यवतमाल। करोड़ों कर्ज और उसपर का ब्याज के बोझ में गिरी जिले के उमरखेड़ तहसील के महागाव की सुधाकरराव नाईक सहकारी शक्कर मिल पर 6 अप्रैल की सुबह महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक ने की जब्ती की कार्रवाई. बैंक के दल ने आज सुबह कारखाने पर सिल ठोंककर जब्ती की कार्रर्वा पूर्ण की. इस कार्रवाई से सहकार क्षेत्र में खलीबली मच गई है. सन 1995-96 में सुधाकर नाईक शक्कर कारखाना प्रथम गलित हंगाम लिया गया था. तब करखाने के लिए 42 करोड़ खर्च किए गए थे. लेकिन आज तक कारखाने पर 109 करोड़ 97 लाख का कर्ज बकाया है. घटिया राजनीति से कुछ ही साल में यह कारखाना बंद पड़ गया.
यह कारखाना वारण समूह ने सन. 2009-10 में 7 वर्ष की लीज पर चलाने के लिए लिया था. लेकिन वारणा व्यवस्थापन ने स्थानीय कुछ राजनीतिक हस्तक्षेप से 3 वर्ष में करार खत्म कर अपना बोरीयाबिस्तारा समेट लिया. कारखाना बंद पडऩे से गन्ना उत्पादक किसान और कारखाने में काम करनेवाले कर्मचारियों पर भुखमरी की नौबत आ गई. साल 2006 में आवसाधन में निकला इस शक्कर कारखाने पर 76 करोड़ का कर्ज बकाया था अब वह 110 करोड़ तक पहुंच गया है. महगाव परिसर में संजीवनी समझा जानेवाला यह कारखाना फिर से शुरू होने के लिए 30 मार्च को मुंबई में सहकारी मंत्री चंद्रकात पाटिल के कक्ष में विशेष बैठक ली गई थी. विधायक राजेंद्र नजरधने, विधायक मदन येरावार, पंजाबराव खडकेकर, संभाजीराव नरवाडे, साहेबराव पाटिल कदम, सिताराम ठाकरे, दिपक आडे समेत शिखर बैंक वारणा समूह और पूर्ति शुगर मिल के प्रतिनिधि भी इस बैठक में उपस्थित थे.
महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक ने 13 दिनों में इस कारखाने का ताबा ले और एक माह में यह कारखाा दिर्घ अवधि के किरायेतत्व पर चलाने को देने की कार्रवाई करने की मांग सर्वसंमति रखी गई थी. महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक के व्यवस्थापकीय संचालक कर्नाड ने सिर्फ 7 दिनों में यह निर्णय लेकर कारखाने पर जब्ती की कार्रवाई के निर्देश दिए. बैंक के अधिकृत अधिकारी अक्षय नगराईक, नागपुर प्रादेशिक कार्यालय व्यवस्थापक डा. तेजल कोरडे, द्वितीय श्रेणी अधिकारी प्रमोद भोयर, बोर्डीकर, सहायक व्यवस्थापक संगीता टकरे, नरेंद्र टकरे के दल ने आज सुबह शुगर मिल पर जब्ती की कार्रवाई प्रारंभ कर दी थी. सिक्युरिटायझेशन कानून 2002 की धारा 13 (4), सहधारा 8 (1) के तहत यह दल ने शुगर मिल के सभी विभाग को सिल ठोंका और मिल पर जब्ती की कार्रवाई पूर्ण की. इस समय कारखाने के पूर्व अध्यक्ष पंजाबराव खडकेकर, शिवाजीराव देशमुख, अवसायक जी.एन. नाईक, मुख्य सहायक यु. एन. वानखेडे, अजय राठोड़, डी. डी. बागत उपस्थित थे. व्यवस्थापकीय संचालक कर्नाड यह कारखाना शुरू करने के लिए सकारात्मक प्रयास करनेवाले होकर महिने भर में पूर्ति या वारणा समूह को दिर्घ अवधि के लिए कारखाना लिज पर देने की कार्रवाई की करेंगे, ऐसी अपेक्षा व्यक्त की जा रही है.