नागपुर: नागपुर मनपा इन दिनों आर्थिक तंगी से जूझ रही हैं. इससे उबरने के लिए संपत्ति कर के बकायेदारों को ब्याजमुक्त बकाया चुकने का अवसर दिया गया था. जब इसे भी बकायेदारों ने नाकार दिया तो उनमें से कुछ बकायेदारों की संपत्ति निलाम करने की सारी प्रक्रिया पूरी की गई. इस क्रम में शुक्रवार को मंगलवारी जोन की ७ सम्पत्तियां निलाम होनी थी, कि एक दिन पहले जोन प्रमुख हरीश राऊत ने आनन-फानन में उपायुक्त रविंद्र देवतले से मिली भगत कर होने वाली निलामी रद्द करने की घोषणा कर दी. इस घटनाक्रम से मनपा के अतिरिक्त आयुक्त रविंद्र कुंभारे काफी झल्ला गए और मंगलवारी जोन के वार्ड अधिकारी हरीश राऊत को शाम होते कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया. सूत्रों की माने तो कुंभारे देर-सवेर उपायुक्त देवतले से इस उठाए गए कदम पर खुलासा मांग सकते हैं.
ज्ञात हो कि शहर में संपत्ति कर के १ लाख ३१ हज़ार बकायेदार हैं, जिन्होंने वर्षों से कर जमा नहीं करवाया है. इन पर लगभग २४० करोड़ रूपए बकाया है. इनमें से सिर्फ मंगलवारी जोन अंतर्गत १५९२४ बकायेदारों का समावेश है.
मनपा प्रशासन ने बकायेदारों से निबटने के लिए पहले चरण में मात्र ९६० बकायेदारों की संपत्ति निलाम करने की योजना बनाई थी. इसमें से भी ७ मंगलवारी जोन के हैं, जिन पर १९ लाख ४३ हजार ३९७ रूपए बकाया है.
निलामी की सारी प्रक्रिया मनपा के अतिरिक्त आयुक्त रवींद्र कुंभारे के मार्गदर्शन में किया गया. इसके प्रचार के लिए लाखों रुपए के विज्ञापन भी जारी किए गए.
बावजूद इसके मंगलवारी के वार्ड अधिकारी हरीश राऊत ने आज १० नवम्बर को होने वाली ७ बकायेदारों की निलामी प्रक्रिया के एक दिन पूर्व बिना कुंभारे और कर विभाग प्रमुख मिलिंद मेश्राम के जानकारी में लाये अपने चहेते उपायुक्त रवींद्र देवतले के आदेश से रद्द कर दिया, जिसे लेकर अचंभा व्यक्त किया जा रहा है.
मंगलवारी जोन के १५९२४ बकायेदारों में से १०२३ बकायेदारों का वारंट जारी किया गया था, जिसमें से ११५ बकायेदारों की सम्पत्तियां निलामी के लिए तय की गई थी.
सूत्रों के अनुसार कुंभारे या मनपायुक्त अश्विन मुद्गल जल्द ही उपायुक्त रवींद्र देवतले से जवाब तलब कर इस आदेश को पारित करने का कानूनी आधार का स्पष्टिकरण मांगेंगे. साथ ही निलामी की प्रक्रिया रोकने में हरीश राऊत की मदद करने का भी जवाब मांगा जाएगा. इस सन्दर्भ में एक अन्य वार्ड अधिकारी का कहना हैं कि मनपा के जोनों में तैनात वार्ड अधिकारियों से देवतले के काफी गहरे ताल्लुकात हैं. सभी वार्ड अधिकारी मुद्गल व कुंभारे के बजाय देवतले को तरजीह देते हैं. इनका तो यह भी साफ़ तौर पर कहना था कि कारण बताओ नोटिस महज खानापूर्ति है. क्या आज तक मनपा प्रशासन ने किसी विभाग प्रमुख या वार्ड अधिकारी के गिरेबान में हाथ डालने की कोशिश की. इस मामले में प्रशासन को सत्तापक्ष से विरोध का सामना करना पड़ सकता हैं.