नागपुर- पिछले सप्ताह स्मार्ट सिटी की महिला महिला पुनर्वसन अधिकारी ने स्मार्ट सिटी अधिकारी,उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी,मानव संसाधन अधिकारी को पत्र लिख जानकारी दी कि स्मार्ट सिटी के महाप्रबंधक (इंफ़्रा) द्वारा मानसिक रूप से परेशान और अपमानित भी किया जा रहा। इसलिए उन्हें ‘वर्क फ्रॉम होम’ की अनुमति दी जाए। इस महिला कर्मी के निवेदन को प्रशासन ने फिलहाल कचरे की टोकरी में डाल दिया हैं।
इस महिला अधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को जानकारी दी कि उन्हें 19 मार्च 2020 से 28 दिनों के लिए ‘होम क्वारंटाइन’ किया गया था। इनकी नियुक्ति 7 जनवरी 2020 को हुई,इन्हें महाप्रबंधक इंफ़्रा द्वारा ‘पेंडिंग वर्क’ को पूर्ण करने की जिम्मेदारी दी गई। इसके साथ ही महाप्रबंधक इंफ़्रा व महाप्रबंधक मोबिलिटी द्वारा सहयोग नहीं मिल रहा। उलट दोनों अड़चन निर्माण कर रहे।
मैं ‘होम क्वारंटाइन’ होने के कारण मुझे उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने ‘वर्क फ्रॉम होम’ हेतु अनुमति दी इसके बावजूद महाप्रबंधक इंफ़्रा द्वारा परेशान किया जा रहा। ‘वर्क फ्रॉम होम’ के हिसाब से मैंने कुछ फाइल अपने घर बुलवाई लेकिन घिये ने उन फाइलों को वापिस मंगवा लिया। इतना ही नहीं घिये ने 9 अप्रैल 2020 को स्मार्ट सिटी की बैठक में भी जबरन आने का आदेश दिया,जबकि ‘होम क्वारंटाइन’ होने के कारण घर से ही काम करने का निर्देश वरिष्ठ अधिकारी ने दिया था।
घिये ने मेरे ‘होम क्वारंटाइन’ रहते हुए मेरे कार्यालय के अलमारी से सभी फाइल निकाल कर अपने कब्जे में रख लिया।सवाल यह हैं कि गर कोई फाइल घूम हुई तो किसी जिम्मेदारी रहेंगी।
9 अप्रैल 2020 की बैठक के बाद घिये ने अपने कक्ष में मुझे बुलाया और उलट-पुलट सवाल करने के अंत में कहा कि एक महीने बाद आपका चेहरा देख रहा हूँ।
इस महिला अधिकारी ने मांग की कि उनका स्वास्थ्य पूर्णतः ठीक नहीं हुआ, इसलिए उन्हें घर से ही काम करने दूय जाए। बारंबार कार्यालय न बुलाया जाए।’होम क्वारंटाइन’ होने के बाद घर से बाहर जाना गैरकानूनी हैं।
यह भी जांचना होंगा कि उक्त ‘होम क्वारंटाइन’ महिला अधिकारी किस किस के संपर्क में आई। उक्त मामलात की गंभीरता को देखते हुए नियमानुसार कार्रवाई होनी चाहिए।