नागपुर: नागपुर महानगरपालिका ने हेलमेट को लेकर रेशिमबाग स्थित सुरेश भट्ट सभागृह में प्रवेश करने की पाबंदी लगाने संबंधी नियमावली तैयार की है। जिसकी मंजूरी के लिए स्थाई समिति में प्रस्ताव लाया गया है. इसको मंजूरी देते वक़्त स्थाई समिति सदस्यों को सम्पूर्ण नियमावली से अवगत नहीं करवाया जाएगा और सदस्यों को धोखे में रख मंजूरी दे दी जाएंगी। इसे मंजूरी मिलने के बाद सवाल यह खड़ा होगा कि उक्त पाबंदी के बाद सभागृह में आने वाले दर्शक आखिर हेलमेट को कहां रखेंगे और सभागृह के बहार रख भी दिए तो उनकी सुरक्षा कौन करेगा।
राज्य सरकार ने शहर में दोपहिये वाहनों से सफर करने वालों को हेलमेट पहनना अनिवार्य कर दिया। इसकी सख्ती के लिए हेलमेट न पहनने वाले को 500 सौ रुपए का जुर्माना सख्ती से वसूली शुरू कर दी। इस सख्ती ने अमूमन सभी को हेलमेट पहनने के लिए मजबूर कर दिया।
यूं तो हेलमेट दोपहिये वाहन चालकों के लिए सरदर्द साबित होने लगी, वहीं दूसरी ओर शहर के बड़े बड़े मॉल के संचालकों ने हेलमेट को मॉल के भीतर न ले जाने की सख्त पाबंदी लगा दी। मॉल में आने वाले ऐसे ग्राहक अब मॉल के वाहन स्टैंड पर किराया देकर या अपने हेलमेट की खुद की व्यवस्था कर अपने कामकाज निबटाने लगे. स्टैंड वालों को नई आवक का जरिया मिल गया.
इसी फॉर्मूले को अपनाते हुए मनपा प्रशासन ने सुरेश भट्ट सभागृह के किराए सहित अन्य नियमावली तैयार की है। इस नियमावली में सभागृह के भीतर हेलमेट को ले जाने पर रोक लगाई गई है। परन्तु सभागृह में दोपहिये से आने वाले दर्शक/श्रोता अपना हेलमेट कहां रखेंगे यह उल्लेखित नहीं है। कयास लगाए जा रहे हैं कि आगामी स्थाई समिति की बैठक में उक्त विषय को मंजूरी दे दी जाएगी, लेकिन समिति सदस्यों को नियमावली से रू-ब-रू नहीं करवाया जाएगा।
सभागृह में आने वाले दर्शकों के हेलमेट की सुरक्षा की गारंटी की कोई व्यवस्था रूल बुक में नहीं की गई है। ऐसी स्थिति में हेलमेट के लिए अतिरिक्त किराया चुकाना पड़ा तो यह भी विवाद का विषय हो सकता है। ऐसे में सवाल उठाया जा रहा है कि, क्या मनपा की मंशा सभागृह में केवल चार पहियावाले क्लास को ही सभागृह में प्रवेश देने की तो नहीं है?