मुंबई: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गोरेगांव में आयोजित विजय संकल्प सभा को संबोधित करते हुए कहा की, छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम सभा में लेना और सभा के बाद महाराज के नाम हफ्ता वसूलना जैसी दोहरी भूमिका शिवसेना अपनाती है, जबकि भाजपा छत्रपति शिवाजी महाराज के शासन प्रणाली से मार्गदर्शन लेते हुए पारदर्शी और प्रमाणिक शासन करना चाहती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिवसेना के साथ भाजपा किसी भी कीमत पर तोडऩा नहीं चाहती थी, लेकिन शिवसेना ने अहंकार भावना की वजह से वर्षों पुरानी युति तोड़ने का निर्णय ले लिया। पिछले 25 सालों से भाजपा के सहयोग से ही शिवसेना अपना महापौर बनाती रही और भाजपा उसका समर्थन करता रहा था।
इसी तरह शिवसेना ने विधानसभा चुनाव में भी युति तोड़ लिया था। लेकिन विधानसभा में अगर शिवसेना युति नहीं तोड़ती तो मैं कभी भी मुख्यमंत्री नहीं बन सकता था। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा अपने काम की बदौलत मुंबई महानगर पालिका चुनाव का सामना करने वाली है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस चुनाव में भाजपा विकास के मुद्दे को लेकर आम जनता के बीच जाने वाली है। पिछले 25 सालों तक भाजपा ने मुंबई की सत्ता शिवसेना को सौप रखा था, लेकिन शिवसेना के शासनकाल में मुंबई की दुर्दशा ही हुई है।