Published On : Fri, Oct 12th, 2018

राफेल और पतंजलि विवाद ने SEZ मिहान की साख में लगाया बट्टा

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नागपुर : नागपुर SEZ (स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन) के विकास के क्रांतिकारी दावे धरे के धरे रह गए। बीते डेढ़ वर्षो में हालात और बुरे हो गए है इस दौरान एक भी बड़ी कंपनी ने मिहान में निवेश नहीं किया है। बीजेपी सरकार आने के बाद मिहान के विकास को लेकर कई दावे किये थे लेकिन ये दावे हकीकत में पूरे होते दिखाई नहीं दे रहे है। मिहान के सूत्र बताते है की बीते दो वर्ष के भीतर कई बड़ी कम्पनियों ने निवेश की रूचि जरूर दिखाई। लेकिन राफेल और पतंजलि को लेकर हुए विवाद के चलते उन्होंने इससे किनारा कर लिया।

मिहान को एयरोस्पेस हब, फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट और एक्सपोर्ट हब के रूप में विकसित किये जाने की बात कही गयी थी। इसी दिशा में बढ़ते हुए इन तीनो सेक्टरों में काम करने वाली कंपनियों से संपर्क कर उन्हें मिहान में निवेश के लिए रिझाने का भरकस प्रयास भी किया गया। लेकिन इसी बीच अनिल अंबानी की कंपनी रिलाइंस एयरोस्पेस लिमिटेड ने नागपुर में बड़ा निवेश का करार किया। कंपनी की ओर से यहाँ धीरूभाई अंबानी एयरोस्पेस पार्क बनाने का फ़ैसला लिया गया। इसी दौरान कंपनी ने राफेल विमान के आयात के लिए फ़्रांस की कंपनी दसॉल्ट के साथ ऑफसेट करार किया।

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इस करार के तहत एयरोस्पेस पार्क के भीतर ही दसॉल्ट रिलायंस ऐरोस्पेसस लिमिटेड ने हालही में अपना काम भी शुरू कर दिया है। इसी बीच राफेल विमान सौदा विवादों में आ गया। जिसकी वजह से इसका सीधा असर मिहान में हुआ और कई बड़ी कंपनियों ने निवेश के अपने प्लान को बदल दिया।

एयरोस्पेस हब के तहत टाटा समूह भी एक विदेशी कंपनी के साथ और अडानी ग्रुप स्वीडिश कंपनी “साब” के साथ मिलकर प्रोजेक्ट स्थापित करने की तैयारी में थे। इसके लिए बाकायदा दोनों औद्योगिक समूहों के अधिकारियों ने मिहान का दौरा भी किया था। लेकिन बीते दिनों हुए विवाद के चलते टाटा और अदानी ने अपने पाव पीछे खींच लिए। टाटा के बारे में जानकारी मिली है कि वो अब अपने एयरोस्पेस प्रोजेक्ट को महाराष्ट्र के बगल के राज्य तेलंगाना की राजधानी अमरावती में स्थापित करने की तैयारी में है। जहाँ समूह को सस्ती ज़मीन के साथ अन्य सुविधाएँ उपलब्ध कराने का वादा तेलंगाना सरकार द्वारा किया गया है।

पतंजलि को सस्ती ज़मीन देना सरकार को पड़ा मँहगा
मिहान से जुड़े सूत्र बताते है कि बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि को मिहान में ज़मीन देकर जितना फ़ायदा नहीं हुआ उससे ज़्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है। सरकार के इस फैसले और उससे जुड़े विवाद के सार्वजनिक होने के बाद उद्योगपति उसी दर पर ज़मीन माँग रहे है जिस दर पर बाबा रामदेव को दी गई है।

बाबा रामदेव को सस्ती ज़मीन देने के चलते हुए नुकसान की भारपाई के लिए राज्य सरकार ने मिहान में ज़मीन की कीमत लगभग 15 प्रतिशत बढ़ा दी जिस वजह से उद्योपति यहाँ आने से हिचक रहे है। नागपुर में निवेश का मन बनाने वाले उद्योगिक समूहों के लिए राज्य के पडोसी राज्य तेलंगाना या छत्तीसगढ़ ज़्यादा रास आ रहा है क्यूँकि वहाँ महाराष्ट्र के मुकाबले ज़मीन,पानी,बिजली अधिक सस्ती है।

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