Published On : Sun, Feb 5th, 2023
By Nagpur Today Nagpur News

संशोधित………. हिन्दू राष्ट्र तो ठीक, किन्तु…

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कौन है यह धीरेन्द्र शास्त्री? किसकी उपज है यह? कौन सिंचित कर रहा इसे? कौन महिमा मंडित कर रहा इसे? क्या इसके पीछे किसी राजनीतिक शक्ति का हाथ है? क्या इसे सत्ता संरक्षण प्राप्त है? रातों रात यह हिन्दू धर्म के एकमात्र संरक्षक के रूप में कैसे स्थापित हो गया? खबरिया चैनल इसे इतना कवरेज क्या यूं ही दे रहे हैं? खोजी पत्रकारों के लिए ‘धीरेन्द्र शास्त्री’ एक खोज का विषय है. क्या खोजी पत्रकार इस चुनौती को स्वीकार करेंगे? इसके पक्ष-विपक्ष में अनेक किस्से चल रहे हैं, चलाए जा रहे हैं. ऐसे में इसका सच आना जरूरी है. हिन्दू राष्ट्र का यह कथित संवाहक कहीं समाज में अराजकता फैलाने की किसी योजना पर तो नहीं काम कर रहा? क्या इसके पीछे ऐसी कोई ताकत है, जो हिन्दू राष्ट्र के नाम पर समाज में अराजकता पैदा कर चुनावी लाभ लेना चाहती है?

हिन्दू राष्ट्र को लेकर जो विवाद शुरू हुआ है या शुरू करा दिया गया है, बड़ी विचित्र बात है. विश्लेषक पूछ रहे हैं कि आखिर देश को हो क्या गया है या फिर देश में हो क्या रहा है. संविधान में भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र कहा गया है. उसे खुलेआम चुनौती दी जा रही है. एक 26 साल का युवा खुलेआम चुनौती देकर कहता है कि हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होगी. हिन्दू राष्ट्र की यह मांग, कोई करे; अपनी जगह है. उसका लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन धीरेन्द्र शास्त्री जिस रूप में संविधान को चुनौती दे रहा है, हिन्दू राष्ट्र स्थापना की बात कर रहा है, और जिस प्रकार से इसके लिए अभियान चला रहा है अनेक सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर धीरेन्द्र शास्त्री उपज है तो किसकी? कौन है इसके पीछे? यह अकेला नहीं हो सकता है. इसके पीछे कोई न कोई बड़ी रणनीतिक राजनीतिक लक्ष्य है.

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ध्यान रहे, जरा पीछे हटकर घटना के क्रम या शुरुआत पर ध्यान दें. नागपुर में धीरेन्द्र शास्त्री ने ‘आपके घर में क्या कहां है, आपके मन में क्या है…’ बातों को बताकर स्वयं को चमत्कारी बाबा के रूप में पेश किया. अपने आपको बागेश्वर बाबा कहा. इसके चमत्कारों की चर्चा खबरिया चैनलों से लेकर अखबारों तक में चमत्कारी बाबा के रूप में हुई. और जब उन्हीं खबरिया चैनलों पर कुछ युवाओं ने धीरेन्द्र शास्त्री के चमत्कार का तोड़ दिखलाया, तो यह साबित हुआ कि यह ‍विशुद्ध ट्रिक है, कला है. फ्राड, धोखेबाज, पाखंडी के लांछन लगने लगे तो धीरेन्द्र शास्त्री ने अपनी गतिविधियों में तुरंत परिवर्तन कर लिया. कहने लगा कि वह चमत्कारी नहीं है. अब वह हिन्दू राष्ट्र की बात करने लगा है. कहता है कि ‘तुम मेरा साथ दो मैं तुम्हें हिन्दू राष्ट्र दूंगा’. वह यह बात ऐसे बोलता है जैसे उसके जेब में हिन्दू राष्ट्र पड़ा हुआ है और वह तुरंत निकालकर दे देगा. ध्यान रहे, इस लहजे में बात करना अपने आप में एक अपराध है. आप कुछ भी मांग कर सकते हैं, यह आपका अधिकार है, लेकिन आप संविधान को चुनौती नहीं दे सकते हैं. संवधिान ने भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बताया है. और यह संविधान की बुनियादी संरचना में आता है. इसे न तो चुनौती दी जा सकती है और न ही इसमें संशोधन किया जा सकता है. यह पूरी तरह स्पष्ट है. सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ऐसी व्यवस्था की जा चुकी है कि संविधान के बुनियादी ढांचे या उसकी संरचना में कोई परिवर्तन हो ही नहीं सकता. बावजूद इसके यह मांग क्यों? ऐसी स्थिति में पता किया जाना चाहिए कि यह, धीरेन्द्र शास्त्री आखिर किसकी उपज है? इसकी सभा में भीड़ उमड़ रही है कैसे? और यह कैसे हिन्दू राष्ट्र देने की बात कर रहा है? आप जब पता करेंगे, तो पता चलेगा कि यह विशुद्ध रूप से चुनावी राजनीति का षड्यंत्रकारी अभियान है.

