- तहसील कार्यालय के सामने अनशन शुरू
- अतिरिक्त डीएचओ रनमले ने की अनशन तोडऩे की असफल कोशिश
उमरखेड़ (यवतमाल)। मुलावा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के स्वास्थ्य अधिकारी और कर्मचारी के लापरवाही के कारण जच्चा और बच्चा की मौत हो गई थी. जिससे इन सभी के खिलाफ फौजदारी कार्रवाई करने की मांग के लिए अरुण शिरसाट समेत 5 लोगों ने उमरखेड़ तहसील कार्यालय के सामने 18 दिसंबर से अनशन शुरू कर दिया है. चार माह पहले घटी इस घटना के बारे में डीएचओ की ओर से कोई कार्रवाई नहीं किए जाने से यह अनशन शुरू किया गया है.
अनशन की जानकारी मिलते ही अतिरिक्त डीएचओ रनमले तहसील कार्यालय के सामने पहुंचे. उन्होंने अनशनकर्ताओं को संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई की जाएंगी, ऐसा आश्वासन दिया. मगर जबतक फौजदारी गुनाह दर्ज नहीं किया जाता, तबतक अनशन शुरू रहेंगा, ऐसा अनशनकर्ताओं ने बताया. जिससे अनशन अभीभी शुरू है. मुलावा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के तिवरंग निवासी ज्ञानबा जमदाड़े की बहन बेबीनंदा प्रभाकर थोरात (20) को 2 अगस्त 2014 को पेट में दर्द बढ़ जाने से उसकी मा अनीता और भाई ज्ञानबा ने मुलावा के केंद्र में भरती किया था. उसके हाथ-पैर और मुंह पर सुजन आ गई थी. भरती करने के आधे घंटे बाद
नर्स शिला मुदगल ने उसकी जांच की और कल 12 बजे तक सामान्य प्रसूति होंगी, ऐसा बताया. उसके बाद वह निकल गई. उसी दिन स्वास्थ्य अधिकारी एम.एस. चिलकर छूट्टी पर थे. उसके बाद 10 बजे से पीडि़ता को झटके आकर पेटदर्द बढ़ गया. निवासी वैद्यकीय अधिकारी लापता थे. जिससे उपचार नहीं मिल पाया. रात 12 बजे बेबीनंदा की उपचार के अभाव में बेहोश हो गई. सुबह 4.30 बजे नर्स शिला ने छूट्टी देकर उमरखेड़ अस्पताल ले जाने के लिए कहा. एम्बुलंस में डिझल नहीं होने से ढेड़ हजार रुपए डिझल के लिए.
इस एम्बुलंस से रिश्तेदार पीडि़ता को लेकर उमरखेड़ अस्पताल पहुंचे उसे जांचने के बाद वहां के चिकित्सों ने नांदेड़ ले जाने की सलाह दी. सुबह 9 बजे वहीं पर प्रसूति हुई. जिसमें जच्चा और बच्चे की आधे घंटे में मौत हो गई. कोई भी सही इलाज नहीं करने के कारण उसकी मौत हो गई. इसलिए इन दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की गई है. इसके लिए 9 सितंबर तथा 1 दिसंबर को शिकायत दी गई थी. मगर डीएचओ राठोड़ ने कोई कार्रवाई नहीं करने से समाजसेवी अरुण शिरसाट, प्रभाकर थोरात, संतोष कांबले, ज्ञानबा जमदाड़े, सचिन कांबले ने यह अनशन शुरू किया है.