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नागपुर: सूचना का अधिकार संबंधी मामले में एक अहम फैसला लेते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय को भी एक सार्वजनिक प्राधिकरण माना जिसके तहत अब भारत के मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय भी सूचना का अधिकार कानून के दायरे में आ गया है।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लिए गए इस निर्णय का स्वागत करते हुए दादा रामचंद बाखरू सिंधु महाविद्यालय के रजिस्ट्रार एवं सूचना अधिकार केंद्र, यशदा, पुणे के अतिथी व्याख्याता श्री नवीन महेशकुमार अग्रवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से सूचना का अधिकार कानून को और मजबूती मिलेगी।
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया कि कानून से ऊपर कोई भी नहीं हैं, स्वयं सर्वोच्च न्यायालय भी नहीं।