजनीतिक हित पूरे किए । भाजपा सरकार भक्तों द्वारा श्रद्धापूर्वक दान किया धन लूट रही है, यही दिखाई देता है ।
इस विषय में अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने कहा, भाजपा को सिंचाई की चिंता है, तो पहले अपने दल की अरबों की संपत्ति से ये सामाजिक काम करें । ‘पहले शासन की तिजोरी भ्रष्टाचार कर, खाली करना; फिर अपने दल की तिजोरी भरना और अंत में श्रद्धालुआें के धन को हडप कर सामाजिक कार्य करने का दिखावा करना’ ! यह राजनीति अब श्रद्धालु नहीं सहेंगे । इसके विरोध में आवाज उठाई जाएगी ।