नागपुर: नागपुर सुधार प्रन्यास की अनियमितताओं की जाँच का जिम्मा पूर्व न्यायाधीश एम एन गिलानी को सौपी गयी है। बुधवार को मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने गिलानी की नियुक्ति का आदेश दिया। जाँच के लिए 6 महीने का समय भी दिया गया है। एनआइटी में हुई अनियमितताओं को लेकर न्यायालय में एक जनहित याचिका लंबित है। इस याचिका में कई सवाल उठाए गए थे जिनका जवाब अब तक सामने नहीं आ सका है। याचिका में उठाये गए मुद्दों को जाँचने के लिए जाँच समिति का गठन किया गया है।
समिति जिन मुद्दों पर जाँच करेंगी उनमे प्रमुख है
– तत्कालीन पालकमंत्री सतीश चतुर्वेदी और अन्य राजनेताओं द्वारा सार्वजनिक उपयोग की जगहों को सस्ती दरों पर अन्य लोगो को उपलब्ध कराना
– होटल तुली इंटरनेशनल को बचाने के लिए आयआरडीपी योजना के नियमों के पालन में ढिलाई बरतना
– कांग्रेस पार्टी को दी गई ज़मीन का व्यावसायिक इस्तेमाल
– सड़क निर्माण के ठेकेदार को दो करोड़ रूपए के अतिरिक्त बिल का भुगतान
– शहर में व्यावसायिक उपयोग में इस्तेमाल में ली जा रही ज़मीन की लीज रद्द करने में ढिलाई बरतना
– दलित बस्तियों में इस्तेमाल की जाने वाली निधि का किसी अन्य काम में इस्तेमाल करना
– सीताबर्डी के अभ्यंकर रोड में अवैध निर्माणकार्य को मंजूरी देना
नागपुर सुधार प्रन्यास पर अनियमितता के सवाल उठाते हुए अदालत में जनहित याचिका दाखिल की गयी थी। इन्ही की जाँच के लिए गिलानी समिति को नियुक्त किया गया है। गिलानी उच्च न्यायालय की मुंबई खंडपीठ से सेवानिवृत्त न्यायाधीश है।