– असलियत को छुपाने का प्रयास ,मामले की सीबीआई जांच की मांग
खापड़खेड़ा – महानिर्मिती के खापरखेडा पावर प्लांट मे गत 8 दिसंबर को लगी आग बिजली के साटसर्किट से नही अपितु कोल हैंडलिंग प्लांट के गर्म कोयला से आग उत्पन्न हूई थी ? जोकि CHP के कोयले को डोझर मशीन के जरिए चलित कोल कन्वेयर बंकर मे ढकेलना होता है ? डोझर पायलट को यह भी मालुम था कि बीएचपी मे गर्म कोयला को निरंतर पानी के प्रेसर से बुझाने का कार्य शुरु है. परंतु कोयला स्टाक यार्ड के तह मे निरंतर अग्नि बरकरार रहती है!मामला के सबंध मे सर्व विदित है कि सी एच पी प्लांट के स्टाक यार्ड मे पडे कोयला के तह मे अग्नि विधमान रहती है. हालकि कोल हैंडलिंग प्लांट मैंटनेन्स ठेका फर्म के नियोक्ता को सब कुछ पता था.
परंतु उन्होने अपने डोझर पायलट को चेताया नही ? परंतु क्या करें उनके लिए असलियत को छुपाना उनकी मजबूरी है.वैसे भी सी एच पी मेन्टनेस ठेका फर्म नियोक्ता ऐसी गैरकानूनी हरकतें के लिए बाज नहीं आते है ? श्रमिक शोषण की वजह से उनके ठेका मजदूर उनसे सदैव नाराज़ रहते हैं।वैसे अपने धंदा को जिंदा रखने के उद्देश से असलियत को छिपाना उनकी मजबूरी है.अन्यथा मामला उजागर हुआ तो परिणाम खतरनाक भी हो सकते है .नतीजतन बदनामी,मानहानी नुकसान और ब्लैकलिस्ट के डर से उन्होंने इस घटना को इलेक्ट्रिक साटसर्किट का रूप स्वरुप दिलवा दिया गया ताकि नये सिरे से पुनः नया कोलवेल्ट फिटिंग का टेंडर ठेका आमंत्रित किया जा सके.प्रकरण के संबंध मे ऊर्जा मंत्रालय को पूरी तरह अनभिज्ञ रखा गया है.
अधिकारी भी मामला को उजागर करने की वजाय चुप्पी साधना जरुरी समझते है ? क्योंकी वर्तमान ऊर्जामंत्री भी कोई विधुत अभियांत्रिकी विशेषज्ञ तो है नही ? दो मुहे और मौकापरस्त कार्यकर्ताओं ने जैसा तकनीकी तौर पर ध्यान मे लाया गया और ऊर्जा मंत्री ने मान लिया कि आग बिजली के साटसर्किट से लगी होगी ? हालकि जो भी हो वरिष्ठ और तकनीसियनों की मानना ही पडता है ? कार्यकर्ताओं की मानना ही पडता है ?
बिजली केबल की उच्चगुणवत्ता मे कोई दोष नही ?
खापरखेडा पावर प्लांट के बिजली विशेषज्ञों की माने तो कोल कन्वेयर वेल्ट मे फिटिंग की गयी विधुत व्यवस्था विधुत अधिनियमो के अनुकूल और तकनीकी बतौर सफल और अति उच्चतम गुणवत्ता दर्जे की थी. परिणामतः बिजली केबल मे जरा सा भी फाल्ट हो ही नही सकता. तत्संबंध मे पावर प्लांट मे विधुत सुव्यवस्था विशेषज्ञों द्वारा प्रति दिन परीक्षण और कडी निगरानी खरी जाती है!इस संबंध मे सूत्रों का ये भी दावा है कि 8 दिसंबर 2021 को खापरखेडा पावर प्लांट के कोल कन्वेयर वेल्ट मे लगी आग साटसर्किट से नही अपितु CHP प्लांट मे पडे कोयले की तह मे अग्नि बरकरार रहती ही है.और डोंझर के द्वारा गर्म युक्त कोयला बेल्ट बंकर मे ढकेले जाने तथा चलित कोल कन्वेयर वेल्ट मे हवा के दबाव से अग्नि की धंधक उठी और देखते ही देखते अग्नि की ज्वालाग्राही चिनगारियों की चपेट मे कन्वेयर प्लांट धूंधूं कर जलने लगा.
हुआ यूं कि पावर प्लांट मे अफरातफरी मच गयीl नतीजतन असलियत पर पर्दा डालने तथा सच्चाई को छिपाने की दृष्टी से अनभिज्ञ और अल्प तकनीशियनों ने चिल्लाकर आवाज लगाया कि यह अंगार बिजली की साटसर्किट से लगी होगी ? और विधुत प्रबंधन ने सही ने मान लिया कि आग साटसर्किट से लगी होगी.
बताते है कि घटना के दूसरे दिन ऊर्जा मंत्री तथा महानिर्मिती के संचालक ने खापरखेडा पावर प्लांट पंहुचे और घटना स्थल का मुआयना किया गया. परिणामतः अनुमान के आधार पर उसे साटसर्किट का रुप दे दिया गया ? नतीजतन कोल कन्वेयर वेल्ट जलने से सरकार को करोडों रुपये का नुकसान पहनाने पडा है ? खापरखेडा के अंधभक्त तरह तरह की बात कर रहे है कि इस पावर हाऊस परिसर मे अकाल मृत्यू से मरे मजदूरों की मृत आत्मा ने आग लगाया होगा ? कोई कहते है कि पावर प्लांट के वरिष्ठ अधिकारियों को नीचा दिखाने तथा डालने के लिए किसी ओछी हरकत वाले कमीने आदमी ने बिडी य सिगरेट पीकर कन्वेयर वेल्ट मे फेक दिया होगा और हवा के दबाव मे कोल डस्ट ने आग पकड लिया और रबर स्टापर बेल्ट सहित कोयला धूंधूं कर जलने लगा .
इस संबंध मे आल इंडिया सोसल आर्गनाईजेशन ने मामले की राज्य गुप्तचर यंत्रणा से जांच-पडताल और दोषियों पर कठोर कार्यवाई की मागं की है.
इस संबंध मे खापरखेडा पावर प्लांट के वरिष्ठ अभियंताओं का मानना है कि अभि भी मामले की जांच -पडताल शुरु है. किसी का मानना है कि आग रेलवे वैगनो के कोयला से आयी य कोलहैन्डलिंग प्लांट मे डोझर द्वारा कोयला ढकेलने से आयी यह मामला बडा ही पेचीदा समझ से परे है . परंतू यह भी सच है कि मामले की असलियत को छिपाया जा रहा है.