बहुमत से खिलाफत का प्रस्ताव पारित हो सकता हैं
नागपुर: शहर में 2 सरकारी विकास संस्थान नासुप्र और मनपा से शहरवासियों को हो रही अड़चनों का सामना करना पड़ रहा था। इसी मसले पर खाकी-खादी को भी तकलीफें हो रही थी। इस मसले पर पिछली सरकार ने नासुप्र को भंग कर दिया था।जिसे पुनर्जीवित करने के लिए नागपुर जिले के पालकमंत्री नितिन राऊत की पहल से मनपा के सत्ताधारी आक्रोषित हो गए। इनके खिलाफ 27 जनवरी को विशेष सभा ली जा रही,जिसमें बहुमत से विरोध दर्ज होने के आसार नजर आ रहे।
ज्ञात हो कि नासुप्र क्षेत्र में मनपा काम नहीं कर सकती और नासुप्र अपने अधिनस्त क्षेत्रों से विकास शुल्क वसूलने के बाद विकास कार्य नहीं कर रही थी। नतीजा जनता जनार्दन मूलभूत सुविधा मामले में जूझ रही थी। भवन निर्माताओं से भी विकास शुल्क वसूलने के बाद भी उनके क्षेत्र विकसित नहीं किये गए। ऐसे में जनप्रतिनिधियों के दबाव में मनपा को जनहित में खर्च करने पड़ते थे। उक्त मसले को सर्व पक्षों के प्रतिनिधियों ने नासुप्र भंग करने की मांग की थी,कांग्रेस ने गूँठेवारी छोड़ शेष सभी क्षेत्र/काम मनपा के अधीन देने की मांग की थी। इसी उद्देश्य से पिछली सरकार में मुख्यमंत्री ने नासूप्र भंग कर दी थी। हालांकि आज तक मनपा में समाहित नहीं हो पाया।इस मसले पर मनपा की पिछली आमसभा में पूर्व महापौर दटके ने मामला उठाया था। जिस पर महापौर ने मनपा में स्वतंत्र कक्ष स्थापना करने का निर्देश दिया था।
इसी बीच कल दटके ने पत्रपरिषद के माध्यम से खुलासा किया कि नासुप्र को पुनर्जीवित करने के लिए नागपुर के पालकमंत्री नितिन राऊत ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा।जिसके आधार पर मनपा और नासुप्र को उनके राय देने संबंधी पत्र पहुंचा। दटके ने राऊत के पहल की खिलाफत की और ऐसा न करने की गुजारिश की। अन्यथा आंदोलन की चेतावनी दी।
आज सुबह सुबह खबर मिली कि सत्तापक्ष उक्त मसले को लेकर 27 जनवरी को आमसभा लेने जा रहा। जहां उनकी बहुमत हैं। इस मसले पर आउटर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले नगरसेवक भी सत्तापक्ष का साथ दे सकते हैं। मनपा सभागृह का मत से सरकार को अवगत करवाया जाएगा। इसके बाद भी मामला नहीं थमा तो जगह जगह आंदोलन हो सकता हैं। उल्लेखनीय यह हैं कि नासुप्र के अधिकारी सुनील गुज्जलवार ने नासुप्र को पुनर्जीवित करने के लिए कांग्रेस के कंधों पर बंदूक रख अपना हित साधने के फिराक में हैं। इस क्रम में उन्होंने राज्य के पूर्व मंत्री के साथ जुगत भिड़ाने की कोशिश सार्वजनिक हो चुकी थी। कांग्रेस के कार्यकर्ता इसे गुज्जलवार का भूत बता रहे हैं, पूर्व नगरसेवक सुरेश ने भी राऊत के पहल को गलत बताया,जल्दबाजी में फैसला लिया गया। पक्ष के लिए हानिकारक हैं। मंत्री ने खुद इस मुद्दों को उठाने के बजाय जनता से मांग उठने देना था,उन्हें समझना जरूरी हैं।