Published On : Thu, Mar 2nd, 2023
By Nagpur Today Nagpur News

‘चुनाव आयुक्तों की सीधी नियुक्ति गलत’, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कमेटी बनाएं; लोकतंत्र में निष्पक्षता बेहद जरूरी

प्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार से कहा कि चुनाव आयोग आयुक्तों की नियुक्ति के लिए सरकार कमेटी बनाए. कानून बनने तक कमेटी की सलाह पर चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करें.
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सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने गुरुवार को भारत के चुनाव आयोग में आयुक्तों के चयन के लिए एक कमेटी बनाने की आदेश दिया. कमेटी में प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश शामिल होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार से कहा कि चुनाव आयोग आयुक्तों की नियुक्ति के लिए सरकार कमेटी बनाए. चुनाव आयोग पर बड़ा फैसला देते हुए कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से चुनाव आयुक्तों की सीधी नियुक्ति गलत है. लोकतंत्र में निष्पक्षता बनाए रखनी चाहिए नहीं तो इसके विनाशकारी परिणाम होंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति से जुड़े मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) स्वतंत्र व निष्पक्ष तरीके से काम करने के लिए बाध्य है, उसे संवैधानिक ढांचे के भीतर कार्य करना चाहिए. निर्वाचन आयुक्तों, मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति के मामले में सुप्रीम की संविधान पीठ ने कहा कि लोकतंत्र नाजुक है और कानून के शासन पर बयानबाजी इसके लिए नुकसानदेह हो सकती है.

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न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ में जस्टिस अजय रस्तोगी, अनिरुद्ध बोस, हृषिकेश ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि चुनाव आयोग को उदार लोकतंत्र की पहचान को ध्यान में रखना चाहिए, लोकतंत्र लोगों की शक्ति से जुड़ा हुआ है. मतपत्र की शक्ति सर्वोच्च है, जो सबसे शक्तिशाली दलों को अपदस्थ करने में सक्षम है. न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी ने अपने अलग फैसले में कहा कि चुनाव आयुक्तों को हटाने की प्रक्रिया मुख्य चुनाव आयुक्त की तरह ही होगी यानी महाभियोग द्वारा हटाया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने गुरुवार को भारत निर्वाचन आयोग के सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया में सुधार की मांग वाली विभिन्न याचिकाओं पर अपना आदेश सुनाया.

24 नवंबर 2022 को, शीर्ष अदालत ने चुनाव आयुक्तों (ईसी) और मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी प्रणाली की मांग करने वाली दलीलों के एक बैच पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. याचिकाओं में सीईसी और दो अन्य ईसी की भविष्य की नियुक्तियों के लिए एक स्वतंत्र कॉलेजियम या चयन समिति के गठन की मांग की गई थी.

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