नागपुर- सरकारी कॉलेजो में पढ़ाई करनेवाले विद्यार्थियों को राज्य सरकार की ओर रूम के किराए के लिए 60 हजार रुपए साल का दिया जाता है. यह ऐसे विद्यार्थियों को दिया जाता है. जिनको शहर में सरकारी हॉस्टल नहीं मिल पाया.
लेकिन पिछले 1 साल से शहर के और राज्य के हजारों विद्यार्थियों को स्वाधार योजना के अंतर्गत पैसा ही नहीं दिया गया है. जिसके कारण हजारों विद्यार्थी आर्थिक परेशानियों का सामना कर रहे है. शहर के विद्यार्थियों ने जानकारी देते हुए बताया की लॉकडाउन के कारण वे गांव में फंस गए है.
शहर में घर मालिक को किसी तरह से पैसे की व्यवस्था करके किराया दिया है. तो कुछ विद्यार्थियों ने बताया की रूम का किराया नहीं देने के कारण उनपर रूम छोड़ने की नौबत आ चुकी है.
विद्यार्थियों के अनुसार हॉस्टल में एडमिशन नहीं मिलनेवाले अनुसूचित विद्यार्थियों को स्वाधार योजना के अंतर्गत किराए की रकम सरकार की ओर से दी जाती है. अगर यह सत्र शुरू होने से पहले पैसे नहीं मिले तो विद्यार्थियों को पढ़ाई से वंचित भी होना पड़ सकता है.
नागपुर,पुणे, मुंबई, औरंगाबाद जैसे शहरो में अच्छे कॉलेजो में पढ़ाई के लिए एडमिशन मिले. ऐसी सभी विद्यार्थियों की इच्छा रहती है. हॉस्टल में एडमिशन होने के बाद गांवो के विद्यार्थी शहर के कॉलेजो में एडमिशन लेते है. मुख्य शहरों में हॉस्टल और सरकारी रूम की संख्या कम होने के कारण बहोत ही कम विद्यार्थियों को हॉस्टल में एडमिशन मिल पाता है. इसके कारण अनेक विद्यार्थी कॉलेज में एडमिशन नहीं ले पाते. सभी विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा मिले और कोई भी शिक्षा से वंचित न रहे, इसलिए हॉस्टल में रूम नहीं मिलनेवाले पात्र विद्यार्थियों को शहर में शिक्षा का अवसर मिले, इस उद्देश्य को ध्यान में रखकर स्वाधार योजना की शुरुवात की गई थी.
इस योजना के अंतर्गत पात्र विद्यार्थियों को किराए की रकम दी जाती है. शैक्षणिक वर्ष के लिए 60 हजार रुपए दिए जाते है. यह रकम 2 बार दी जाती है. इस रकम से विद्यार्थी किराए के साथ साथ भोजन की व्यवस्था भी करते है. लेकिन वर्ष 2019-20 से एक भी बार विद्यार्थियों को यह रकम नहीं दी गई है. लॉकडाउन के कारण विद्यार्थी बाहर नहीं जा सके, जिससे वे किराए के लिए भी पैसो की व्यवस्था करने में उनको काफी परेशानी हुई.
ग्रामीण भाग के विद्यार्थी शहरों में पढ़ाई के लिए आते है, उनके पास रहने की व्यवस्था नहीं होती है. इसमे सरकार की स्वाधार योजना उनके लिए काफी लाभदायक होती है. लेकिन 2019-20 की रकम नहीं मिलने के कारण उनका सालभर का आर्थिक संतुलन बिगड़ चूका है. इसके लिए पूरी तरह से सरकार दोषी है.
( एडवोकेट प्रफुल अंबादे )
ग्रामीण भाग से पढ़ाई के लिए शहरो में आनेवाले विद्यार्थियों को अगर स्वाधार योजना का लाभ नहीं मिलेगा तो उनके शैक्षणिक सत्र पर इसका परिणाम होगा. स्वाधार योजना के पैसे प्रत्येक विद्यार्थी के खाते में आने चाहिए. इसको लेकर आरटीआई भी डाला जाएगा .
( सामाजिक कार्यकर्ता राजनंद कावड़े )
शमानंद तायडे