नागपुर – विदर्भ पेरेंट्स असोसिएशन के अध्यक्ष संदीप अग्रवाल ने निजी स्कूलो द्वारा गठित पैरेंट्स टीचर्स असोसिएशन को बोगस बताया। श्री अग्रवाल ने कहा की महाराष्ट् एजुकेशन इंस्टीटूशन रेगुलेशन ऑफ़ फीस एक्ट २०११ के अनुसार सभी स्कूलो को PTA गठित करना अनिवार्य है। श्री अग्रवाल ने बताया की पेरेंट्स टीचर्स असोसिएशन का गठन हर वर्ष नए शैक्षणिक वर्ष के शुरू होने के ३० दिनो के भीतर करना अनिवार्य है। सभी पालको को इसका सदस्य बनाना अनिवार्य है।
शहरी इलाको में ५०/- रुपये भर कर पालक पेरेंट्स टीचर्स असोसिएशन का मेंबर बन सकता है तथा ग्रामीण इलाके में २०/- रुपये भर कर मेंबर बनाना पढ़ता है। इसके गठन के पहले स्कूल ने सभी अभिभावकों को सूचना देकर सदस्य बनाना चाहिए तथा पेरेंट्स टीचर्स असोसिएशन की सभा की सुचना अखबार में विज्ञापन देकर देना अनिवार्य है जिसकी वीडियोग्राफ़ी करना जरुरी है। परन्तु अधिकांश स्कूलो ने नियमो का पालन नहीं किया है।
सभी स्कूलो ने या तो अपने पक्ष के लोगो को लेकर दिखाने के लिए पेरेंट्स टीचर्स असोसिएशन गठित की है या फिर पेरेंट्स टीचर्स असोसिएशन का गठन ही नहीं किया है। बोगस पेरेंट्स टीचर्स असोसिएशन बना कर अपनी मनमर्जी से पिछले ९ वर्षो मे लगातार फीस वृद्धी की गई है। तथा अपने आर्थिक हितो की पूर्ति की जा रही है जिससे पालको को आर्थिक नुकसान उठाना पढ़ रहा है। श्री अग्रवाल ने आगे कहा की यह एक दंडात्मक अपराध है। ऐसी स्कूलो पर फौजदारी कार्यवाही कर गुन्हा दाखल करना चाहिए।
पेरेंट्स टीचर्स असोसिएशन के अधिकार के अनुसार फीस वृद्धि करने के लिए पहले उससे अनुमति लेना अनिवार्य है।
जिसके बाद विभागीय शिक्षण उपसंचालक की अनुमति लेनी पड़ती है परतुं दुर्भाग्य वश उनकी भी मंजूरी नहीं ली गयी है उसी तरह सीबीएसई का भी एक आदेश है की सभी स्कूलो ने स्कूल के सरप्लस फण्ड और बैलेंस शीट कि जानकारी स्कूल के वेबसाइड के माध्यम से पालको को बताना चाहिए परन्तु किसी भी स्कूल ने यह जानकारी उजागर नहीं की है।
श्री अग्रवाल ने मांग की पिछले ९ वर्षो में स्कूलो द्वारा की गई फ़ीस वृद्धि गैरकानूनी है अंतः पालको की फीस वृद्धी के पैसे वापस दिए जाये तथा जांच आयोग बनाकर जांच कर कार्यवाही की जाए।