नागपुर: कहते है प्रतिभा सिर्फ़ परखने की मोहताज़ होती है वह पहचान खुदबखुद बना लेती है। यह बात नागपुर के बालसदन में रहने वाले 10 वर्षीय बालक साहिल केने पर बिलकुल सटीक बैठती है। आर्थिक रूप से कमजोर और किसान परिवार का बालक साहिल इन दिनों शहर की मीडिया में छाया हुआ है वज़ह उसके अंदर की छुपी कला और उसे मिलती कामियाबी है। आमतौर पर किसी से भी हिचक के साथ बात करने वाले इस बालक ने बीते दिनों एक शार्ट फिल्म में अभिनय किया। भाई – बहन के रिश्ते और प्रेम पर केंद्रित धागा नामक फिल्म दुनिया में प्रतिष्ठा रखने वाले कॉन्स फिल्म फेस्टिवल में जा पहुँची है। 17 मई से 28 मई के बीच फ्रांस के कॉन्स शहर में होने वाले 70 वे फिल्म फेस्टिवल में इसका प्रीमियर भी होगा। इससे पहले यह फिल्म मामी फिल्म फेस्टिवल में टॉप 10 रही इतना ही नहीं हालही में दिल्ली में हुए इंटरनेशनल शॉट फिल्म फेस्टिवल में फिल्म को स्पेशल फ़ेस्टिवल मेंशन का सम्मान भी प्राप्त हुआ साथ ही ऑस्ट्रेलिया में बीते दिनों आयोजित आरएमआईटी फिल्म फेस्टिवल में इसकी खास स्क्रीनिग की गई । साहिल केने के साथ बाल सदन के ही तीन अन्य बच्चे इस फिल्म में मुख्य किरदार में है।
इस फिल्म का निर्देशन और निर्माण नागपुर के ही युवा निर्देशक राज आर गुप्ता ने किया है। मूलतः नागपुर के राज इन दिनों मुंबई में रहते है और बॉलीवुड के साथ जुड़े है। इस फिल्म को बनाने के पीछे की कहानी का जिक्र करते हुए राज ने कहाँ वह भले ही मेनस्ट्रीम फिल्म लाइन से जुड़े हो पर शॉर्टफिल्म बनाना उनका शौक है। इसके पीछे का उनका नज़रिया है की इसमें आप चंद मिनटों में अपनी सोच और भावना को सिनेमा के कैनवास पर उतार सकते है। शॉर्ट फिल्मों की एक ख़ासियत है की इसका बजट कम होता है। जिस वजह से इसे पसंद करने वाले लोगों का द्रष्टिकोण कमर्शियल नहीं होता। जो इसे बनाना चाहता है वह पैसा नहीं कमाना चाहता और जो इसका दर्शक वर्ग है वह मनोरंजन से इतर संजीदा विषयों पर अपनी रूचि की वजह से इसे पसंद करता है।
राज बीते 9 वर्षो ने मुंबई में रह रहे है इस दौरान उन्होंने तनु वेड्स मनु,डी डे,मैरीकॉम,नौटंकी साला जैसी अन्य फिल्मों में बतौर स्क्रिप्ट सुपरवाइजर काम किया है। उनकी भविष्य में हिंदी फिल्म बनाने के प्रोजेक्ट पर भी इन दिनों वो काम कर रहे है।
अपनी शार्ट फिल्म धागा पर बात करते हुए राज ने कहाँ की वह काफ़ी वक्त से इस फिल्म के लिए काम कर रहे थे। चुकी वो नागपुर से है इसलिए उनका शहर से ख़ास लगाव है। धागा कहानी प्रमुख तौर पर भाई बहन के प्रेम पर आधारित है। अपनी फिल्म के लिए उन्होंने गाँव की पृष्ठभूमि को चुना। उनके नजरिये से किसी भी किरदार को वह व्यक्ति ज्यादा बेहतर ढंग से निभा सकता है जो उन परिस्थियों को हमेशा जीता हो। उनके साथ अच्छा रहा की उनके सभी कलाकार उनके हर पात्र को कही न कही निजी जीवन में जी रहे थे। फिल्म का मुख्य किरदार निभा रहे साहिल की ख़ोज कैसी हुई इस सवाल पर उन्होंने बताया की वह आर्टिस्ट और लोकेशन की खोज कर रहे थे तभी बालसदन से जुड़ा उनका दोस्त उनसे मिला। फिल्म का बजट ज्यादा नहीं था इसलिए बालसदन के बच्चो का स्क्रीन टेस्ट लिया गया। यहाँ उन्हें उनकी उम्मीद से ज्यादा बेहतर कलाकर मिले साहिल और उसके चार अन्य दोस्त यही बालसदन के है।