Published On : Thu, Mar 18th, 2021

केन्द्र सरकार का संशोधित श्रमिक विरोधी कानून से लाखों श्रमिकों का भविष्य खतरे में

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– महानिर्मिती की संयुक्त कृती समिति ने दी आंदोलन की चेतावनी

नागपुर: केन्द्र सरकार द्वारा कल-कारखानों मे कार्यरत ठेका श्रमिकों के हित विरोधी संशोधित कानून जैसी दमनकारी नीतियों के चलते देश के लाखों-करोडों ठेका श्रमिकों का भविष्य तबाह हो सकता है। इस संशोधित काले कानून को रद्ध करने की मांगों को लेक संयुक्त कृति समिति महाजेनको कोराडी की ओर से हाल ही पत्रकार परिषद मे आंदोलन करने की चेतावनी दी है। समिति अध्यक्ष विजय पाटील,महासचिव भीमराव बाजनघाटे सहसचिव वैभव बंडे व समिति के अधिवक्ता अश्विन इंगोले ने अपने संयुक्त बयान मे बताया कि केन्द्र सरकार ने विधुत परियोजनाओं के अलावा तमाम लघु उद्योग तथा भारी औधोगिक इकाईयों में कार्यरत ठेका श्रमिक हितों के विरुद्ध संशोधित कानून मे दमनकारी नीतियां नीतियाँ अपनाई जा रही है।जिसमें फैक्ट्री मालिक अपने श्रमिकों को मनमाने तरीके से कुछ भी ले-देकर कभी भी डियूटी से निकालकर उसे बेरोजगार कर सकता है। इतना ही नहीं श्रमायुक्त कार्यालय मे भी श्रमिक हितों की कोई सुनवाई नहीं होगी,अपितु श्रम निरीक्षक भी फैक्ट्री मालिक के हितों मे अपनी नीति निर्धारण करेगा। मजदूर हितों मे श्रमिक संगठनों की मांगों पर कोई सुनवाई नहीं होगी।

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उन्होने पत्रकार परिषद में बताया कि विधुत परियोजना के अलावा किसी भी औधोगिक इकाईयों से निकालकर किसी भी अन्य कारखानों मे तीन सौ के अंदर कार्यरत श्रमिकों का बाॅड भरा जायेगा।जो दो वर्ष व पांच वर्ष के अंतराल मे डयूटी नही छोड सकता?लेकिन फॅक्टरी/कंपनी मालिक उसे कभी भी रोजगार से बेदखल कर सकता है,जबकि सरकार के इस श्रमिक हित विरोधी संशोधित काले कानून के चलते लाखों ठेका श्रमिकों की रोजी-रोटी खतरे मे पड जायेगी।और कोई भी ठेका श्रमिक स्थाई नौकरी का हकदार नहीं रहेगा।नतीजा उचित न्याय नही मिलने से ठेका श्रमिकवर्ग आर्थिक और मानसिक रुप से कमजोर व बदहाल हो जायेगा।

सरकार के इस काले कानून के चलते श्रमिकवर्ग भविष्य में अपनी तरक्की और आर्थिक उन्नति भी नही कर पायेगा।क्योंकि मेहनतकश श्रमिक की नौकरियां खतरे मे पडने से उसके परिजन निराधार और निहत्थे हो जायेंगे।इतना ही नहीं इस संशोधित कानून के चलते श्रमिक संगठन अपने आप समाप्त हो जायेगे।क्योंकि नये संशोधित कानून मे तमाम ठेका श्रमिकवर्ग के लिए बराबरी का कार्य व बराबरी का वेतनमान का नियम भी समाप्त हो जायेगा।उन्होंने बताया कि जिस फैक्ट्री में सौ श्रमिक है सरकार की बिना अनुमति के श्रमिकों को हटाने का अधिकार फैक्ट्री मालिक को था।जबकि नये संशोधित कानून मे श्रमिकों की मर्यादा संख्या बढाकर 300 कर दी गई है। जबकि 80 से 90 प्रतिशत कारखानों में 300 के करीब श्रमिक कार्यरत हैं।

फलतःइस संशोधित श्रमिक हित विरोधी कानून के चलते देश मे लाखों ठेका श्रमिकों की नौकरियां खतरे मे पड जायेगी। पुराने श्रमिक नियमों मे मजदूर हितों के सबंध में मान्यता दिलाने का अधिकार श्रमिक संगठनों को था,परंतु अब नये संशोधित कानून मे यह अधिकार फैक्ट्री मालिक को दे दिया गया है।नतीजा श्रमिक संगठन अपने आप समाप्त हो जायेगा।कानून के मुताबिक श्रमिक हित मे फैक्ट्री मालिक को अग्रिम सूचना देकर आंदोलन करने, सुनवाई नही होने की दिशा मे श्रमिक संगठनों को न्यायालय में मामला दायर करने अधिकार था।

जबकि नये संशोधित कानून मे आंदोलनकर्ता श्रमिक संगठन नेता पर 50 हजार रुपये दण्ड का प्रावधान किया गया है।पत्र परिषद में बताया कि नये संशोधित कानून मे फैक्ट्री एक्ट में भारी फेरबदल किया गया है जिसमें श्रमिक निरीक्षक भी श्रमिक हितों कार्य न करते हुए फैक्ट्री मालिकों के हितों मे नीतियाँ निर्धारण करेगा।

कृति समिति ने इस सबंध में केन्द्र तथा राज्य सरकार को तत्सबंध मे गत 9 मार्च को मांगों का ज्ञापन प्रस्तुत किया जा चुका है।उनकी सभी मांगें मंजूर नही होने की दिशा मे 31मार्च को संविधान चोक नागपुर मे आंदोलन करने की बात दोहराई है।

अघाडी सरकार ने संशोधित कानून रोक रखा है
हालांकि महाराष्ट्र राज्य की अघाडी सरकार ने केन्द्र सरकार द्वारा संशोधित कानून को अभि महाराष्ट्र राज्य मे लागू नही किया है।बल्कि स्थगित रखा गया है।परंतु निकट भविष्य मे बडे औधोगिक इकाईयों के कर्ता धर्ता करोडतियों के दबाव प्रभाव फलस्वरूप इस काले कानून को लागू किये जाने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।

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