चूंकि कुछ राजनीतिक विश्लेषक आपसी बातचीत में यह चर्चा करते हुए पाए गए कि इन दिनों स्वयं प्रधानमंत्री मोदी की सभाओं में भीड़ नहीं होती. लोग बसों से, ट्रेनों से लाए जाते हैं प्रधानमंत्री की सभा में भीड़ दिखाने के लिए. इस स्थिति से विचलित सत्ताधारियों के नेतृत्व में, विशेषकर मोदी-शाह युगल ने इस तरह की व्यवस्था की है कि हिन्दू राष्ट्र के नाम पर अगला चुनाव लड़ना है क्योंकि ये विकास के मोर्चे पर, रोजगार के मोर्चे पर उपलब्धि लेकर जनता के सामने नहीं जा सकते. वर्ष 2014 से देखा जाए, तो वादे सिर्फ वादे ही रह गए. जुबानी जमां खर्च, जिसे कहते हैं, उसी टोकरी में डाल दिया गया. कोई ठोस काम इस दिशा में नहीं किया गया, न ही हुआ. जो खबरिया चैनलों पर प्रसारित किया जा रहा है, उसे छोड़िए. हम आप सभी जानते हैं कि खबरें कैसे बनाई जाती हैं, कैसे चलाई जाती हैं, कैसे प्रस्तुत की जाती हैं. उनके दावों को छो़ड़ दीजिए. हकीकत में, व्यवहार के स्तर पर समाज में जाइए, लोगों के बीच जाइए, पता चलेगा कि महंगाई के मार से लोग कितने त्रस्त हैं, हर वर्ग के लोग त्रस्त हैं. बेरोजगार की मार झेल रहे युवा आत्महत्या को मजबूर हो रहे हैं. यह कैसा देश है? ऐसे में पूरा का पूरा ध्यान बंटाने के लिए और चुनाव में एक मुद्दा बनाने के लिए हिन्दू बहुल राष्ट्र में हिन्दू राष्ट्र की मांग उठाना! चूंकि वे स्वयं नहीं उठा सकते क्योंकि वे तो संविधान के रक्षक हैं, तो धीरेन्द्र शास्त्री जैसे एक वाचाल युवा को सामने लाकर हिन्दू राष्ट्र का राग अलापा जा रहा है. इसे कौन चुनौती देगा कि भारत एक हिन्दू बहुल राष्ट्र है? 80 प्रतिशत हिन्दू ही हैं. उसे कौन चुनौती देगा? आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ. धर्मनिरपेक्ष भारत में हर धर्म, जाति, संप्रदाय को अपनी-अपनी पूजा पद्यति के अनुरूप पूजा करने की छूट है, इबादत की छूट है, प्रेयर की आजादी है. और हां, आज तक इसको लेकर विवाद हुआ भी नहीं. अगर कोई विवाद हुए हैं, तो राजनीतिक स्तर पर हुए हैं, राजनीतिक लक्ष्य के साथ हुए हैं. आज भी वही राजनीति है, बल्कि चुनावी राजनीति है, जिसके अन्तर्गत 2024 का लक्ष्य रखकर हिन्दू राष्ट्र का राग अलापा जा रहा है. धीरेन्द्र शास्त्री कहता है कि तुम मेरा साथ दो, मैं तुम्हें हिन्दू राष्ट्र दूंगा. जरा ध्यान रखिए ए, उसका लक्ष्य क्या है? पूरे के पूरे हिन्दू समाज को बांटना और इस रूप में बांटना, ताकि एक संप्रदाय के खिलाफ घृणा उपजे, जो आगे चलकर सामाजिक विद्वेष का रूप धारण कर ले. यह पूरे समाज में अराजकता पैादा करने की दिशा में उठाया गया कदम है. ऐसा क्यों किया जा रहा है? कौन करवा रहा है?

