नागपुर : देश में जीएसटी का सिस्टम के लागू होने के एक वर्ष बाद भी इस प्रणाली के क्रियान्वयन में अब तक दिक्कतें आ रही है। एक देश एक कर प्रणाली की व्यवस्था लागू होने के बाद भी सिस्टम को लेकर अब भी व्यापक समझ विकसित नहीं हो पायी है। ऐसा खुद जीएसटी विभाग के अधिकारियों को लगता है। नागपुर जीएसटी विभाग जिसके अंतर्गत राज्य के 24 जिले आते है उसके प्रधान अधिकारी ए के पांडे ख़ुद मानते है की जीएसटी पूरी तरह से प्रासंगिक हो चुका है ऐसा भी नहीं है।
उनके मुताबिक देश में कर प्रणाली को लेकर जीएसटी को लागू किया जाना एक क्रांतिकारी फ़ैसला है। धीरे-धीरे मुश्किलों को दूर किया जा रहा है और जल्द ही जीएसटी को लेकर व्यापक और सकारात्मक माहौल विकसित हो जायेगा। बुधवार को नागपुर स्थित जीएसटी भवन में पत्रकारों से चर्चा में पांडे ने बताया की जीएसटी के अंतर्गत रेवन्यू के संकलन और रिफंड में नागपुर विभाग का प्रदर्शन न केवल राज्य में बल्कि देश में सबसे बेहतर है।
जीएसटी आयुक्त द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक आम लोगो में जानकारी का आभाव होना बड़ी दिक्कत है। ऑनलाइन सिस्टम होने के बावजूद भी मैन्युअली फॉर्म जमा करना होता है लेकिन ज़्यादातर लोग ऑनलाइन एप्लिकेशन करने के बाद सिर्फ़ एप्लिकेशन रेफरेंस नंबर लेकर ये मान लेते है की प्रोसेस पूरी हो गई लेकिन ऐसा नहीं है। ओरिजनल डॉक्यूमेंट भी जमा करना आवश्यक होता है।
पांडे ने बताया की रिफंड को लेकर 15-15 दिनों के दो विशेष पखवाड़े अभियान चलाये गए। वर्त्तमान में 31 मई से 14 जून के अभियान को आगामी दो दिनों के लिए और बढ़ाया गया है। इस दौरान 299 एप्लिकेशन में से 190 का निपटारा कर 121.90 करोड़ रूपए रिटर्न किये जा चुके है। इसी तरह 15 मार्च से 30 मार्च के बीच शुरू अभियान के तहत 112 एप्लिकेशन का निपटारा कर 58.83 करोड़ रूपए वापस लौटाए गए थे. उन्होंने बताया नागपुर विभाग में 56,141 करदाताओं ने जीएसटी रिटर्न का आवेदन दिया है जिसका प्रतिशत 64.04 है जबकि महाराष्ट्र में ये आकड़ा 57 फ़ीसदी का है। इनके अलावा जिन 37,029 करदाताओं ने रिटर्न फ़ाइल नहीं किया है उन्हें ईमेल और एसएमएस के माध्यम से सूचना दी गई है। जिन्होंने जीएसटी नहीं भरा है उसने 1 हजार 80 करोड़ रूपए हासिल होने की जानकारी पांडे ने दी।
1 जुलाई 2017 से लागू हुए जीएसटी के बाद नागपुर विभाग ने 7950 करोड़ रूपए का राजस्व एकत्रित किया जिसमे 4821 करोड़ रूपए राज्य जीएसटी के थे। इस कालखंड के लिए 875 करोड़ रूपए जीएसटी संकलन का टार्गेट नागपुर विभाग के सुनिश्चित था लेकिन 1170 करोड़ रूपए जमा हुए। निर्यात पर लगाने वाले आयजीएसटी यानि इंटीग्रेटेड जीएसटी के तहत मार्च 2018 में 1367 शिपिंग बिल का 52.72 करोड़ रूपए निर्यातकों को रिफंड किया गया इसके साथ ही जून 18 तक 351 बिलो पर 12.61 करोड़ रूपए लौटाए गए।
आईजीएसटी के तहत 231 एप्लिकेशन प्राप्त हुई जिसमे से 163 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। जबकि 67 करोड़ के रिफंड आवेदन में त्रुटियाँ होने की वजह से यह प्रक्रिया अभी रोकी गई है। 43 करोड़ के रिफंड का अब तक आवेदन ही नहीं किया गया है।
पांडे ने बताया की नागपुर जोन में कुल 87 हजार 171 टैक्सपेयर है जो जीएसटी के दायरे में आते है उनमे से 56,411 नियमित तौर पर रिटर्न फ़ाइल कर रहे है। राज्य में इंट्रा स्टेट ई वे बिल प्रणाली की शुरवात 25 मई 2018 से हो चुकी है जिस पर संजीदगी से अमल किये जाने की जानकारी उन्होंने दी।
जीएसटी आयुक्त के मुताबिक जीएसटी के लिए सेमी ऑटोमैटिक सिस्टम से काम किया जा रहा है। यह व्यवस्था लागू होने के बाद समय-समय पर संसोधन भी हुए जिस वजह से बदलाव में दिक्कतें हुई जो जल्द दूर हो जायेगी।
इस पत्रपरिषद में मुख्य आयुक्त के साथ जीएसटी आयुक्त-1 आशीष चंदन,जीएसटी आयुक्त-2 संजय राठी,और सह आयुक्त दिनेश बिसेन और प्रदीप गुरुमूर्ति मौजूद थे।