Published On : Tue, Aug 21st, 2018

बेहतर स्थिति में हैं गणेशोत्सव पूर्व शहर के तालाबों के पानी की गुणवत्ता

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नागपुर: हर साल की तरह शहर की पर्यावरण सेवी संस्था ग्रीन वजील फाउंडेशन ने गणपति विसर्जन से पूर्व शहर के मुख्य तीन तालाबों फुटाला, गांधीसागर, सोनेगांव के पानी का परीक्षण किया. ग्रीन विजिल फाउंडेशन पिछले छह सालों से ‘अर्थ इको इंटरनेशनल’ नामक अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण संस्था के साथ मिलकर यह मुहीम चला रही है. हर साल ‘ अर्थ इको इंटरनेशनल एक रिपोर्ट तैयार करती है. जिसमें विश्वभर के तालाबों और नदियों का डेटा शामिल होता है. 2016 के प्रकाशित अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट में ग्रीन विजिल पर्यावरण संस्था द्वारा परीक्षण किए गए फुटाला, गांधीसागर एवं सोनेगांव तालाबों के डेटा का समावेश है. भारतवर्ष से इस रिपोर्ट में केवल नागपुर के ग्रीन विजिल को ही स्थान मिला है.

रविवार को किए गए तालाबों के पानी की गुणवत्ता परीक्षण के बारे में बताते हुए ग्रीन विजिल फाउंडेशन की टीम लीडर सुरभि जैस्वाल ने कहा कि पिछले दो साल के गणपति विसर्जन के पूर्व की अवस्था से इस साल फुटाला तालाब की हालत थोड़ी बेहतर है. गणपति विसर्जन के पहले 2016 एवं 2017 में फुटाला तालाब में डिसॉल्वड ऑक्सीजन की मात्रा 3.5 मिलीग्राम पायी गई थी तो वहीं इस साल 4.5 मिलीग्राम के करीब पायी गई है.

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जिसका एक कारण फुटाला में इस साल ज्यादा पानी होना माना जा सकता है. दूसरा बड़े पैमाने पर गाद निकाला जाना. पिछले दो साल अगस्त के महीने में जलाशयों में पानी का स्तर इस साल की तुलना में कम था. जहां तक टर्बिडिटी का सवाल है, इस साल गणपति विसर्जन पूर्व फुटाला की टर्बिडिटी 60 जेटीयू पायी गई, जो 2016 के बराबर है. जबकि 2017 में फुटाला तालाब की टर्बिडिटी 70 जेटीयू पायी गई थी. फुटाला तालाब के पीएच पिछले तीनो सालों से 8 से 8. 5 क के रेंज में पाया गया. मटमैले पानी को टर्बिडिटी कहा जाता है.

2016 और 2017 की तुलना में इस साल गांधीसागर तालाब की भी हालत थोड़ी बेहतर है. गांधीसागर तालाब में गणपति विसर्जन के पूर्व डिसॉल्वड ऑक्सीजन की मात्रा 4. 5 मिलीग्राम दर्ज हुई थी. इस साल गणपति विसर्जन के पूर्व गणपति तालाब में डिसॉल्वड ऑक्सीजन की मात्रा 5 मिलीग्राम दर्ज हुई जो एक अच्छा संकेत है. डिसॉल्वड ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने का मुख्य कारण गांधीसागर तालाब में मूर्ति विसर्जन पर सम्पूर्ण प्रतिबन्ध व इस साल तालाब में ज्यादा पानी का होना माना जा सकता है. गांधीसागर तालाब में टर्बिडिटी में भी थोड़ी कमी पायी गई. जो 2016 एवं 2017 में 75 जेटीयू दर्ज हुई थी. वह इस साल 20 जेटीयू दर्ज हुई. गांधीसागर तालाब का पीएच पिछले तीन सालो से 8 से 8.5 के बिच दर्ज हुआ है.

फुटाला व गांधीसागर तालाबों की तुलना में सोनेगांव तालाब की हालत बेहतर पायी गई है. 2016 में गणपति विसर्जन के पूर्व सोनेगांव तालाब में डिसॉल्वड ऑक्सीजन 5 मिलीग्राम एवं टर्बिडिटी 50 जेटीयू एवं डिसॉल्वड ऑक्सीजन 4.5 मिलीग्राम पायी गई. जिसका मुख्य कारण पिछले साल अगस्त के महीने में सोनेगांव तालाब में कम पानी का होना माना जा सकता है. हालांकि इस साल अभी तक अच्छी वर्षा होने के कारण सोनेगांव तालाब काफी हद तक भर चूका है. जिसके कारण टर्बिडिटी 50 जेटीयू पायी गई एवं विसर्जन में प्रतिबन्ध के कारण डिसॉल्वड ऑक्सीजन की मात्रा भी 5 मिलीग्राम पायी गई. जो पिछले साल की तुलना में ज्यादा है.

फुटाला तालाब से निकाला गया था गाद
फुटाला तालाब में ऑक्सीजन बढ़ने का एक कारण तो पानी का लेवल बढ़ना है लेकिन दूसरा कारण है इस तालाब से बड़े प्रमाण में गाद भी निकाला गया था. मई से लेकर जून तक मनपा ने 11 हजार मीट्रिक टन गाद निकाला था. जिसके कारण ऑक्सीजन लेवल बढ़ा है. 1200 टिप्पर गाद निकाला गया था. गहराई में सूरज की रौशनी और ऑक्सीजन भी नहीं पहुंच पाता है. वहा की कंडीशन अनएरोबिक होती है. वहां ऐसे जिव रहते है जो बिना ऑक्सीजन के जिन्दा रहते है. तालाब में जितना ज्यादा अनएरोबिक होता है. उतनी ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है. गाद निकालने के कारण ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ी है.

इस अभियान को ग्रीन विजिल की टीम लीडर सुरभि जैस्वाल के साथ मेहुल कोसुरकर, कल्याणी वैद्य, एवं अन्य सदस्यों ने साकार किया. जिन्हें सेवादल महिला महाविद्यालय ने सहयोग किया .

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