नागपुर: बाघ शिकार प्रकरण में आरोपियों की तलाश में पारशिवनी तहसील के कोलितमारा पहुंचे वनपरिक्षेत्र अधिकारी एक आदिवासी परिवार के घर की जांच के लिए पहुंची तो पूछताछ के दौरान बंदूक ताने जाने के मामले ने गांव में तनाव पैदा कर दिया. पहले से ही राजनीतिक तौर पर गर्म इस मामले को लेकर एक बार फिर क्षेत्र के जिले में आदिवासी समुदाय के लिए सतत लड़ने वाले कांग्रेस के तेजतर्रार युवा नेता गज्जू यादव ने तीव्र आंदोलन करने की चेतावनी दे रहे हैं.
प्राप्त जानकारी के अनुसार आरोप लगाए जा रहे हैं कि जांच के दौरान आई वन विभाग की टीम ने आदिवासी परिवार के घर में घुसकर पूछताछ कर रही थी. इस दौरान महिला पर बंदूक तान दी गई थी. मामला तूल पकड़ने से आस पास के गांव के लोग जमा होने लगे. इस जौरान जाति वाचक अपशब्दों का प्रयोग किए जाने की भी शिसकायत की गई. इस घटना के दौरान आसपास के नागरिकों की बढ़ती भीड़ को देखकर अपने सहकर्मियों के संग उलटे पांव लौट गए.
बताया गया कि वनपरिक्षेत्र अधिकारी नीलेश गावंडे गुरुवार को बाघ शिकार प्रकरण में आरोपियों की खोज में कोलितमारा गए थे. बिना पुलिस को लिए और न ही उन्हें सूचित किए उक्त अधिकारी जब आदिवासी महिला चंद्रकला वरठी के घर में पहुंची, तो गालीगलौच करते हुए उन पर बंदूक तान दी. तनाव बढ़ता देख पीड़ित महिला और गांव की सरपंच ने उक्त घटना की शिकायत करने पारशिवनी थाने पहुंचीं. लेकिन थानेदार दीपक डेकाटे ने मामला दर्ज करने के बजाय उनसे बुरा व्यवहार किया. इस दौरान थाने में कुछ पत्रकार और नागरिक उपस्थित थे, उन्होंने मामले में हस्तक्षेप कर थानेदार पर दबाव बनाया. दबाव में आकर थानेदार डेकाटे ने उक्त घटना की जानकारी पुलिस उपविभागीय अधिकारी लोहित मतानी को दी.
मतानी ने पुलिस निरीक्षक डेकाटे को मामला दर्ज करने के निर्देश दिए. फिर डेकाटे ने महिला पुलिस कर्मी उषा मडावी को सभी की उपस्थिति में मौखिक शिकायत पर मामला दर्ज किया. पुलिस ने मामला दर्ज जरूर कर लिया है लेकिन वन परिक्षेत्र अधिकारी गावंडे, पांडुरंग पखाले को गिरफ्तार नहीं किया गया. और न ही जातिवाचक गालीगलौच मामले में कार्रवाई की. पुलिस थाने के रवैये पर क्षुब्ध कांग्रेस के जिला महासचिव गज्जू यादव ने तीव्र आंदोलन करने का इशारा दिया है. यादव के अनुसार उक्त घटना के दूसरे दिन कोलितमारा में ४० लोगों ने पत्थरबाजी की, इस मामले की शिकायत वनपरिक्षेत्र अधिकारी द्वारा पारशिवनी थाने में करते ही मामला दर्ज किया गया. समय रहते पुलिस प्रशासन ने आदिवासी समुदाय पर अन्याय करना नहीं छोड़ा तो उनके हितार्थ तीव्र आंदोलन छेड़ा जाएगा.