ध्यान रखिए, जिस तरह से धीरेन्द्र शास्त्री को मीडिया में कवरेज दिया जा रहा है, यह यूं ही नहीं हो सकता. सभी जानते हैं, वह संगम में डुबकी लगा रहा है, तो उसका लाइव कवरेज हो रहा है. क्यों इतना महिमा मंडित किया जा रहा है? यह बिना उद्देश्य के नहीं हो सकता. इसके पीछे निश्चित रूप से कोई बड़ी ताकतें हैं, जो इसे अपनी शक्ति का इस्तेमाल कर इसे प्रचारित करवा रही हैं. और वह बेलगाम होकर बेबाकी के साथ सिर्फ हिन्दू राष्ट्र का राग अलाप रहा है. सभी जानते हैं कि वर्तमान सत्तारूढ़ दल को हिन्दू समाज का व्यापक समर्थन प्राप्त है. इसमें किसी को कोई आपत्ति भी नहीं होनी चाहिए. सभी को अपनी-अपनी पसंद का अधिकार है. हिन्दुओं के संरक्षक के रूप में भारतीय जनता पार्टी जानी जाती है और यह उसकी एक पहचान भी है. वह अपनी राजनीति करेंगे, उसमें कहीं कोई गलत भी नहीं है. गलत यह है कि जिस रूप में धीरेन्द्र शास्त्री नाम का यह युवा हिन्दू राष्ट्र की वकालत कर रहा है, वह समाज में अराजकता पैदा करने वाला है. वह हिंसा पैदा करना चाहता है. वह खुलेआम चुनौती देता है. धमकी देता है. ललकारता है. उकसाता है कि अब चूड़ियां मत पहनो. उसने कहा भी ‘एक हाथ में माला दूसरे हाथ में भाला’. इस प्रकार की बातें कहने वाला छुट्टा कैसे धूम रहा है? वह समाज का अपराधी है. देश के कानून का अपराधी है. आपको कोई नहीं रोकता कि आप हिंदू धर्म की बात करें या किसी अन्य की बात करें. किसी को आपत्ति नहीं है, लेकिन महान हिन्दू धर्म में हिन्दुत्व के नाम पर समाज में अराजकता पैदा करना, साम्प्रदायिक विद्वेष पैदा करना और ऐसी स्थिति का निर्माण करना कि समाज हिंसा की ओर अग्रसर हो, यह कानूनी अपराध है. इसके खिलाफ तत्काल कार्रवाई जरूरी है. हद तो तब हो गई जब यह व्यक्ति; धीरेंद्र शास्त्री धर्मनिरपेक्षता की व्याख्या कर रहा है, अपने ढंग से, अपने पक्ष में. मूर्ख व्यक्ति इतनी जानकारी नहीं, देश के सारे विद्वान चूल्हा जलाने चले जाएंगे. धर्मनिरपेक्षता की तुम मनमानी व्याख्या कर रहे हो. यह तो पूरे देश के शिक्षित व्यक्तियों की समझ को चुनौती है. आप हिन्दू राष्ट्र की मांग कीजिए, किसी को आपत्ति नहीं होगी, लेकिन इसके माध्यम से आप समाज में अराजकता पैदा नहीं कर सकते और न ही देश की समझ को चुनौती दे सकते हो. भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है. संविधान में इसकी व्यवस्था है. इसे कोई चुनौती नहीं दे सकता. चुनौती देने वाला कानून का अपराधी है. इस प्रकार की बातें दोहराने के बावजूद उसे समर्थन मिलता है, प्रचार मिलता है, तो यह सोचने पर समालोचक विवश हो जाएंगे कि पूरे देश को सामाजिक विद्वेष की आग में झोंकने की रणनीति बनाई गई है और उसी लक्ष्य को आगे रखकर धीरेंद्र शास्त्री को आगे बढ़ाया जा रहा है. उसके माध्यम से समाज में अराजकता पैदा करने की कोशिश की जा रही है. इसके नाम पर वो 2024 के चुनाव में लाभ उठाने की सोच रहे हैं. विनम्र निवेदन है सत्तारूढ़ दल से, आपकी जो पहचान है, वह किसी से छुपी हुई नहीं है. आपको व्यापक समर्थन है. इसे भी कोई चुनौती नहीं दे सकता. फिर आप ऐसे हथकंडे क्यों अपना रहे हो? कहा जाता है कि हिन्दू राष्ट्र बनाकर हिन्दुओं को गौरवान्वित करेंगे. बिल्कुल नहीं. इस कदम से हिन्दू लांक्षित होंगे, आप इस बात को ध्यान में रख लीजिए. जिस रूप में आप अभियान चला रहे हैं, उससे हिन्दू और हिन्दुत्व के ऊपर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं. हिन्दू और हिन्दुत्व कभी किसी का अहित नहीं चाहता. वह सर्वधर्म समभाव का आग्रही है और इसी तरह हम पिछले कई दशकों से सफलतापूर्वक संविधान के अंतर्गत विकास की दिशा में कदमताल कर रहे हैं.

