मुख्यमंत्री शिवसेना का तो एनसीपी व कांग्रेस के कोटे में महत्वपूर्ण मंत्रालय होंगे
नागपुर – महाराष्ट्र में 3 सप्ताह पूर्व विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित हुई। भाजपा-सेना मिलकर चुनाव लड़ी जरूर लेकिन भाजपा के बिगड़ैल बोल से सेना हताहत हो गई। इस चक्कर में युति की सरकार बनते-बनते रह गई। अब सेना-एनसीपी-कांग्रेस की तिकड़ी गठबंधन सरकार जल्द से जल्द बनाने की कवायद शुरू हो चुकी हैं, अगर तीनों पक्षों ने दिरंगाई की तो तीनों पक्षों के विधायक बिखर सकते हैं।
समझा जाता हैं कि राष्ट्रपति शासन राज्य में लगाने के जिम्मेदार भाजपा हैं, इसलिए इनके खिलाफ विचारधारा अलग अलग होने के बावजूद सेना,एनसीपी व कांग्रेस पार्टी एक मंच पर आकर संयुक्त बैठक कर स्थिर सरकार देने पर सक्रिय हैं। जल्द ही इस मसले पर सकारात्मक निर्णय के बाद तीनों पक्षों की भूमिका सह मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी तय कर ली जाएंगी।
यह भी छन-छन कर खबर आ रही हैं कि सेना का जोर मुख्यमंत्री पद तो एनसीपी सहकार,कृषि,जल संधारण आदि मंत्रालय अपने हिस्से में रखने पर जोर रहेंगी। वहीं कांग्रेस का शेयर एनसीपी और सेना से बचे मंत्रालय पर रहेंगा। इतना ही नहीं तीनों पक्षों द्वारा छोटे छोटे पक्ष सह निर्दलीयों को अपने अपने पक्ष का सहयोगी बनाने पर भी सक्रिय देखा जा रहा। एनसीपी तो एकदम आगे चल कर पक्ष छोड़ कर गए नेताओं/विधायकों को खुले मन से अपनाने का आमंत्रण भी दे चुकी हैं।
तीनों पक्षों की कागजों पर तय रणनीति तैयार होने के बाद तीनों पक्षों के चयनित नेताओं का शिष्टमंडल संभवतः सप्ताह भर के भीतर राज्यपाल से मुलाकात कर नई सरकार गठन के लिए प्रस्ताव रखेंगा।फिर राज्यपाल केंद्र सरकार सह राष्ट्रपति को राष्ट्रपति शासन हटाने व नई सरकार गठन के लिए मंजूरी देने की शिफारिश करेंगा।
उल्लेखनीय यह हैं कि उक्त त्रिपक्षीय सरकार बनी तो सेना कोटे से आशीष जैस्वाल,कांग्रेस से नितिन राऊत व एनसीपी कोटे से अनिल देशमुख का नंबर मंत्रिमंडल में लग सकता हैं।