Published On : Wed, Aug 17th, 2022
By Nagpur Today Nagpur News

मोबाइल के लिए एक ही चार्जर

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– सैमसंग, ऐपल, श्याओमी व अन्य फर्मों के प्रतिनिधि संग सरकार की बैठक आज

नागपुर – उपभोक्ता मामलों के विभाग स्मार्टफोन, टैबलेट्स और वियरेबल डिवाइस समेत ज्यादातर मोबाइल उपकरणों के लिए एकसमान चार्जर की संभावना तलाशने के लिए 17 अगस्त को उद्योग के प्रतिनिधियों संग बैठक करने जा रहा है। मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा, अगर यह लागू हो गया तो उपभोक्ताओं के लिए चीजें आसान हो जाएंगी।

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अधिकारियों के मुताबिक, स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों मसलन सैमसंग, श्याओमी, ऐपल, एचपी व अन्य बड़ी कंपनियों को बैठक में आमंत्रित किया गया है।

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की चीफ कमिश्नर निधि खरे ने कहा, ‘हम मूल रूप से ज्यादातर उपभोक्ताओं की समस्या सामने रख रहे हैं क्योंकि एक ही ब्रांड के विभिन्न उपकरणों के लिए उन्हें अलग-अलग चार्जर खरीदने की दरकार होती है। इसी तरह अगर वे अलग-अलग ब्रांडों के मोबाइल इस्तेमाल कर रहे हैं तो भी उन्हें अलग-अलग चार्जर चाहिए होता है। यह उपभोक्ताओं के लिए परेशानी का कारण बन गया है।’

खरे ने कहा, ‘यह मांग भारत के लिए अनोखी नहीं होगी क्योंकि हम वैश्विक स्तर पर उपभोक्ताओं की तरफ से ऐसी मांग देख रहे हैं। हम उनके सामने कुछ प्रस्ताव रख सकते हैं – जैसे आधारभूत की-पैड वाले मोबाइल फोन के लिए एक ही चार्जर हो और अन्य तरह के चार्जर का इस्तेमाल सभी स्मार्टफोन में किया जा सके, चाहे वह किसी भी ब्रांड का हो। इससे इलेक्ट्रॉनिक कचरे में भी कमी आएगी। यह बैठक यूरोपीय आयोग के हालिया कदम के बाद देखने को मिल रही है, जिसमें आयोग ने एक प्रस्ताव पारित किया है कि सभी स्मार्टफोन निर्माताओं को ईयू के सभी देशों में साल 2024 तक सभी मोबाइल उपकरणों के लिए यूएसबी-सी एकल चार्जिंग मानक वाले बनाने होंगे।’

नए नियम के तहत यूरोप में उपभोक्ताओं को नया मोबाइल खरीदने पर अलग-अलग चार्जिंग डिवाइस व केबल की दरकार नहीं होगी। इससे यूरोपीय यूनियन और बेहतर हो जाएगा, इलेक्ट्रॉनिक कचरा घटेगा और उपभोक्ताओं की जिंदगी आसान हो जाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोपीय कानून निर्माता उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले समय में फोन व ऐसे ही गैजेट के साथ चार्जर नहीं बिकेगा क्योंकि उपभोक्ताओं के पास पहले से ही घर में उपयुक्त चार्जर उपलब्ध होगा। रिपोर्ट द वर्ज में कहा गया है, ईयू का अनुमान है कि नए नियम से हर साल अनावश्यक चार्जर खरीद के तहत उपभोक्ताओं के 25 करोड़ यूरो बच जाएंगे। साथ ही सालाना 11,000 टन इलेक्ट्रॉनिक कचरे में कमी आएगी।

भारत में यह मसला और अहम है क्योंकि ओईएम एक्सेसरीज महंगे होते हैं और यूजर्स सस्ते यानी जेनेरिक चार्जर या चार्जिंग केबल खरीद लेते हैं, जिससे जानलेवा दुर्घटनाएं होती हैं।

लोकलसर्किल के ताजा सर्वेक्षण के मुताबिक, 10 में से 7 उपभोक्ता मानते हैं कि अलग-अलग मोबाइल के अलग-अलग चार्जिंग केबल होने से उपकरण निर्माताओं को एक्सेसरीज की बिक्री अधिकतम करने में मदद मिलती है। सर्वेक्षण में यह भी पता चला कि 10 में से नौ उपभोक्ता चाहते हैं कि सरकार स्मार्टफोन व टैबलेट्स के लिए एकसमान चार्जिंग केबल का प्रावधान करे।

विश्लेषकों के मुताबिक, ईयू का फैसला ऐपल को सबसे ज्यादा प्रभावित करेगा क्योंकि वह चार्जिंग के लिए यूएसबी-सी पोर्ट का इस्तेमाल नहीं करती। भारत में ऐपल स्मार्टफोन की हिस्सेदारी कुल बाजार में काफी कम है लेकिन धीरे-धीरे बाजार हिस्सेदारी हासिल कर रही है। हालिया तिमाही के कंपनी के नतीजे में कहा गया कि कंपनी ने भारत में अपना राजस्व दोगुना कर लिया।

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