नागपुर/चंद्रपुर चंद्रपुर के जुनोना जंगल में गुरुवार सुबह बाघ के दो बच्चे मृत पाए गए। 6 से 7 महीने के बच्चे है जो जंगल में विचरण करते हुए रेलवे लाइन पर आ गए इसी दौरान पटरी से ट्रेन गुजरी और दोनों की कटकट मृत्यु हो गई। मृत बाघ के दोनों बच्चे मादा थी। जुनोनाजंगल के बीच से ही बल्लारपूर-गोंदिया रेल मार्ग बिछा है। इसी लाइन पर इलेक्ट्रिक पोल 1232 के पास दोनों मादा बच्चे मृत पाए गए। इस घटना के बाद रेलवे प्रशासन को लेकर काफ़ी नाराजगी सामने आ रही है। लोगो का कहना है इस लाइन पर इससे पहले भी कई वन्यप्राणी अपनी जान गवां चुके है बावजूद इसके रेलगाड़ी की स्पीड को काम नहीं किया गया है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक जंगल में रहने वाली बाघिन गुरुवार सुबह रेल पटरी के पास ही घूम रही थी। इसी दौरान उसके दोनों मादा बच्चे पटरी पर चले गए। इसी दौरान पटरी से बल्लारपुर से गोंदिया जाने वाली पैसेंजर ट्रेन वहाँ से बाघ के बच्चो को चीरते हुए निकल गई। बाघ के दोनों बच्चे मादा थे इसलिए इस बड़ी हानि माना जा रहा है। विदर्भ में बाघों के संरक्षण को लेकर लाख दावों के बावजूद भी ऐसी घटनाएं वन विभाग के कामकाज पर बड़ा सवाल खड़ा करती है। वन विकास महामंडल के महाव्यवस्थापक ऋषीकेश रंजन ने घटना की पुष्टि करते हुए रेल दुर्घटना में ही बाघ के मादा बच्चो की मौत होने की जानकारी दी है।
इस घटना के बाद रेल के ड्राईवर ने ही इसकी जानकारी रेल विभाग और वन विभाग को दी। जिसके बाद वन विभाग के कर्मचारी घटनास्थल पर पहुँचे। इस घटना के बाद वन्यजीव संरक्षण के लिए काम करने वाले लोगो और स्वयंसेवी संस्थाओं ने अपनी नाराजगी उजागर की है। मानद वन्य जैव रक्षक अमोल बैस ने बताया कि बल्लारपूर-गोंदिया रेल मार्ग पर घाना जंगल है। इससे पहले भी रेल से हुई दुर्घटना में बाघ,तेंदुए जैसे प्राणियों के साथ कई अन्य प्राणियों की मृत्यु हो चुकी है। इस मार्ग पर रेल गाड़ी की स्पीड को काम करने के लिए कई बार रेल विभाग को कहाँ गया लेकिन इस माँग पर ध्यान नहीं दिया गया।