नागपुर – दाभा की पार्षद दर्शनी धवड़ ने कहा कि नगरसेवकों और जनता के बीच में प्रशासन को सेतु के रूप में काम करना चाहिये, जिसमें प्रशासन बुरी तरह विफल रहा है. अधिकारियों ने नगरसेवकों को विश्वास में नहीं लिया जिससे नगरसेवकों की छबि खराब हुई और जनता ने भी उनको ही दोषी माना. जबकि प्रशासन अपनी कालर टाइट करने में लगा हुआ था.
दाभा का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जब एक मागासवर्गीय होस्टल में क्वारंनटाइन सेंटर शुरू किया जाना था नगरसेवक होने के नाते उनको खबर प्रशासन ने दी जानी थी. लेकिन उनके सेंटर में पहुंचने से पहले ही आक्रोशित भीड़ वहां जमा होने लगी थी.
इमारत के भीतर जाकर जब उन्होंने मनपा के कुछ अधिकारियों को पूछा तो उन्होंने बताया कि वे यह देखने आये थे कि यहां सेंटर शुरू किया जा सकता है या नहीं. कुछ ही मिनटों में वहां 300-400 लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई जो बहुत ही गुस्से में थे.
उन लोगों को वहां देखकर जब बड़े अधिकारी आने वाले थे वे आये ही नहीं और जनता के गुस्से का शिकार पार्षद हो होना पड़ा. मनपा ने नागपुर में कोरोना को रोकने के लिए अच्छा काम किया है, महापौर-आयुक्त के कार्यों की सराहना भी हो रही है, लेकिन यदि पार्षदों को भी अफसर इस अभियान में शामिल कर लेते जनाक्रोश को रोका जा सकता था. सर्वदलीय नगरसेवकों ने अपने-अपने स्तर पर अच्छा काम किया.
दाभा में बुजुर्ग और जरूरतमंद मरीजों को घर पहुंच दवाई दी गई. गरीबों को अनाज वितरित किया गया. प्रवासियों को उनके मूल गांव भेजा गया. अब भी प्रशासन यदि एकला चलो रे का नारा बंद करते हुए प्रशासन को साथ ले तो बेहतर होगा.
महिला नगरसेविकों के स्वाभिमान बचायाचर्चा के दौरान शिवसेना की महिला नगरसेविका मंगला ताई गवरे द्वार पेश किया गया स्थगन प्रस्ताव वापस लिये जाने पर सत्तापक्ष के पार्षदों द्वारा जब गंभीर आरोप लगाये गये तब दर्शनी धवड़ भड़क गई.
महिला पार्षदों के स्वाभिमान का मुद्दा उठाते हुए कहा कि जब संबंधित महिला पार्षद वहां उपस्थित ही नहीं है तो उसके बारे में चर्चा ही क्यों होनी चाहिये. नितिन साठवणे पर दर्ज केस वापस लेने की भी पुरजोर मांग की.