नागपूर– सोशल मीडिया एक उपयोगी साधन है. यह एक दूसरे से संचार का माध्यम है. लेकिन अगर इसका दुरुपयोग किया गया तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है और यह हो भी रहा है. पालघर में जिस तरह से एक अमानवीय घटना हुई है. यह एक इसका जीता जागता उदाहरण है. देश के विभिन्न हिस्सों के अलग अलग शहरों में इस तरह की कई घटनाएं सामने आ चुकी है. सोशल मीडिया पर हजारों की तादाद में कई फेक मेसेज वायरल किए जाते है. जो लोग यह मैसेज वायरल करते है, वे भी यह नही जानते कि इन मेसेजों मे कितनी सच्चाई है.
बिना पुष्टि किए यह मैसेज सैकड़ो, फिर हजारों और भी लाखों मोबाइल में जाते है. जिसके कारण लोगों में अफवाह फैलती है और इस तरह की घटनाओ को अंजाम दिया जाता है. पुलिस और प्रशासन कई बार फेक मेसेज करनेवालों पर कार्रवाई भी करती है. लेकिन इसे रोका नही जा सका है. हालांकि व्हाट्सप्प ने एक बार में 5 लोगों को मेसेज भेजने की सीमा तय की है. इसके बावजूद इससे कोई बहोत ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है.
ग्रामीण भाग के लोग फेक मेसेज पर जल्द करते है विश्वास
ग्रामीण भाग में व्हाट्सअप पर भेजे गए मेसेज का जल्दी प्रभाव होता है और लोग भी इसपर विश्वास कर लेते है. कई ग्रामीण जगहों पर कुछ लोगों के फोटो वायरल किए जाते है और कहा जाता है और बताया जाता है कि यह लोग बच्चे चोरी करनेवाले गैंग से संबंधित है. इन मेसेजों को यह लोग वायरल भी करते है और बिना इसकी सच्चाई का पता लगाएं, इसपर विश्वास भी कर लेते है. जिसके कारण पालघर जैसी घटनाएं सामने आती है.
व्हाट्सएप्प पर कोरोना,कैंसर जैसी बिमारी का भी इलाज
व्हाट्सअप पर अनेकों ऐसे मेसेज भी आते है, जिसमे बताया जाता है की कोरोना की दवाई खोज ली गई है. कुछ मेसेज ऐसे भी होते है, जिसमे दवाई के नाम,फोटो भी वायरल की जाती है. इसके साथ ही आयुर्वेदिक के नाम पर कई घरेलु खाने की वस्तुओ के नाम भी भेजे जाते है और बताया जाता है की यह कोरोना का इलाज है. कैंसर और अन्य बीमारियों पर भी इसी तरह के मेसेज वायरल किए जाते है.
मोबाइल रिचार्ज के मेसेज भी होते है ज्यादा वायरल
मोबाइल रिचार्ज के नाम पर भी मेसेज वायरल किए जाते है. जिसमें बताया जाता है की लॉकडाउन में सरकार ने सभी का मोबाइल रिचार्ज मुफ्त में करने का निर्णय लिया है और इसके बाद सभी इन मेसेजों को दूसरे ग्रुपो में भेजना शुरू कर देते है. यह मेसेज भी फेक होते है.
सोशल मीडिया को लेकर नियमित जागरूगता जरुरी
जिस तरह से सोशल मीडिया पर फेक मेसेज वायरल होते है. जिसको लेकर अब सरकार की ओर से नियमित रूप से ग्रामीण और शहरी भाग में नियमित जन जागृति की जरुरत है. जिससे की लोगों को समझाया जाए की फेक मेसेज क्या होते है, और इसके दुष्परिणाम क्या होते है. भले ही नियम कड़े हो लेकिन जब तक जन जागृति नहीं की जाएगी . तब तक ऐसी जानलेवा घटनाओ पर अंकुश लगाना मुश्किल है.