शांतिपूर्वक बीच-बीच में इस तरह की बाधाएं खड़ी की जाती हैं, जैसा कि धीरेन्द्र शास्त्री के माध्यम से अराजक स्थिति पैदा करने की कोशिश की जा रही है, वह विकास के मार्ग में अवरोधक का काम करता है. क्या सत्तारूढ़ दल इस सत्य से अपरिचित है? कदापि नहीं. पुन: दोहराते हुए कि सत्तारूढ़ दल का नेतृत्व इस पर विचार करे, चिंतन करे कि क्या धीरेन्द्र शास्त्री जैसे व्यक्ति के माध्यम से हिन्दू राष्ट्र को प्राप्त किया जा सकता है? कदापि नहीं. इससे सिवाय अराजकता के और कुछ हासिल नहीं होगा. ऐसी अराजकता, जो समाज को विध्वंस की ओर ले जाएगी. क्या सत्तारूढ़ दल का नेतृत्व ऐसा चाहेगा? कोई विश्वास नहीं करेगा. कदापि नहीं चाहेगा. यह नीति निर्धारकों की एक चूक है. एक गलत निर्णय है; धीरेन्द्र शास्त्री को आगे करने का. किसी भी प्रकार से उस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में यह सुपात्र नहीं हो सकता. इसमें योग्यता नहीं है. इसके पास पात्रता नहीं है. यह सिर्फ लच्छेदार शब्दों का इस्तेमाल कर और उत्तेजक शब्दों की जुगाली कर समाज में सामाजिक विद्वेष पैदा कर सकता है, साम्प्रदायिक सद्भाव नहीं. इस देश का इतिहास रहा है कि भारत वासी एक संयम समाज है. हर धर्म, हर जाति, हर संप्रदाय, हर वर्ग को समाहित कर भारत देश का निर्माण हुआ है. संविधान में धर्मनिरपेक्ष शब्द यूं ही नहीं लाया गया. हमारे संविधान निर्माताओं ने बहुत सोच-समझकर देश को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया है. और अब इसे कोई चुनौती दे रहा है, तो वह राष्ट्र द्रोही है, चाहे वह धीरेन्द्र शास्त्री हो या इनके पोषक हों. ऐसे व्यक्ति को आगे बढ़ाने वाले तत्व राष्ट्र विरोध का काम कर रहे हैं. आज का युवा वर्ग बहुत समझदार है. आज की जनता बहुत समझदार है. वह संयमित है, लेकिन वह प्रतीक्षा करती है. माकूल समय पर वह जवाब देना जानती है. ध्यान रहे, देश की जनता ने जवाब देना शुरू कर दिया, तो एक असहज स्थिति पैदा हो जाएगी, जो किसी भी दृष्टि से, राजनीतिक और चुनावी दृष्टि से भी किसी के हक में