नागपुर. एक महिला बचत गट की याचिका पर सुनवाई लगातार टलते जाने के कारण हाई कोर्ट की ओर से कड़ी आपत्ति जताई थी. सुनवाई के दौरान सरकारी वकील (GP) कार्यालय में कर्मचारियों की कमी के चलते ही सुनवाई टलने का मसला उजागर हुआ था. जिसके बाद हाई कोर्ट की ओर से इसे गंभीरता से लेते हुए सरकारी वकील कार्यालय में कर्मचारियों की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए आदेश जारी किए गए.
अब याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे मुख्य सरकारी वरिष्ठ वकील देवेन चौहान ने हाई कोर्ट के समक्ष 4 अप्रैल 2025 का एक पत्र रखा. जिसके अनुसार सरकारी वकील कार्यालय का स्टाफिंग पैटर्न मंजूरी के लिए वित्त विभाग को भेजे जाने का खुलासा किया गया. साथ ही हाई कोर्ट से कुछ समय देने का अनुरोध भी किया गया.
जिसके बाद कोर्ट ने 21 अप्रैल तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी. सरकारी वकील द्वारा दी गई जानकारी के बाद हाई कोर्ट ने जहां वित्त विभाग से स्टाफिंग पैटर्न को मंजूरी मिलने की आशा जताई, वहीं इस आदेश की जानकारी वित्त विभाग को देने के आदेश भी सरकारी वकील को दिए. गत सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि दैनिक बोर्ड पर सूचीबद्ध कुल मामलों में से लगभग 50% मामलों को विभिन्न सरकारी कार्यालयों द्वारा जवाब का मसौदा तैयार करने के लिए निर्देश जारी करने की कमी के कारण स्थगित कर दिया जाता है. कोर्ट सवाल के जवाब में यह संज्ञान में लाया गया है कि कुल 64 विधि अधिकारियों के मुकाबले, सरकारी वकील और एपीपी, नागपुर के कार्यालय में केवल दस स्टेनोग्राफर उपलब्ध हैं.
परिणामस्वरूप, यदि अनुपात की गणना करें, तो लगभग 7 विधि अधिकारियों का काम को पूरा करने के लिए एक स्टेनोग्राफर की आवश्यकता होती है. स्टेनोग्राफर के पदों की संख्या में यह कमी एक प्रमुख कारण है. कोर्ट का मानना था कि विभिन्न सरकारी विभागों और कार्यालयों, विशेष रूप से मंत्रालय को जारी किए गए कम्युनिकेशन के बावजूद समय पर निर्देश जारी नहीं किए जाते हैं, इसलिए औसतन तीन स्थगन केवल सरकारी कार्यालयों और मंत्रालय से निर्देश मांगने या मंगवाने के लिए मांगे जाते हैं.
कोर्ट को बताया गया था कि सरकारी कार्यालयों के साथ संवाद करने के लिए बड़ी संख्या में कर्मचारियों को प्रतिनियुक्त करने की आवश्यकता है. विधि अधिकारियों को भी निर्देश प्राप्त करने के लिए सरकारी कार्यालयों के संपर्क में रहना आवश्यक है. कोर्ट की ओर से राज्य भर में सरकारी वकीलों और सरकारी अभियोजकों के कार्यालयों में स्टाफिंग पैटर्न के पुनर्गठन को लेकर विधि व न्याय विभाग से सचिव से हलफनामा भी मांगा था.