राज्यपाल नामित 12 सदस्यों के चयन को लेकर महाराष्ट्र की सरकार और राज्यपाल में अनबन की खबरें है और कैबिनेट की मंजूरी के बाद निर्णय लेने की चर्चा है। जबकि इनके नामों की सिफारिश मुख्यमंत्री सीधे राज्यपाल को कर सकते है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को उपलब्ध कराए दस्तावेजों में तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने 3 चरणों मे 12 सदस्यों के नामों की सिफारिश करने के बाद राज्यपाल ने उन सिफारिशों को लागू किया था।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री सचिवालय को गत 15 वर्षो में राज्यपाल नामित सदस्यों की चयन प्रक्रिया के तहत सिफारिश किए गए नाम और मंजूर हुए नाम की लिस्ट मांगी थी। मुख्यमंत्री सचिवालय ने जानकारी देने से इनकार करने पर अनिल गलगली द्वारा प्रथम अपील दायर की गई। इस अपील में कोविड के चलते अन्य विभाग के आवेदन हस्तांतरित न करने की बात कही गई और बाद में उनका आवेदन को सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा गया। सामान्य प्रशासन विभाग ने अनिल गलगली को तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने सिफारिश किए हुए 3 पत्र और महाराष्ट्र की सरकार ने जारी किए गए नोटिफिकेशन की कॉपी थमाई। जबकि इसके पहले की गई सिफारिशों की जानकारी न होने का दावा कर गलगली का आवेदन राज्यपाल सचिवालय को हस्तांतरित किया गया।
अनिल गलगली को जो दस्तावेज दिए गए है उससे साफ होता है कि मुख्यमंत्री अपने स्तर पर 12 नाम की लिस्ट राज्यपाल को भेजकर सिफारिश करता है और राज्यपाल की मंजूरी के बाद सरकार उसकी नोटिफिकेशन जारी करती है। चव्हाण ने उसवक्त प्रथम चरण में 6, द्वितीय चरण में 4 और तृतीय चरण में 2 नामों की सिफारिश की थी।
अनिल गलगली के अनुसार सरकार की ओर से नाम की सिफारिश करने में देरी हो रही है। हमेशा राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों को वरियता देकर राजनीतिक दल नैतिक तौर पर इसके प्रावधान के मूल उद्देश्यों की हत्या करते है। गलगली ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर गैर राजनीतिक लोगों की नियुक्ति करने की मांग की है।