Published On : Mon, Apr 10th, 2017

शराब मुक्त हिंदुस्तान को गंभीरता से ले सरकार !

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– गुजरात-बिहार में सफल रही शराब बंदी
– पहले वर्ष आर्थिक नुकसान बाद परिस्थिति संवर जाएगी
– बिहार की तर्ज पर हो बंदी का कठोर पालन
– फिर २०१९ का चुनाव पुनः बहुमत से जीतने का मार्ग हो जायेगा प्रशस्त

Liqour-Ban
नागपुर
: पहले गुजरात फिर बिहार में शराब बंदी के महिला व परिवार हित में सफल अभियान को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार पर बंदी के लिए आंदोलनात्मक अभियान चलाया जा रहा है। महिलाओं के आंदोलन को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार सम्पूर्ण हिंदुस्तान या फिर भाजपा शासित राज्यों में शराबबंदी लागू की तो वर्ष २०१९ में होने वाला चुनाव बहुमत से जीतने में सत्तापक्ष को कोई रोक नहीं सकता।

गत सप्ताह सर्वोच्च न्यायालय के परिवार व जनहितार्थ कड़क निर्णय से हिंदुस्तान के शत-प्रतिशत राष्ट्रीय व राज्य महामार्गों पर स्थित शराब दूकानें,परमिट रूम,बार अचानक कुछ घंटों में ताला लग गया. इस निर्णय से शराब के धंधे से जुड़े व अन्य को तिल-तिल मरने की नौबत आन पड़ी है। सुको के निर्णय के आधार पर फ़िलहाल महामार्ग की दुकानें बंद हो गई हैं। अब उनके संचालक एकजुट होकर एवं अपनी जेबे गर्म कर अपने-अपने राज्य सरकारों से सम्बंधित मंत्रियों के संपर्क में है। ताकि जमा किए जा रहे प्रत्येक से २५-५० हजार रुपया खर्च कर सड़कों को “डीनोटीफाय” करवाए या फिर कम समय कम खर्च में दुकान/बार स्थानांतरित करवा ले। इस पहल पर सभी इच्छुक सक्रीय हैं।

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देश में सबसे पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रति श्रद्धा और सम्मान रखते हुए शराब बंदी की शुरुआत गुजरात से हुई। इसके बाद कुछ वर्ष पहले बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार से मिली महिलाओं का दुखड़ा सुन दिए गए आश्वासन की पूर्ति कर कुमार ने सम्पूर्ण बिहार में पुलिस प्रशासन पर नकेल कसते हुए शराबबंदी लागू की। बिहार की शराब बंदी करने पर पहले वर्ष आर्थिक नुकसान सहना पड़ा लेकिन दूसरे वर्ष से आर्थिक प्रगति पहले के बनस्पत बढ़ गई। कारण शराब पर खर्च होने वाली राशि का ६०-७०% अवाक काली कमाई में परिवर्तित हो रहा था। जो की अब रुक गया। वर्त्तमान में शराब पर होने वाले खर्च अब अन्य मार्गों से सरकारी राजस्व में वृद्धि कर रही है। जहां-जहां शराब बंदी की जाती है, वहां-वहां पुलिस प्रशासन की मदद से शराब की कालाबाजारी धड़ल्ले से शुरू हो जाती है।

सरकार को शराब बिक्री शुरू रखने से होनेवाली आय अब बंदी में पुलिस प्रशासन की जेब में काली कमाई के रूप में जाने लगता है। इस तथ्य के मद्देनज़र नितीश कुमार ने पुलिस प्रशासन पर इतना कड़क नकेल कस रखा है कि बिहार सरकार के शराब बंदी को सर्वत्र सराहा जा रहा है। वही दूसरी ओर महाराष्ट्र के वर्धा-चंद्रपुर जिले में शराब बंदी के बावजूद पुलिस प्रशासन की मदद से बंदीवाले जिले में मनचाही शराब का स्वाद लिया जा सकता है। वही महाराष्ट्र में सुको के निर्णय से शराब निर्माता,दिग्गज बार-डांस बार संचालक,बड़े-बड़े सफेदपोश वितरक सकते में हैं। और राज्य सरकार पर दबाव बनाकर नए उपाययोजना कर इस व्यवसाय पर उपजी संकट का मार्ग खोजने की अपील करते हैं। इस संदर्भ में नागपुर में खासकर मुम्बई के शराब व्यवसाय से जुडी संगठन के मार्गदर्शन पर हिस्लॉप कॉलेज के पीछे एक लॉन में आए दिन शराबबंदी के नाम पर चंदा इकठ्ठा करने के लिए लगातार बैठकों का दौर जारी है। अभी प्रत्येक से ५०-५० हज़ार वसूलने के अभियान पर बैठके चल रही है।

उल्लेखनीय यह है कि सुको के निर्णय से देश में शराबबंदी से अगर कोई बड़ा तबका काफी खुश है तो वह तबका महिलाओं एवं युवतियों का है। प्रत्येक घर इन महिलाओं द्वारा संचलित होता है। यही तबका अगर कुछ ठान लेता है तो तख्ता भी पलटता है और आगे भी पलटने की संभावना बनी रहती है। शराबबंदी को लेकर उत्तर प्रदेश में जारी महिलाओ के आंदोलन किसी से छिपा नहीं है। इसलिए “नागपुर टुडे” देश की महिला व युवतियों के सम्मान में हिंदुस्तान के सबसे चर्चित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से सम्पूर्ण हिंदुस्तान में शराबबंदी लागू करने की मांग का समर्थन करता है। सरकार चंद व्यापारियों के हित साधने के बजाय वर्ष २०१९ का लक्ष्य ध्यान में सम्पूर्ण देश में शराबबंदी लागू कर देते हैं तो 2019 में दोबारा बहुत से भाजपा के आने की संभावना मजबूत होगी।

– राजीव रंजन कुशवाहा

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