नागपुर: मुंबई के पब ‘मोजो’ में गत वर्ष लगी आग से सम्पूर्ण राज्य सकते में आ गया था. सिवा राज्य के जिला प्रशासन, महानगरपालिका, अग्निशमन विभाग और पुलिस प्रशासन के उक्त सभी प्रशासन की लापरवाही से नागपुर समेत सभी बड़े शहरों में जहां वहां पब, हुक्का पार्लर, बार ओर्केस्ट्रा और रूफ टॉप रेस्टारेंट खुलते जाना किसी बड़े हादसे को निमंत्रण दे रहे है.
ज्ञात हो कि मुंबई हादसे के बाद नागपुर में जिला प्रशासन, नागपुर महानगरपालिका, अग्निशमन और पुलिस प्रशासन से इस सन्दर्भ में जानकारी मांगी गई तो सभी के सभी अपना पल्ला झाड़ते हुए एक-दूसरे पर जिम्मेदारियां धकेलते नज़र आए.
खासकर पुलिस विभाग का रुख इस मामले में स्पष्ट न होने का आभास एक आरटीआई आवेदन के तहत दिए जवाब से हुआ. दरअसल आरटीआई के तहत उनसे जानकारी मांगी गई कि
१.- कितने पब, हुक्का पार्लर, बार ओर्केस्ट्रा और रूफ टॉप रेस्टारेंट शुरू करने की अनुमति दी.
२.- इस सन्दर्भ की राज्य सरकार का अध्यादेश की प्रति दी जाए.
३.- शहर के कितने अवैध पब, हुक्का पार्लर, बार ओर्केस्ट्रा और रूफ टॉप रेस्टारेंट पर कार्रवाई किए.
काफी दिनों बाद आवेदक को जवाब दिया गया कि मांगी गई जानकारी सवाल के रूप में होने से नहीं दी जा सकती. इसके बाद आवेदक प्रथम अपील का सहारा लिया. प्रथम अपील पर सुनवाई के लिए लिखित निर्देश पत्र पर यह भी अंकित था कि न आए तो……..
जब आवेदक प्रथम अपील पर पहुंचा तो सुनवाई करने वाले अधिकारी नदारत थे. आवेदक की हज़ारी लगाकर दूसरी तिथि देकर भेज दिया गया. दूसरी तिथि पर पहुंचे तो भी सम्बंधित अधिकारी अपने कक्ष ने नहीं थे. आवेदक को तीसरी तिथि दी गई. आवेदक पुलिस महकमें की व्यस्तता के मद्देनज़र तीसरी तिथि पर दिए गए समय के १ घंटा पहले पहुंचे. क्यूंकि अब सुनवाई करने वाले अधिकारी की बदली की जा चुकी थी. यह अधिकारी भी सुनवाई के लिए दिए गए समय के १ घंटा बाद तक अपने कार्यालय नहीं पहुंची तो छुब्ध होकर आवेदक अपने गंतव्य स्थल की ओर चला गया. लगभग आधे घंटे बाद पुलिस आयुक्तालय के सूचना अधिकार विभाग से कॉल आया कि सुनवाई करने वाली अधिकारी आ गई हैं, जल्द आ जाएं. आवेदक ने नकारात्मक जवाब देते हुए कहा कि समय की कद्र का जिम्मा क्या सिर्फ आम नागरिकों के मत्थे है, क्या पुलिस महकमें की कोई नैतिक जिम्मेदारी नहीं.
कुछ दिनों बाद पुलिस आयुक्तालय से एक लिखित जवाब आया कि आवेदक सुनवाई के दौरान अनुपस्थित था. इसलिए सुनवाई करने वाली अधिकारी ने सम्बंधित विभाग को पहले और दूसरे मुद्दे की जानकारी देने का निर्देश दिया.
विभाग ने कुछ दिन पूर्व आवेदक को जवाब दिया कि उन्होंने ८ आर्केष्ट्रा को सिर्फ अनुमति दी है, जिसके नाम नहीं दिए. साथ में एक नियमावली की प्रत दी गई.
अर्थात पुलिस महकमें से वैसे ही आम नागरिक दूरी बनाए रखते हैं और कोई जानकारी प्राप्त करने के लिए संघर्ष करता दिखा तो उसके चप्पल घिसवा दी जाती है और गलती महकमें की रहने के बाद दोषारोपण संघर्ष करने वाले के मत्थे मढ़ दिया जाता है.
पुलिस महकमें के साथ ही साथ जिलाधिकारी कार्यालय,महानगरपालिका व अग्निशमन विभाग पब,हुक्का पार्लर,बार ओर्केस्ट्रा और रूफ टॉप रेस्टारेंट मामले में काफी कोताही बरत रहे है. आठ रास्ता चौक स्थित अशोक होटल का रूफ टॉप,लाहोरी के छत पर ‘रूफ ९ ‘ आदि कई दर्जन शहर भर के पब, हुक्का पार्लर, बार ओर्केस्ट्रा और रूफ टॉप रेस्टारेंट देर रात तक नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए संचलित हो रही हैं. जिले में महामार्ग किनारे ढाबे १ बजे रात तक बंद हो जाते हैं लेकिन मुख्यमंत्री निवास के पीछे लाहोरी तड़के सुबह तक ग्राहकों की सेवा में लीन रहता हैं. इसके बदले में उक्त विभागों के नुमाइंदों की मुंहमांगी सेवाएं होती रहती हैं. इसकी खास वजह यह भी है कि उक्त अवैध पब, हुक्का पार्लर, बार ओर्केस्ट्रा और रूफ टॉप रेस्टारेंट के व्यवसायिक पार्टनर या साझेदार सफेदपोश या उनके करीबी हैं.इन अवैध पब, हुक्का पार्लर, बार ओर्केस्ट्रा और रूफ टॉप रेस्टारेंट को पुलिस प्रशासन की अंत में जरूरत पड़ती है, रोजमर्रा हेतु ये खुद के पाले बाउंसर से काम चला रहे हैं या बाऊंसर व्यवसाय पुलिस विभाग की आय पर सेंध लगा रहा है.