Published On : Fri, Oct 20th, 2017

कर भरते निवासी का और उपयोग करते व्यावसायिक

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नागपुर: नागपुर महानगरपालिका आजतक अपनी आय स्त्रोत को बढ़ाने के लिए गंभीर नहीं हुई,विभिन्न अवसरों पर जागरूक नागरिकों के सलाह जरूर लिये गए लेकिन अमल के नाम पर हाथ खड़े किये गए.आज यह आलम है कि संपत्ति कर संकलन के नाम पर मनपा की निष्क्रियता का फायदा उठाते हुए सैकड़ों निवासी उपयोग के कर भरने वाले व्यावसायिक उपयोग कर खुलेआम कर चोरी कर रहे हैं. कर विभाग के घाघ अधिकारी व कर्मी को जानकारी रहते हुए उनकी चुप्पी समझ से परे हैं. लगता हैं ये कर्मी/अधिकारी मनपा की स्वायत्तता छिन्न के ही दम लेंगे.


नागपुर महानगरपालिका प्रशासन पिछले कुछ वर्षो से आर्थिक अड़चन से जूझ रही हैं.अड़चन की वजह साफ़ हैं कि वे कभी अपनी आय बढ़ाने की पहल ही नहीं की,अबतक अप्रत्यक्ष आय स्त्रोत और केंद्र व राज्य सरकार के अनुदानों पर आश्रित रहीं. इसलिए वर्षों से प्रत्येक स्थाई समिति अध्यक्ष गुब्बारें की भांति भरी-भरक्कम बजट पेश करते रहे तो दूसरी ओर मनपा आयुक्त प्रस्तुत बजट के ६-८ माह बाद ‘रिवाइस बजट’ पेश करते रहे. इस ‘रिवाइस बजट’ में ६ से ८ सौ करोड़ की राशि लगभग सभी मदो में से कटौती कर दी जाती रही. वर्त्तमान आर्थिक वर्ष में स्थाई समिति अध्यक्ष संदीप जाधव निधि देने हेतु सिफारिश पत्र देने में किसी से भेदभाव नहीं कर रहे.


शैक्षणिक संस्थाओं में व्यावसायिक उपक्रम, मनपा कर से मुक्त
शहर में हज़ारों शैक्षणिक संस्था,सरकारी-निजी दफ्तर आदि हैं.शैक्षणिक संस्थाओं से मनपा निवासी संपत्ति कर संकलन करती हैं.लेकिन शहर के शैक्षणिक संस्थाएं,सरकारी-निजी दफ्तर आदि में से अधिकांश के परिसरों में व्यावसायिक उपक्रम चल रहे हैं.जैसे किसी व्यावसायिक को किराये पर जगह,सरकारी आदि कैंटीनों को किराये पर चलाने हेतु दे दिया गया हैं.इनसे बड़े पैमाने पर मासिक किराया वसूल किया जाता हैं.नियमानुसार इस वसूले जा रहे किराये में मनपा का भी जायज हक्क है. इसकी जानकारी होने के बावजूद मनपा प्रशासन की चुप्पी मनपा को आर्थिक नुकसान पहुंचा रही हैं.

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निजी सहायक का दबदबा
वहीं स्थाई समिति सदस्यों और नगरसेवकों को उनके निजी सहायक ने ‘भिकारी’ बना दिया हैं.वे रोजाना आते हैं और निधि सह प्रस्ताव को आगे बढ़ाने की मांग करते हैं.वहीं दूसरी ओर ये निजी सहायक वरिष्ठ,घाघ,करीबी नगरसेवक व पदाधिकारियों सह पूर्व नगरसेवक-पूर्व पदाधिकारियों के मांग अनुरूप सक्रीय हैं.

ये सहायक स्थाई समिति में मंजूरी पूर्व व पश्चात् ठेकेदार व उनकी कंपनियों के लिए तैनात किये गए हैं. जबकि इनकी स्थाई समिति में अवैध नियुक्ति हैं. इन्हें पिछले ३ स्थाई समिति अध्यक्षों ने जकड के रखा था लेकिन मनपा के सत्ताधारी के नेता से करीबी होने के कारण मनपा प्रशससँ सह सत्ताधारी भी इनके आगे नतमस्तक हैं,नतीजा सत्ताधारी नगरसेवक व पदाधिकारी भी नम्रता से पेश आते हैं.इनकी मनपा में हजारी न के बराबर हैं,कब आते और कहाँ जाते इन्हें ही पता हैं. इनके लिए पंचिंग मशीन अनिवार्य नहीं हैं.गत सप्ताह डीपीसी बैठक में इनकी पदोन्नति भी हुई,लेकिन इन्हें स्थाई समिति से बेदखल करने में प्रशासन खुद को बौना सिद्ध कर रहा.

३ लाख के प्रस्ताव की लग गई ढेर
मनपा स्थाई समिति अध्यक्ष संदीप जाधव के सिफारिश पत्र मिलने के बावजूद अतिरिक्त मनपायुक्त के कार्यालय में ३ लाख और उसके ऊपर के प्रस्ताव की सैकड़ों फाइलें ढेर लगते जा रही हैं.ऐसा दर्शाया जा रहा हैं कि अतिरिक्त आयुक्त इन फाइलों पर अपने हस्ताक्षर इसलिए नहीं कर रहे कि मनपा आर्थिक अड़चन में है.इनमें से जिस प्रस्ताव को अतिमहत्वपूर्ण समझा जाता हैं उन्हें आगे बढ़ाया जा रहा हैं.तो दूसरी ओर जिस फाइल को मंजूरी देने हेतु पूर्व या वर्त्तमान पदाधिकारी पुरजोर दबाव बनाते हैं उन्हें जानकारी दी जाती हैं कि वे इस मामले में सत्तापक्ष नेता से बात करें. हालही में दो पूर्व पदाधिकारियो के रूचि नुसार ६ लाख रूपए की फाइल को मंजूरी दी गई,जिसके तहत खेलकूद,सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन पूर्व नागपुर में किया जाएगा.

पहले काम फिर बनेंगा प्रस्ताव तब मिलेंगा पैसा
मनपा में कुछ घाघ नगरसेवक पहले अपने अपने इलाकों में रूचि अनुसार काम करवा ले रहे हैं.काम पूर्ण होने के बाद काम करने वाले ठेकेदार से उसकी ठेकेदार के हिसाब से प्रस्ताव तैयार करवाते हैं.इसके बाद तैयार प्रस्तावों की फाइल लेकर खुद या अपने करीबी को सभी संबंधितों की मंजूरी दिलवाकर उसकी निधि निकलवाने का नया कारनामा शुरू किया हैं.इससे नए-नए नगरसेवक अचंभित हैं,भले ही वह पदाधिकारी क्यों न हो.

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