Published On : Mon, May 7th, 2018

सुप्रीम कोर्ट ने कठुआ गैंगरेप मामले को पठानकोट भेजा

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Kathua Rape Case

नई दिल्‍ली: कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ गैंगरेप किए जाने और उसकी हत्या कर देने के मामले की सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य से बाहर पठानकोट में ट्रांसफर कर दिया है, लेकिन मामले की जांच CBI से करवाने से इंकार कर दिया है. मामले की सुनवाई को ट्रांसफर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘फेयर (Fair) और फियर (Fear) एक साथ अस्तित्व में नहीं रह सकते’, और फेयर ट्रायल का मतलब स्पीडी ट्रायल भी है, इसलिए ट्रायल ‘डे-टू-डे’, यानी रोज़ाना होगा, जिसमें सुनवाई को टाला नहीं जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, मामले का ट्रायल ‘इन-कैमरा’ होगा, और सर्वोच्च न्यायालय ट्रायल की निगरानी करेगा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, सभी बयानों का अंग्रेज़ी में अनुवाद किया जाएगा, तथा ट्रायल रणबीर पीनल कोड के आधार पर चलेगा.

कोर्ट ने जम्मू एवं कश्मीर सरकार को केस के लिए स्पेशल प्रॉसीक्यूटर नियुक्त करने का भी आदेश दिया. मामले की अगली सुनवाई 9 जुलाई को होगी, जिसके लिए राज्य सरकार को आदेश दिया गया है कि वह गवाहों के बयान दर्ज कराने के लिए उन्हें पठानकोट ले जाएगी और उनका खर्च वहन करेगी. कोर्ट के आदेश के मुताबिक, आरोपियों के साथ भी वैसा ही व्यवहार किया जाना चाहिए.

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जम्मू कश्मीर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मामले को राज्य से बाहर करने का विरोध किया. सरकार ने कहा कि पुलिस ने इस मामले में अच्छा काम किया है और वो पीड़ित को फेयर ट्रायल दिलाएंगे. सरकार ने कहा कि अगर इस मामले को राज्य में ही ट्रांसफर किया जा सकता है. सरकार ने केस को कठुआ की जगह राज्य के दूसरे हिस्से में ट्रांसफर के लिए चार विकल्प दिए, जम्मू, उधमसिंह नगर, रामबन और सांभा. जिसपर एक याचिकाकर्ता ने कहा कि रामबन में अगर मामले का ट्रांसफर किया जाता है तो वो सहमत है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सेशन जज को कहेंगे कि वो खुद ही मामले की सुनवाई करें.

कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक हो, गवाहों की सुरक्षा का ध्यान रखा जाए. वहीं याचिकाकर्ता की तरफ से आरोपियों की मांग का विरोध किया गया. कहा गया कि जम्मू औऱ पठानकोट प्रदर्शन की मुख्य जगह थी. लिहाजा मामले का ट्रांसफर इसके अलावा कहीं और किया जाए. जिसपर आरोपियों की तरफ से कहा गया कि याचिकाकर्ता जानबूझ कर मामले की सुनवाई वहां कराना चाहते है जहां दूसरे समुदाय के लोग ज्यादा हैं. इसलिए मामले को वहां ट्रांसफर न किया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि मामले का ट्रांसफर वहीं करेंगे जहां की दूरी स्वीकार योग्य होगी.

कठुआ गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ि‍ता के जैविक पिता की ट्रायल को कठुआ से जम्मू ट्रांसफर करने की याचिका पर सुनवाई की. आरोपी संजीलाल और उसके बेटे विकास जगरोत्रा ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. हलफनामे में कहा कि वो बेगुनाह हैं जम्मू कश्मीर क्राइम ब्रांच ने उनको फंसाया है. हलफनामे में मामले को सीबीआई को सौंपने की मांग करते हुए कहा गया है कि असल अपराधियों को पकड़ने और पीड़िता को इंसाफ दिलाने के लिए ये ज़रूरी है.

हलफनामे में कहा गया है कि सिर्फ आशंका के आधार पर केस को जम्मू से बाहर ट्रांसफर नहीं किया जा सकता. धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक देश जहां कानून का राज है वहां फेयर एन्ड फ्री ट्रायल का अधिकार आरोपी का भी है. कठुआ में ट्रायल चल रहा है जिनमें 221 गवाह हैं, जिनके लिए 265 किलोमीटर दूर चंडीगढ़ जाकर गवाही देना मुमकिन नहीं है. पीड़ित परिवार को कोई धमकी नहीं दी जा रही. उल्टे हमें ही लोग धमका रहे हैं. इसके सबूत भी हैं.’

याचिकाकर्ता ने कहा कि पीड़ि‍ता की वकील दीपिका राजावत ट्रायल कोर्ट में पीड़ित परिवार की वकील नहीं हैं लिहाजा उनकी और उनके साथी तालिब हुसैन की सुरक्षा हटाई जाए. ट्रायल के अलावा जीने के अधिकार को लेकर भी स्वतन्त्र, निष्पक्ष और पारदर्शी जांच भी ज़रूरी. जम्मू-कश्मीर पुलिस की जांच निष्पक्ष नहीं है भेदभावपूर्ण और प्रेरित है. SIT में शामिल DSP इरफान वानी के खिलाफ रेप का मुकदमा चल रहा है. इन्स्पेक्टर निसार खान के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा चल रहा है. SIT ने केस डायरी में गड़बड़ की, आरोपियों व गवाहों को टॉर्चर किया. संजीलाल पीड़ित बच्ची के दादा की उम्र का है जबकि विशाल तो उस वक्त यूपी में इम्तिहान दे रहा था. आरोपियों ने कहा कि वो खुद के लिए फेयर ट्रीटमेंट और पीड़िता के लिए न्याय चाहते हैं.

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