नागपुर: फडणवीस सरकार द्वारा कौड़ियों की दर में पतंजलि फ़ूड पार्क के लिए 230 एकड़ जगह उपलब्ध कराए जाने को लेकर विधान भवन में शुरू शीतसत्र के दूसरे दिन हंगामा हुआ.
मुख्यमंत्री ने लिखित में जवाब देकर बताया कि एक्स फ़ूड पार्क के लिए 25 लाख रुपए प्रति एकड़ की दर से ज़मीन उपलब्ध कराई गई है. इस फ़ूड पार्क का काम तेज़ी से चल रहा है. इस परियोजना से स्थानीय युवा बेरोज़गारों को रोज़गार मिलने के साथ विदर्भ के उत्पाद को बढ़ावा मिलेगा. एमएडीसी (महाराष्ट्र एयरपोर्ट डेवलपमेंट एथॉरिटी) के बतौर अध्यक्ष यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी ढंग से अपनाई गई है. बावजूद इसके यह भूआवंटन प्रक्रिया विवादों में घिरती जा रही है. बाबा को ज़मीन 25 लाख में दिलाने से लिए 75 लाख रुपए की छूट दी गई, क्योंकि संबंधित ज़मीन की दर एमएडीसी द्वारा एक करोड़ रुपए प्रति एकड़ की तय की गई है. इसके लिए टेंडर में ज़मीन की दर कम कर के दर्शाई गई जिसके मुकाबले बाबा ने पांच प्रतिशत बढ़त की बोली लगाकर 26,25,000 रुपए प्रति एकड़ की दर से दिया गया. इस मसले को लेकर कुछ नेता और राजनीतिक संगठन ऐतराज जता रहे हैं.
मुंबई के कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष संजय निरूपम ने इसे लेकर मुंबई हाईकोर्ट में याचिका भी दायर करते हुए इसे भूखंड घोटाला क़रार दिया और इसे रद्द करने की मांग की. उन्होंने कहा कि प्रति एकड़ एक करोड़ रुपए की दरवाली ज़मीन पच्चीस लाख रुपए में दिया. लेकिन आपत्ती दर्ज कराने के बाद भी ज़मीन वितरित की गई. सरकार ने पहले से ज़मीन की दर तय कर रखी थी.
उन्होंने कहा कि 230 एकड़ जमीन को देने से सरकार को 170 करोड़ रुपए का घाटा हुआ, लेकिन 600 एकड़ का पूरा भूखंड देने पर तकरीबन 400 करोड़ रुपए का घाटा सरकार को उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि एमएडीसी के अध्यक्ष फडणवीस ही इस छूट देने के िलए जिम्मेदार हैं। फरवरी 2016 में, केंद्रयी मंत्री नितिन गडकरी ने व्यापारियों को आमंत्रण देने से पहले ही पतंजलि को 600 करोड़ रुपए देने की घोषणा भी सबके सामने कर दी थी। निरूपम ने यह भी आरोप लगाया कि भूआवंटन की रणनीति पहले ही भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार ने बना ली थी, क्योंकि रामदेव बाबा ने चुनाव पूर्व भाजपा के लिए प्रचार अभियान किया था।
उन्होंने यह भी कहा है कि इस परियोजना के िलए वन जमीन को भी रूपांतरित कर दिया गया है। फूड पार्क के लिए भूआवंटन में पारदर्शिता की कमी है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पतंजलि की यह परियोजना को वित्त सुधार विभाग के प्रधान सचिव ने तैयार किया है। लेकिन इस भूआवंटन को लेकर सवाल खड़े करने के तीन हफ्ते बाद ही संबंधित इस अधिकारी का तबादला किया गया, जबकि तीन साल में तबादला का नियम होने के बाद भी साल भर के भीतर संबंधित अधिकारी का तबादला किया गया।