नहीं जाएगा. अगर कोई सोचता है कि इसके द्वारा हम स्थायी रूप से चुनावी जीत हासिल कर लेंगे, तो वह मुगालते में है. देश की जनता ऐसी किसी हरकत को बर्दाश्त नहीं करेगी. देश की जनता देखती है विकास. देश की जनता देखती है महंगाई पर काबू कैसे पाया जाए. देश की जनता चाहती है कि बेरोजगारी कैसे दूर हो. इस दिशा में काम करने वालों को देश की जनता का समर्थन मिलेगा. कोई आश्चर्य नहीं और यह दोहराना होगा कि 2014 के चुनाव के पूर्व श्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता जो आश्वासन दिया था; परिवर्तन के नाम पर कि देश परिवर्तन का आग्रही है. देश के युवाओं को रोजगार चाहिए. देश की गृहिणियों को महंगाई से निजात चाहिए. यह उनका आश्वासन था, जिस पर विश्वास करके, उनके शब्दों पर विश्वास करके देश की जनता ने उन्हें समर्थन दिया था. अब चूंकि अगले साल चुनाव है और 10 तब वर्ष हो जाएंगे, जनता पूरी स्थिति की समीक्षा करेगी. जनता देखेगी कि आखिर अपने शब्दों पर सरकार ने, विशेषकर मोदी सरकार ने क्या काम किया और आगे वह क्या करना चाहती है. इस तथ्य को ध्यान में रखकर मेरा आग्रह रहेगा कि धीरेन्द्र शास्त्री जैसे व्यक्ति को किसी प्रकार का समर्थन सत्तारूढ़ दल नहीं करे. सत्तारूढ़ दल को व्यापक समर्थन प्राप्त है और उसकी जो अपेक्षाएं हैं, उसकी पूर्ति की दिशा में काम करे, न कि एक मूर्ख, एक पाखंडी व्यक्ति को सामने रखकर हिन्दू राष्ट्र का लक्ष्य प्राप्त करने की कोशिश. देश में एक से बढ़कर एक हिन्दू धर्म के रक्षक हैं, हिंदू धर्म के प्रचारक हैं. अनेक संस्थाएं हैं. सम्मानित संस्थाएं हैं. लोगों का उन पर विश्वास है. इस दिशा में उनके प्रयास को समर्थन मिलेगा. जनता उनके साथ जाएगी न कि एक पाखंडी धीरेन्द्र शास्त्री के साथ. इस पर सत्तारूढ़ दल पुन: विचार करे अन्यथा उनका जो लक्ष्य है, जो तात्कालिक लक्ष्य 2024 है, वह प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो जाएगा, इस बात को ध्यान में रखे.

…एस. एन. विनोद

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