नागपुर: आरेंज सिटी सहित समूचे विदर्भ में संक्रामक बीमारियों का जोर कायम है. बच्चों से लेकर वृद्धों तक सभी परेशान हो गये हैं. डेंगू, स्क्रब टायफस ने पहले ही लोगों को हलाकान कर रखा है. इसके साथ ही स्वाइन फ्लू की दहशत भी बरकरार है.
पूर्व विदर्भ में पिछले 10 महीनों के भीतर स्वाइन फ्लू के 387 मरीज पाये गये. इनमें 44 मरीजों की मौत हो गई. हालांकि प्रशासन अब स्वाइन फ्लू को सामान्य तरह का इंफेक्शन मान रहा है, लेकिन मरने वालों का आंकड़ा हर वर्ष बढ़ता ही जा रहा है.
केंद्र सरकार ने स्वाइन फ्लू को नोटीफाइड डिसीज में शामिल किया है, इसका मतलब साफ है कि अस्पतालों को स्वाइन फ्लू बाधित मरीजों की जानकारी सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग को देना अनिवार्य है. इसके बावजूद कई अस्पतालों द्वारा देरी से जानकारी दी जा रही है.
इन दिनों मौसम ने एक बार फिर करवट बदली है. बारिश के बाद बदरीला मौसम होने से इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. वैसे भी ठंड का मौसम शुरू हो गया है. इस सीजन में स्वाइन फ्लू के वाइरस तेजी से सक्रिय हो जाते हैं.
देरी होने से हालत गंभीर
बताया जाता है कि ग्रामीण भागों के शासकीय अस्पतालों में औषधियां नहीं मिलने की वजह से अक्सर मरीज की तबीयत गंभीर हो जाती है. गंभीर होने के बाद उन्हें मेडिकल या मेयो में रिफर किया जाता है जबकि जो मरीज सक्षम है, वह निजी अस्पताल में भर्ती होते हैं. बताया जाता है कि सिटी के लगभग बड़े अस्पतालों में डेंगू के साथ ही स्वाइन फ्लू के भी मरीज उपचार ले रहे हैं. कई बार अस्पतालों में इसलिए जानकारी नहीं दी जाती ताकि अन्य मरीजों में दहशत फैलेगी, क्योंकि स्वाइन फ्लू संपर्क में आने वालों में तेजी से फैलता है.
अस्पतालों को अलर्ट रहने के निर्देश
बीमारी के बढ़ने के साथ ही मनपा के स्वास्थ्य विभाग ने सिटी के सभी शासकीय अस्पतालों में दवाइयों के साथ ही प्रतिबंधात्मक टीकों की आपूर्ति की जानकारी ली जा रही है. साथ ही जनजागृति अभियान भी शुरू किया जाने वाला है. पाजिटिव मरीजों की डिटेल्स सहित उनके संपर्क में रहने वाले परिजनों की जानकारी निकाली जा रही है. वहीं सर्दी, जुकाम और खांसी होने और स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखाई देने पर टेमीफ्लू का डोस दिया जा रहा है. सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग ने भी जिला अस्पतालों, उपजिला व ग्रामीण अस्पतालों को अलर्ट रहने के आदेश दिये हैं.