शिवयोग शेतकरी शिविर संपन्न
यवतमाल। अपना भारत देश आजभी खेती प्रधान देश है, खेती व्यवसाई एवं किसान यह अपने संस्कृतिका अविभाज्य घटक है. ऐसी स्थिति में किसानोंं पर ऊपर मंडरा रहा संकट याने भारतीय संस्कृति पर संकट है, ऐसा प्रतिपादन अवधूत बाबा शिवानंद ने किया. वे स्थानीय हेलीपॅड मैदान पर आयोजित दो दिवसीय शिवयोग किसान शिविर के दूसरे दिन के सत्र में किसानों को मार्गदर्शन करते हुए बोल रहें थे.
किसानों ने अपने खेत में परिश्रम लेना जरूरी है ही इसमें किसानों ने साधक बनकर साधना कर कड़े परिश्रम को अध्यात्मिक जोड़ देना भी जरूरी है. किसानों ने प्रतिदिन अपने खेत में नियमित रूप से शिवसाधना एवं शिवयोग शक्ति का प्रयोग कर किसान अपने खेत में जिवनदायी शक्ति के वास्त्यव्य में बढ़ोत्तरी करने का प्रयास करें, खेती में बुआई को लगनेवाले बिज खुद ही प्रक्रिया से तैयार कर उसमें शिवयोग शक्ति प्रदान करें, ऐसा भी उन्होंने आवाह्न किया.
रासायनिक खाद, रासायनिक किटनाशक का इस्तेमाल न करते हुए सेंद्रीय तरीका एवं शिवयोग साधना से किए खेती का अनाज, सब्जी, फल आदि अत्यंत पौष्टिक, परिणामकारक एवं अमृततुल्य रहेंगे, ऐसा विश्वास अवधूत बाबा ने किसानों को जताया.
देश का किसान सुखी, संपन्न एवं स्वस्थ्य होने की यही मंशा लेकर मैं यह शिवयोग शक्ति का प्रसार कर रहा हूं, होने की बात अवधूत बाबा ने बताई. इस शिवयोग शक्ति सिर्फ खेती उत्पादन में बढ़ोत्तरी करना ही नहीं तो किसानों के के मन पर इसका परिणाम होकर मनशांति का लाभ और शरीर स्वास्थ्य भी स्वस्थ और उत्तम रहेंगा. दो दिवसीय किसान शिविर में हजारों किसानों ने शिवयोग शक्ति की ऊर्जा प्राप्त कर उसका प्रयोग अपने खेती कर खेती व्यवसाई में जो व्यवधान को दूर करने का प्रयास करना है, ऐसी भावना उन्होंने प्रकट की.
शिविर के सफलतार्थ गुरूदेव सेवा मंडल, पतंजली योगपीठ, आर्ट ऑफ लिविंग, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, सत्यसाई सेवा संघ, अजय मुंधडा, राजेश्वर निवल, मिनल येरावार, अविनाश लोखंडे, पंडित दुबे, शंतनू शेटे, मनोज औदार्य, डॉ. प्रताप तारक, आनंद भुसारी, अमर दिनकर, नितीन गिरी, सुहास पुरी, अमोल येरावार, संजय भुयार, गणेश तिवारी, संतोष डोमाले, बिरेंद्र चौबे, अनंत पांडे आदि समेत असंख्य कार्यकर्ताओं और शिवयोग साधक परिवार के सदस्यों ने प्रयास किए.