Published On : Thu, Sep 1st, 2022
By Nagpur Today Nagpur News

गणेश महोत्सव की शुरुआत एक पहल

Advertisement

– आज भारत वर्ष के लगभग सभी राज्यों में गणेश महोत्सव की शुरुआत हो गई क्या आप जानते है गणेश महोत्सव की शुरुआत कैसे हुई आइए जानते है गणेश महोत्सव का इतिहास

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह माना जाता है कि गणेश जी का जन्म माघ माह में चतुर्थी (उज्ज्वल पखवाड़े के चौथे दिन) हुआ था। तब से, भगवान गणेश के जन्म की तारीख गणेश चतुर्थी के रूप में मनानी शुरू की गई। आजकल, यह त्योहार हिंदू एवं बहुत से अन्य समुदाय के लोगों द्वारा पूरी दुनिया में मनाया जाता है।

Gold Rate
19 April 2025
Gold 24 KT 95,800 /-
Gold 22 KT 89,100 /-
Silver / Kg - 96,300 /-
Platinum 44,000 /-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

गणेश चतुर्थी के पर्व पर पूजा प्रारंभ होने की सही तारीख किसी को ज्ञात नहीं है, हालांकि इतिहास के अनुसार, यह अनुमान लगाया गया है कि गणेश चतुर्थी सोलह सौ तीस या सोलह सौ अस्सी के दौरान छत्रपति शिवाजी महाराज (मराठा साम्राज्य के संस्थापक) के समय में एक सार्वजनिक समारोह के रूप में मनाया जाता था। शिवाजी के समय, यह गणेशोत्सव उनके साम्राज्य के कुलदेवता के रूप में नियमित रूप से मनाना शुरू किया गया था।

पेशवाओं के अंत के बाद, यह एक पारिवारिक उत्सव बना रहा, यह अट्ठारा सौ त्रिरानवे में बाल गंगाधर लोकमान्य तिलक द्वारा पुनर्जीवित किया गया।

गणेश चतुर्थी एक बड़ी तैयारी के साथ एक वार्षिक घरेलू त्योहार के रूप में हिंदू लोगों द्वारा मनाना शुरू किया गया था। सामान्यतः यह ब्राह्मणों और गैर ब्राह्मणों के बीच संघर्ष को हटाने के साथ ही लोगों के बीच एकता लाने के लिए एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाना आरंभ किया गया था।

महाराष्ट्र में लोगों ने ब्रिटिश शासन के दौरान बहुत साहस और राष्ट्रवादी उत्साह के साथ अंग्रेजों के क्रूर व्यवहार से

मुक्त होने के लिए मनाना शुरु किया था। गणेश विसर्जन की रस्म बाल गंगाधर लोकमान्य तिलक द्वारा स्थापित की गई थी।

धीरे-धीरे लोगों द्वारा यह उत्सव परिवार के समारोह के बजाय समुदाय की भागीदारी के माध्यम से मनाना शुरू किया गया। समाज और समुदाय के लोग इस पर्व को एक साथ सामुदायिक त्योहार के रुप में मनाने के लिए बौद्धिक भाषण, कविता, नृत्य, भक्ति गीत, नाटक, संगीत समारोहों, लोक नृत्य करना, आदि क्रियाओं को सामूहिक रुप से करते हैं। लोग तारीख से पहले एक साथ मिलते हैं और उत्सव मनाने के साथ ही साथ यह भी तय करते है कि इतनी बड़ी भीड़ को कैसे नियंत्रित करना है।

– भूमिका मेश्राम,कोदामेंढ़ी

Advertisement
Advertisement