- विधानमण्डल ध्यानाकर्षण
- सरकार ने 9 को पात्र, 6 को अपात्र बताया
- भारी कर्ज से आत्महत्याग्रस्त परिवार सकते में
- राहत न दिए जाने से नहीं थम रहा सिलसिला
- शीतसत्र में राहत की आशा में किसान
सवांदाता / हेमंत निखाड़े
तिवसा (अमरावती)।
लगतारा प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसलों के न होने से कर्ज में फंसे 15 किसानों ने आत्महत्या कर चुकने के बाद भी सरकार की ओर से जितनों को सहायता की आशा थी, उतनों को नहीं दी गई. जनवरी से नवम्बर 2014 के बीच तिवसा तालुका में करीब 15 किसानों ने मौत को गले लगा लिया. जिनमें से 6 किसानों की आत्महत्या को अपात्र ठहराया गया. विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में राहत पैकेज की घोषणा का बेसब्री से किसानों को इंतजार है.
किसानों की आत्महत्या का यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रही है. ऐसा लग रहा है कि जब तब सरकार किसानों के सभी कर्ज माफ नहीं कर देती, तब तक इन आत्महत्याओं का सिलसिला नहीं थमेगा. यह सत्य है. इस वर्ष की फसलों की बरबादी किसानों को और अधिक चिंतित कर दिया है. खरीफ मौसम में पसंदीदा सोयाबीन की फसल के लिए लिया गया कर्ज किसान उतार नहीं पाये. उत्पादन इतना हुआ कि इससे लागत मूल्य ही नहीं निकल पाया. वहीं सोयाबीन को उचित मूल्य भी नहीं मिला. इन्हीं कारणों से किसानों की चिंताएँ सिर चढ़ कर बोलती नज़र आ रही हैं. किसानों के परिवारों पर भूखे मरने की नौबत आ गयी है. बीते कई वर्षों से यही स्थिति बनी हुई है. इसलिए आत्महत्याएँ का दौर थमता नहीं दिख रहा है.
इसी क्रम में तिवसा तालुका में इस वर्ष कुल 15 किसानों ने आत्महत्या कर ली. इनमें 7 किसान खेत व अपने निवास स्थान पर विषैली दवा पीकर आत्महत्या की तथा 6 किसानों ने कुएँ में कूद कर जान दे दी. वहीं 2 ने फाँसी लगा ली. ऐसे माहवार अक्टूबर व जून महीने में 6, अप्रैल, जुलाई, अगस्त में 6 व जनवरी, मई, नवम्बर में 3 किसानों ने आत्महत्या की. कुल 15 किसानों में से केवल 9 किसानों को सरकार ने पात्र बताकर शेष 6 किसानों को अपात्र ठहराया. जो बेहद निराशाजनक ख़बर है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या सरकार सभी किसानों के आत्महत्या करने के बाद ही राहत पैकेज उनके परिवारों को सौंपने का इरादा रखती है अथवा समय पर उनकी रक्षार्थ कोई राहत उपाय-योजना करेगी?
आत्महत्या करने वाले किसानों के नाम राजू शिरभाते (शिवणगाँव), साहेबराव गौरखेड़े (तिवसा), भाऊराव ढवळे (मोझरी), मारोतराव घुरडे (निंभोरा), नितिन मोहतुरे (वाठोड़ा), अरुण ठाकरे (डेहणी), नंदलाल भारद्वाज (वर्हा), प्रफुल बकाले (मोझरी), योगेश अडीकने (मोझरी), प्रमोद पुरुषे (शेंदोला), यशोदाबाई कांबळे (पालवाड़ी), अशोक ठाकरे (डेहणी), सागर ठाकरे (तिवसा), धर्मपाल मनवर (निंभोरा), गणेश केवदे (कौडण्यपुर) हैं.