Published On : Mon, Nov 16th, 2020

पाप पुण्य का बंटवारा नहीं होता- आचार्यश्री पंचकल्याणकसागरजी

नागपुर : पाप पुण्य का बंटवारा नहीं होता यह उदबोधन आचार्यश्री पंचकल्याणकसागरजी गुरुदेव ने चातुर्मास कलश निष्ठापन पर सोमवार को इतवारी लाडपुरा स्थित श्री दिगंबर जैन सेणगन मंदिर के सन्मति भवन सभागृह में दिया.

चातुर्मास कलश प्राप्त करने का सौभाग्य शशिकांत मुधोलकर परिवार, अरुण जैन परिवार, दिनकर जोहरपुरकर परिवार को प्राप्त हुआ. सराकोद्धारक आचार्यश्री ज्ञानसागरजी गुरुदेव को विनयांजलि अर्पित की. चातुर्मास मुनि आहार व्यवस्था समिति के संयोजक सूरज जैन पेंढारी ने विचार व्यक्त किया.

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आचार्यश्री ने कहा पाप पुण्य का बंटवारा नहीं होता. संसार में कोई वस्तु पूण्य से मिलती हैं. पुरुषार्थ से मिली वस्तु सुरक्षित रखते हैं. संसार से गुरु से बढ़कर कोई नहीं हैं. भक्ति करते करते भगवान बन जाये. मनुष्य पर्याय दुर्लभ हैं, अनंत अनंत काल के भ्रमण के पश्चात हमें मनुष्य भव हमें मिलता हैं. इस पर्याय को प्राप्त कर आत्मा का कल्याण हो सकता हैं. कार्यक्रम का संचालन सतीश जैन पेंढारी ने किया. 30 नवंबर को पिच्छी परिवर्तन का कार्यक्रम होगा.

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