शिवयोग खेती तरीके से होता है दुगना उत्पादन
यवतमाल। विदर्भ में किसानों की बढ़ती आत्महत्या का कारण लागत ज्यादा और आय कम होना है. इसीलिए विदर्भ के किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए स्वामी शिवानंद ऐसा तरीका किसानों को बताएंगे. जिसकी लागत कम रहेंगी और आय ज्यादा होगी. इसके लिए अतिरिक्त कोई भी खर्चा किसानों को नहीं करना पड़ेगा. इस तरीके से र्गुर मुफ्त में वे सिखाएंगे. 23, 24, 25 जुन को यह तिन दिन का शिविर सिर्फ किसानों के लिए आयोजित किया है.
पहले इस तरीके का प्रयोग मानव जाति पर किया गया था. जिसके अच्छे परीणाम सामने आये है. इसलिए अगस्त 2014 से इसका प्रयोग फसलों पर भी किया गया. उसके भी अच्छे परीणाम दिखाई देने से नरसिंगपुर, जबलपुर, होशंगाबाद और पश्चिम महाराष्ट्र के कराड़ में ऐसे शिविर लिए गए. शिविर में शामिल किसानों को भी अच्छे परीणाम मिले है. लागत कम और उत्पादन दुगना होने की प्रतिक्रिया किसानों ने दी है. जिससे किसानों की शारीरिक, मानसिक और आर्थिक उन्नति हुई. कराड़ के कार्यक्रम में लगभग 7 हजार किसान उपस्थित थे. स्वामी शिवानंदजी ने बताया कि मानवजीवन के पतन का कारण विविध रसायनों का बढ़ता प्रभाव है. यह प्रभाव रोकने के लिए जिवाश्मशक्ति का सहारा लेना पड़ता है. यह जिवाश्मशक्ति शिवयोग संजीवन साधना के माध्यम से ब्रम्हांडशक्ति से मिलती है. इसी जीवाश्मशक्ति से आय दुगनी, तिगनी होती है. रासायनिक खाद से ज्यादा उत्पादन होगा बस इसी लालच से जहरीली फसल उत्पन्न की जा रही है. वह फसल खाकर मनुष्य विविध रोगों से त्रस्त हो चुका है. इसी जहर से जीवाश्मशक्ति नष्ट हो चुकी है. इसीलिए अकाली मौत का प्रमाण बढ़ गया है. यही सब बदलने के लिए कृषि और ऋषि की तकनीक फिर से निर्माण करने की जरूरत आन पड़ी है. इसीलिए खेती में रासायनिक खाद का प्रयोग पूरी तरह बंद कर जीवाश्मशक्ति बढ़ाना यह एकमात्र विकल्प बचा है. जीवाश्मशक्ति बढऩे से पोषक वातावरण की निर्मिती होगी. जिससे अनाज भी ऐसा पकेगा कि इन्सान उसे खाने के बाद व्याधीमुक्त नजर आएंगा. इस कार्यक्रम में साधक नागपुर के दिपक हेडा, प्रशांत चाफले, अविनाश लोखंडे, पंडित दुबे, मिनल येरावार, आनंद भुसारी, गोविंद शर्मा आदि उपस्थित थे. उन्होंने यह जानकारी संवाददाता सम्मेलन में बताई.