Published On : Thu, Jan 2nd, 2020

जीवन में सबसे अनमोल रत्न है मधुर वाणी’ – पं. देवकीनंदन ठाकुर जी

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भव्य मंगल कलश शोभायात्रा से कथा आरंभ

नागपुर: इस संसार में भगवान कृष्ण ही सृष्टि का सृजन, पालन और संहार करते हैं। भगवान के चरणों में जितना समय बीत जाए उतना अच्छा है। इस संसार में एक-एक पल बहुत कीमती है। वो बीत गया तो बीत गया। इसलिए जीवन को व्यर्थ में बर्बाद नहीं करना चाहिए। जीवन में सबसे अनमोल रत्न है मधुर वाणी. भगवान के द्वारा प्रदान किए गए जीवन को भगवान के साथ और भगवान के सत्संग में ही व्यतीत करना चाहिए। उक्त उद्गार विश्व शांति सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में 8 जनवरी तक आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दौरान धर्मरत्न शांतिदूत देवकीनंदन ठाकुर ने व्यक्त किए. श्रीमद् भागवत कथा का भव्य आयोजन डॉ. हेडगेवार स्मारक समिति, महर्षि व्यास सभागृह, रेशिमबाग मैदान के पीछे किया गया है. कथा के मुख्य यजमान गोविंद छैलूराम बंसल परिवार व वामन श्रीराम हारोडे परिवार हैं.

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कथा आरंभ से पूर्व संत गुलाब बाबा आश्रम, सिरसपेठ से श्रीमद् भागवत की मंगल कलश शोभायात्रा कथा स्थल तक निकाली गई। इसमें 108 कलश धारण कर लाल वस्त्र में महिलाओं के साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। शोभायात्रा में आगे- आगे कथा के मुख्य यजमान बसंल परिवार व हारोडे परिवार सिर पर श्रीमद् भागवत पोथी धारण कर चल रहे थे। पश्चात मंगल कलश सिर पर रख महिलाएं चल रही थीं. मार्ग पर पुष्प वर्षा कर शोभायात्रा का स्वागत किया जा रहा था. पश्चात कथा स्थली पर देवकीनंदन ठाकुर जी, यजमान परिवार व आयोजन मंडल की अध्यक्ष शकुंतला अग्रवाल, सचिव मृणाल इलमकर, सचिव निर्मला गोयनका, कोषाध्यक्ष रत्ना जेजानी, महिला संयोजिका प्रमुख सुमेधा चैधरी द्वारा दीप प्रज्वलन किया गया.

ठाकुरजी ने आगे कहा कि भागवत प्रश्न से प्रारंभ होती है और पहला ही प्रश्न है कि कलियुग के प्राणी का कल्याण कैसे होगा। इसमें सतयुग, त्रेता और द्वापर युग की चर्चा ही नहीं की गई है। ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि बार- बार कलियुग के ही कल्याण की चर्चा क्यों की जाती है अन्य किसी की क्यों नहीं। इसके कई कारण हैं जैसे- अल्प आयु, भाग्यहीन और रोगी होना। इसलिए इस संसार में जो भगवान का भजन न कर सके, वो सबसे बड़ा भाग्यहीन है। भगवान इस धरती पर बार-बार इसलिए आते हैं ताकि हम कलियुग में उनकी कथाओं का आनंद ले सकें और कथाओं के माध्यम से अपना चित्त शुद्ध कर सकें। भागवत कथा चुंबक की भांति कार्य करती है जो मनुष्य के मन को अपनी ओर खींचती है। इसके माध्यम से हमारा मन भगवान से लग जाता है।

पं. देवकीनंदन ठाकुर जी ने भागवत के प्रथम श्लोक ‘सच्चिदानन्दरूपाय विश्वोत्पत्त्यादिहेतवे। तापत्रयविनाशाय श्रीकृष्णाय वयं नुमरू’ के उच्चारण के साथ कहा कि हम सभी सनातनियों को एकत्रित होने की जरूरत है। अपने व्यक्तिगत मत भुलाकर, जातिपंथ सबकुछ भूलकर सिर्फ हमें अपनी भारत माता के लिए सोचना चाहिए। हमें सत्य सनातन धर्म के लिए सोचना चाहिए। साथ ही धर्म को आगे बढ़ाने के लिए हर संभव कोशिश करनी चाहिए।

पं. देवकीनंदन ठाकुर जी ने कथा का वृतांत सुनाते हुए कहा कि भागवत का महात्म्य क्या है? एक बार सनकादिक ऋषि और सूद जी महाराज विराजमान थे। उन्होंने ये प्रश्न किया कि कलियुग के लोगों का कल्याण कैसे होगा? किसी भी पुराण में किसी और युग के लोगांे की चिंता नहीं की गई है, पर कलियुग के लोगों के कल्याण की चिंता हर पुराण और वेद में की गई कारण क्या है? क्योंकि कलयुग का प्राणी अपने कल्याण के मार्ग को भूलकर केवल अपने मन की ही करता है जो उसके मन को भाए. वह बस वही कार्य करता है और फिर कलियुग के मानव की आयु कम है और शास्त्र ज्यादा है तो फिर एक कल्याण का मार्ग बताया गया है वह है भागवत कथा। श्रीमद् भागवत कथा सुनने मात्र से ही जीव का कल्याण हो जाता है. महाराज श्री ने कहा कि व्यास जी ने जब इस भगवत प्राप्ति का ग्रंथ लिखा, तब भागवत नाम दिया गया। बाद में इसे श्रीमद् भागवत नाम दिया गया। इस श्रीमद् शब्द के पीछे एक बड़ा मर्म छुपा हुआ है. ‘श्री’ यानी जब धन का अहंकार हो जाए, तो भागवत सुन लो, अहंकार दूर हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि व्यक्ति इस संसार से केवल अपना कर्म लेकर जाता है। इसलिए अच्छे कर्म करो। भाग्य, भक्ति, वैराग्य और मुक्ति पाने के लिए भागवत की कथा सुनो। केवल सुनो ही नहीं बल्कि भागवत की मानों भी। सच्चा हिन्दू वही है जो कृष्ण की सुने और उसको माने, गीता की सुनो और उसकी मानों भी। माँ-बाप, गुरु की सुनो तो उनकी मानो भी तो आपके कर्म श्रेष्ठ होंगे और जब कर्म श्रेष्ठ होंगे, तो आप को संसार की कोई भी वस्तु कभी दुःखी नहीं कर पायेगी। और जब आप को संसार की किसी बात का फर्क पड़ना बंद हो जायेगा तो निश्चित ही आप वैराग्य की और अग्रसर हो जाएंगे और तब ईश्वर को पाना सरल हो जायेगा.

शुक्रवार को 3 जनवरी को श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस पर कपिल देवहुति संवाद, सती चरित्र, ध्रुव चरित्र का वृतांत सुनाया जाएगा। इसके मुख्य यजमान अशोक गोयल, रामानंद अग्रवाल, विष्णु पचेरीवाला हैं. इस अवसर पर अधिक से अधिक संख्या में उपस्थिति की अपील आयोजक मंडल ने की है.

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