Published On : Sat, Aug 11th, 2018

धार्मिक अतिक्रमण : अब भरना होगा 60 हजार

Advertisement

Nagpur Bench of Bombay High Court

नागपुर: सर्वोच्च न्यायालय और कई बार हाईकोर्ट की ओर से दिए गए आदेशों के बावजूद धार्मिक अतिक्रमण हटाने को लेकर की गई कोताही को लेकर अवमानना की कार्रवाई का डंडा चलाते ही मनपा और प्रन्यास की ओर से कार्रवाई शुरू की गई. एक ओर जहां धार्मिक संस्थानों के साथ लोगों की ओर से कार्रवाई का विरोध किया गया, वहीं दूसरी ओर न्यायिक विचाराधीन मामला होने के कारण कुछ संस्थानों की ओर से हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया गया. इन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान मनपा की ओर से बताया गया कि अब नए सिरे से 860 धार्मिक संस्थानों ने आपत्तियां दर्ज कराई है. इन्होंने निधि जमा करने की तैयारी भी दिखाई है.

लेकिन पहले की सूची में इनके नाम नहीं होने से उनकी निधि स्वीकार नहीं की जा रही है. सुनवाई के दौरान अदालत की ओर से पहले तो प्रत्येक को 1 लाख रु. जमा कराने के मौखिक आदेश दिए गए. लेकिन यह राशि अधिक होने से अदालत ने बाद में 21 अगस्त तक प्रत्येक को 60 हजार रु. हाईकोर्ट रजिस्टार के पास जमा करने के आदेश दिए. मनपा की ओर से बताया गया कि पहले 967 धार्मिक स्थलों की सूची दी गई थी. जबकि जांच के बाद केवल 670 ही धार्मिक स्थल होने का खुलासा हुआ है.

Gold Rate
Monday 31March 2025
Gold 24 KT 90,500 /-
Gold 22 KT 84,200 /-
Silver / Kg 101,500 /-
Platinum 44,000 /-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

केवल 254 धार्मिक स्थलों ने जमा किए 50 हजार
मनपा की ओर से बताया गया कि अदालत में 967 धार्मिक संस्थानों द्वारा आपत्ति दर्ज किए जाने की सूची दी गई थी. जिसके बाद इसकी छानबीन की गई. जिसमें कुछ आपत्तियां 2 बार प्रेषित होने का खुलासा हुआ. जिससे अब इनकी संख्या केवल 670 ही है. इसमें से भी 254 धार्मिक संस्थानों की ओर से 50-50 हजार रु. जमा किए गए हैं.

गत सुनवाई के दौरान अदालत का मानना था कि वर्ष 2011 में सुको की ओर से इस संदर्भ में आदेश जारी किए गए. जिसके बाद मुंबई हाईकोर्ट की ओर से भी आदेश जारी किए गए. यहां तक कि मनपा की ओर से वर्ष 2014 में पब्लिक नोटिस जारी कर आपत्तियां मंगाई गई थी. लेकिन सूची घोषित होने के बावजूद किसी ने आपत्ति दर्ज नहीं की थी. यहां तक कि मनपा की ओर से कार्रवाई तक नहीं की गई. अब जनहित याचिका पर आदेश के बाद आपत्तियां दर्ज कराई जा रही है.

बाल सुधार गृह पर खर्च होगी निधि
सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की ओर से रखी गई दलीलों के बाद भले ही अदालत की ओर से 21 तक अन्य आपत्तिकर्ताओं को निधि जमा करने की राहत प्रदान की हो, लेकिन इस माध्यम से हाईकोर्ट के पास जमा होनेवाली राशि बाल सुधारगृहों के मूलभूत सुविधाओं पर खर्च करने के आदेश दिए.

साथ ही निधि व्यवस्थापन व वितरण के लिए 3 सदस्यीय समिति का गठन किया गया. जिसमें सरकारी वकील सुमंत देवपुजारी, अधि. गौरी व्यंकटरमन और सहायक सरकारी वकील कल्याणी देशपांडे को शामिल किया गया. अदालत का मानना था कि विभिन्न मामलों के नाबालिगों और अन्य को बाल सुधारगृह में रखा जाता है.

लेकिन ऐसे ही एक मामले में हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त समिति की ओर से दी गई रिपोर्ट में इनकी दयनीय स्थिति होने का खुलासा किया गया. जिससे सुधारगृह अब खर्च के लिए समिति के पास रिपोर्ट पेश करेंगे. जिसके बाद आवेदन पर निर्णय लिया जाएगा. खर्च के लिए आवश्यक नियम और शर्ते समिति द्वारा तय की जाएगी.

Advertisement
Advertisement