- ठेकेदार-अभियंता में साठगाँठ से आरोप
- सवालों के घेरे में सार्वजनिक बाँधकाम विभाग
- सबूत नष्ट करने ठेकेदार पेड़ों को समूल उखाड़ रहे
- समय पूर्व उच्चाधिकारियों को चेताने जनता ने दागे सवाल
उमरखेड़। सार्वजनिक बाँधकाम उपविभाग, उमरखेड़ के अंतर्गत आने वाली सड़कों के किनारे स्थित बड़े-बड़े वृक्षों को अवैध तरीके से काटे जा रहे हैं. इसमें उपविभाग की मूक सहमति व ठेकेदारों के साथ मिलीभगत के आरोप जनता द्वारा लगाये जा रहे हैं.
प्राप्त जानकारी के अनुसार, ढाणकी, मुलावा, पुसद, मालेगाँव की सड़कों के किनारे लगे बाभली व अन्य प्रजाति के बड़े-बड़े वृक्ष काटे जाने के बाद भी सार्वजनिक बाँधकाम विभाग ध्यान नहीं दे रही है. इस वृक्ष कटाई में ठेकेदार व अभियंता के बीच साठगाँठ होने की चर्चा की जा रही है.
पर्यावरण व सड़क से गुजरने वाले लोगों को ठंडी छाँव मिले इसके लिए सरकार द्वारा करोड़ों की लागत से अनेकानेक किस्म के वृक्ष लगाये जाते हैं. इसकी देखरेख की जिम्मेदारी सार्वजनिक बाँधकाम विभाग पर होने के बावजूद इस तरह से वृक्षों का काटा जाना बेहद आश्चर्यजनक है, क्योंकि कुछ वृक्षों की टहनियाँ व कुछ वृक्षों को समूल उखाड़ दिया जा रहा है. इससे बड़े पैमाने पर विनाश और अनियमितता के कयास लगाये जा रहे हैं.
उक्त वृक्ष कटाई के लिए महसूल विभाग की परमिट की आवश्यकता होती है अथवा नहीं क्योंकि ठेकेदारों द्वारा काटे जा रहे वृक्षों को समूल उखाड़ कर सबूत नहीं छोड़ा जा रहा है. इन सड़कों के किनारे कितने वृक्ष हैं, इसकी जानकारी सार्वजनिक बाँधकाम विभाग को है भी नहीं? ऐसे कई सवाल उठने लगे हैं.
ऐसे सवालों के बीच यह भी पूछा जा रहा है कि इन इलाकों की सड़क किनारे कितने वृक्ष थे और इन्हें किन आदेशों के बिनाह पर काटे जा रहे हैं? इसकी सम्पूर्ण जानकारी उच्चाधिकारियों को तत्काल लेनी होगी ताकि फिर किसी जाँच कमेटी को गठित कर चोरी से ज्यादा खर्च सरकार को वहन न करना पड़े?