नागपुर: आप स्मार्ट न बनें, क्योंकि शहर स्मार्ट बन चुका है. इस गलतफहमी में रहने की कोशिश मत कीजिए कि कोई देख नहीं रहा है. आज की एक-एक गतिविधियों पर पैनी नजर है. अगर चौक-चौराहों पर पुलिस या ट्राफिक पुलिस नहीं है, तो रेड लाइट तोड़ने की जुर्रत भी न करें, क्योंकि आपकी गाड़ी के नियम तोड़ते ही सिस्टम ‘बीप’ के जरिए पुलिस को सूचित कर देता है कि इस नंबर की गाड़ी ने ट्राफिक नियम का उल्लंघन किया है. रांग साइड चलने की भी खामियां आप भुगत सकते हैं. यह अलग बात है कि अभी बहुत ज्यादा लोगों को एक-एक चीज के लिए चालान नहीं देना पड़ रहा है.
700 जंक्शन में 3861 कैमरे
पुलिस और मनपा विभाग ने काफी सर्वे के बाद 700 जंक्शन की पहचान की है, जहां पर जरूरत के हिसाब से लगभग 3861 कैमरे लगाये गए हैं. ये कैमरे आपकी हर गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं.
अगर वाहन के अंदर भी कोई गलत काम हो रहा है, तो कंट्रोल रूम में बैठा व्यक्ति आपको ‘कैमरे में कैद’ कर सकता है. यानी अब बचने का कोई चांस ही नहीं है. 700 जंक्शन के शहर सीमा में ही नहीं, बल्कि कामठी, हिंगना जैसे क्षेत्रों में भी है.
फुटेज से 220 मामले सुलझे
चप्पे-चप्पे पर लगे कैमरे पुलिस विभाग के लिए ‘रामबाण’ का काम करने लगे हैं. कंट्रोल रूम को अब तक 500 से अधिक आवेदन फुटेज देने के मिले. कंट्रोल रूम ने 500 मामलों में फुटेज प्रदान किए. पुलिस ने इन फुटेज की मदद से 220 मामलों को सुलझाने में सफलता पाई है.
इसे सबूत के तौर पर कोर्ट में भी पेश किया गया है. शहर के किसी भी क्षेत्र में होने वाले वारदात को कैमरा कैद कर रहा है और पुलिस के लिए ‘अतिरिक्त हाथ’ के रूप में काम कर रहा है.
50 मीटर की रेंज
प्रत्येक स्थान पर 3 प्रकार के कैमरे लगाये गए हैं. एक कैमरा नंबर प्लेट की जांच करता है, दूसरा कैमरा हेल्मेट नहीं पहनने वालों पर नजर रखता है, जबकि तीसरा कैमरा अन्य गतिविधियों पर नजर रखता है. मल्टी सेंसिंग कैमरे 360 डिग्री घूमते हैं और इसकी रेंज न्यूनतम 50 मीटर है.
50 मीटर की चीजों को यह साफ-साफ कैप्चर करता है. यह रेंज काफी है और दूर-दूर तक की गतिविधियों को यह अपने में कैद कर कंट्रोल रूम को सूचित करने में सक्षम है. रात हो या दिन कैमरे 24 घंटे, 7 दिन काम करते रहते हैं.
बड़े चौराहों पर ज्यादा कैमरे
जानकारों ने बताया कि बड़े चौराहों पर ज्यादा कैमरे लगाये गए हैं. जैसे शंकरनगर, वेरायटी चौक, आठ रास्ता चौक, फव्वारा चौक, रिजर्व बैंक चौक में जरूरत के हिसाब से 6 से 7 कैमरों का सेट लगा है. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में किसी भी एंगल को छोड़ा नहीं जा रहा है. इसी प्रकार जो छोटे चौक हैं, वहां पर 2 कैमरों से ही काम चल रहा है.
सिग्नल के टाइमर में बदलाव
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत लगे इन कैमरों और सेंसर की एक खासियत यह भी है कि यह सिग्नल के टाइमर को भी भीड़ देखकर खुद बदल देता है. सेंसर यह संकेत करता है कि चौराहे के इस क्षेत्र में वाहनों का घनत्व (संख्या) ज्यादा है, तो टाइमर खुद निर्धारित 60 सेकंड के समय को बढ़ाकर 90 सेकंड या 80 सेकंड कर देगा.
खाली मार्ग के टाइमर को खुद 30 सेकंड से घटाकर 15 या 20 सेकंड में बदल देगा. इससे राहगीरों को आसानी होती है. स्वचालित तरीके से कुछ स्थानों पर इसका सफल परीक्षण हो चुका है.