Published On : Tue, Feb 25th, 2020

खटारा को दरकिनार कर खरीदेंगे CNG बसें

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– खरीदी पर मनपा को कोई बोझ नहीं,केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री के सहमति बाद शुरू होंगी प्रक्रिया

नागपुर : नागपुर मनपा प्रशासन ने वर्त्तमान ऑपरेटरों को उनके नए बसों के साथ पुराने ऑपरेटरों के खटारा बसों को दुरुस्त कर संचलन करने का निर्देश दिए थे.खटारा बसों ने अब जवाब देना शुरू कर दिया तो दूसरी ओर खटारा डीज़ल बसों को CNG में तब्दील का क्रम जारी हैं लेकिन ब्रांडेड CNG बसों जैसी सफलता नहीं मिल रही इसलिए मनपा परिवहन समिति नई CNG बसों की खरीदी हेतु योजना बना रही,केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री के सहमति बाद बाद नई ब्रांडेड CNG बसों की खरीदी प्रक्रिया शुरू हो सकती हैं.

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मनपा और वर्त्तमान ऑपरेटरों के निविदा शर्तो के हिसाब से ५ साल के भीतर ख़राब/खटारा हुई बसों को बदला जा सकता हैं या फिर जरूरतानुसार २५% बसें बढ़ाई जा सकती हैं.वर्ष २०१३ में मनपा के साथ ऑपरेटरों का जब करार हुआ था तब ‘बीएस ३’ का जमाना था,१२ मीटर बसों की कीमत ७० लाख हुआ करती थी.

अब १ अप्रैल से ‘बीएस ६’ का जमाना शुरू होने जा रहा.नई तकनिकी से लैस बसों की कीमतों में ३०% के आसपास बढ़ोतरी हुई हैं.देश में CNG बसों का निर्माण अशोक लेलैंड,टाटा,आइसर,फ़ोर्स आदि नामचीन कंपनियां कर रही हैं.नई CNG बसों की खरीदी का निर्णय हुआ तो तीनों ऑपरेटरों को वर्त्तमान टेंडर शर्तों के अधीनस्त रह कर निवेश करना होंगा,फिर वे बसों के लिए CNG रॉमेट के ‘फ्यूल स्टेशन’ से लेंगे.सबसे खास बात मनपा को फूटी कौड़ी भी इस प्रक्रिया में खर्च नहीं आएगा।

अन्य शहरों में सरकार द्वारा CNG की पाइपलाइन बिछाई गई हैं.लेकिन नागपुर में रॉमैट द्वारा बिना सरकारी सुविधा के ‘ग्रीन फ्यूल’ पर काम किया जा रहा.नागपुर मनपा के साथ काम करते हुए शहर के डीजल बसों को CNG में तब्दील किया जा रहा ,अबतक ४ दर्जन बसों सह अन्य वाहनों को तब्दील किया जा चूका हैं.इससे प्रदुषण भी कम हुए जिसका सकारात्मक परिणाम शहर के नागरिकों के स्वास्थ्य पर निसंदेह हुआ हैं.इसका पूर्ण श्रेय रॉमेट समूह को जाता हैं.

मनपा द्वारा डीज़ल बस के प्रत्येक ऑपरेटर ७९ पुरानी मनपा द्वारा दी हुई स्टैंडर्ड,खुद से खरीदी ५० मिडी व १५ मिनी बसों का संचलन किया जा रहा.अबतक ‘रॉमेट’ ने ५० स्टैंडर्ड बसों को CNG में तब्दील कर चुकी हैं,इनमें से ४८ सड़कों पर सेवाएं दे रहे.
बसों का खटारा होने के २ महत्वपूर्ण कारण यह हैं कि बसों का रखरखाव अंदर या बाहर से नहीं किया जाता है। इसके दो कारण हैं कि एक डिपो बहुत खराब स्थिति में है क्योंकि एनएमसी ने डिपो प्रदान नहीं किया है जैसा कि समझौते में वादा किया गया था.यह भी कड़वा सत्य हैं कि स्टैंडर्ड बसें वर्ष २००९ की निर्मित हैं और तब से सड़क पर चल रही हैं,देखभाल मामले में पिछले कांट्रेक्टर वंश समूह की लापरवाही के कारण नियमित ब्रेकडाउन होता है। डीजल बसों के सीएनजी में रूपांतरण के बाद ब्रेक डाउन कम हो गया है, लेकिन स्टैंडर्ड बसों में दस साल पुराना इंजन है इसलिए आये दिन यात्रियों,ऑपरेटरों सह मनपा परिवहन विभाग को धोखा दे रही.
मनपा परिवहन सभापति का केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री गडकरी से उक्त मामले को लेकर मुलाकात इस बात का संकेत दे रहा कि जहाँ परिवहन मामले में प्रदुषण नियंत्रण के लिए CNG की पाइपलाइन सरकार ने नहीं बिछाई,वैसे शहरों में कर सह बिमा मामलों में राहत योग्य सुविधा मिल सके,जिससे रॉमेट जैसी अन्य संस्थानों की संख्या में इजाफा हो.अब देखना यह हैं कि गडकरी-परिवहन सभापति की मुलाकात क्या रंग लाती हैं.

केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का स्वप्न रहा हैं कि नागपुर के नागरिकों को सार्वजानिक परिवहन सेवा के तहत प्रदूषण मुक्त और आरामदायक सेवा प्रदान किया जाए। उनके ही मार्गदर्शन में ‘आपली बस’ बेड़े में शामिल खटारा व प्रदुषण फ़ैलाने वाली स्टैंडर्ड बसों को सीएनजी में परिवर्तित होने से एक समस्या हल हो गई। लेकिन 10 साल पुरानी बस में यात्रा करना नियमित यात्रियों के लिए बहुत असुविधाजनक हो रहा है।

– राजीव रंजन कुशवाहा

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